2014 में नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद भारत में फिनटेक को बढ़ावा मिलना संभव हुआ। मोदी सरकार द्वारा प्रारंभ की गई जनधन‚ आधार और मोबाइल (जैम) योजनाओं का सबसे बडा लाभ फिनटेक उद्योग को मिला। मोदी सरकार ने समाज कल्याण की योजनाओं में दिए जाने वाले धन के ऑनलाइन अंतरण की व्यवस्था शुरू कर फिनटेक को क्रांति का स्वरूप प्रदान कर दिया। इससे न केवल धन का हस्तांतरण कम समय में बल्कि शत प्रतिशत पारदर्शिता के साथ लाभार्थियों को मिलना संभव हुआ है। अब तो फिनटेक हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का एक हिस्सा बन गया है। फिनटेक ने वित्तीय लेनदेन को बहुत ही सुगम एवं सस्ता बना दिया है।
वित्त एवं प्रौद्योगिकी के गठजोड को फाइनैंशियल टेक्नोलॉजी यानी ‘फिनटेक’ कहते हैं। पिछले एक दशक से यह पूरे विश्व में वित्तीय लेनदेन में तेजी से बढ़ने वाले नावाचार उद्योग में शुमार हुआ है। लगातार नये उत्पाद एवं नई प्रणालियों के कारण इस कारोबार में नित्य नये–नये रास्ते खुल रहे हैं। नगद रहित भुगतान से लेकर क्राउड फंडिंग और वर्चुअल करेंसी तथा और भी बहुत कुछ फिनटेक की ही देन है। पूरी दुनिया में २०१० से ही इसे अपनाया जाने लगा था‚ लेकिन भारत में मोदी सरकार आने के बाद इस पर काम शुरू हुआ। अब यह गुजरे जमाने की बात हो गई‚ जब किसी को पेमेंट देने के लिए या खाते में रकम जमा करने या ड्राफ्ट द्वारा भेजने के लिए बैंक में जाकर कतारों में लगना पडता था। खरीदारी करते वक्त यह देखना पडता था कि घर से पर्याप्त पैसे लेकर चले हैं कि नहीं। अब आधी रात को भी रकम भेजनी हो तो बस फोन पर युनिफाइड पेमेंट सर्विस (यूपीआई) का इस्तेमाल कर बैंक के एप्लिेक्शन के जरिए चुटकियों में रकम सामने वाले के खाते में पहुंच जाती है। कुछ खरीदने का मन हो गया मगर जेब में पैसे नहीं हैं तो क्या हुआ फोन निकालिये और क्यूआर कोड स्कैन कर वॉलेट या यूपीआई के जरिए भुगतान कर दीजिए।
२०१६ में नोटबंदी के साथ ही भारत में ८६ प्रतिशत नगदी चलन से बाहर कर दी गई थी। फलतः डिजिटल लेनदेन को बहुत बढ़ावा मिला। भारत में वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) की लोकप्रियता असंदिग्ध है। सरकारी प्रयास एवं कोविड की त्रासदी के कारण डिजिटल भुगतान और वित्तीय प्रौद्योगिकी ने भारत में जिस किस्म की अपार लोकप्रियता हासिल की है उसने दुनिया के बडे–बडे अर्थशास्त्री और तकनीकविदों को आश्चर्यचकित कर दिया है। एसीआईवर्ल्डवाइड नाम की कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार दो साल पहले ही भारत ऑनलाइन लेनदेन के मामले में दुनिया में पहले नम्बर पर आ गया था। चीन‚ दक्षिण कोरिया‚ इंग्लैंड‚ जापान और अमेरिका भारत से पीछे हैं। यह तो दो वर्ष पूर्व की बात है‚ आज तो इसमें दसगुणा से भी ज्यादा वृद्धि हो चुकी है तथा बढ़ोत्तरी का यह सिलसिला लगातार जारी है। मौजूदा समय में भारत खुद को डिजिटल अर्थव्यवस्था में प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष के लिए वैश्विक केन्द्र के तौर पर स्थापित कर रहा है। हमारे देश में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की तादाद ८४ करोड तक पहुंच गई है। इस तरह भारत की वित्तीय प्रौद्योगिकी क्रांति ज्यादातर देशों को पीछे छोडती हुई जनसाधारण के स्तर तक पहुंच चुकी है। फिनटेक आज हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हो गया है। अगर हमने अपने किसी भी सामान एवं सेवा की कीमत फोन या किसी दूसरे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के जरिए अदा की है‚ बैंकखाते का ब्योरा ऑनलाइन देखा है या रकम अथवा शेयर एक खाते से दूसरे खाते में भेजा है तो हम अरबों डॉलर के फिनटेक उद्योग का इस्तेमाल कर यह सब कर रहे हैं। वर्तमान में कई डिजिटल भुगतान प्रणाली भारत में प्रचलित है। डिजिटल भुगतान व्यवस्था की सबसे बडी और अनोखी ईजाद ‘क्यूआर कोड’ यानि कि रेस्पॉंन्स कोड है। कभी सामान की पहचान के लिए बनाये गये ये कोड अब किसी भी लेनदेन का फायदा पाने वाले व्यक्ति की पहचान का काम करते हैं। सब्जी वाले से लेकर सुपर माकæट या चाय दुकान से लेकर बडे रिटेल स्टोरों तक के काउंटरों पर ऐसे कोड के बोर्ड दिख जाते हैं। २०१६ में हुई नोटबंदी और उसके बाद कोविड–१९ महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन में सबसे ज्यादा राहत इस प्रणाली ने ही दी थी। खरीदारी के लिए ‘क्रेडिट’ या ‘डेविट’ कार्ड का इस्तेमाल भारत में पहले से होता रहा है। मगर इसमें कार्ड खो जाने तथा पिन का किसी को पता लग जाने का डर हमेशा बना रहता है। इस भय को ‘नियर फील्ड कम्युनिकेशन’ (एनएफसी) ने काफी हद तक दूर किया है। एनएफसी तकनीक वाले कार्डों को मशीन पर स्वाइप नहीं करना पडता है‚ इसलिए पिन डालने की जरूरत नहीं पडती है। इस कार्ड को स्वाइप मशीन के पास ले जाने भर से रकम का लेनदेन हो जाता है। महामारी के दौरान लोगों ने खास तौर पर ऐसे कार्डों को हाथो–हाथ लिया‚ क्योंकि इसे किसी दूसरे को देने की जरूरत नहीं पडती है। ग्राहक खुद इसे मशीन के पास ले जाता है और कुछ ही सेकेंड में बगैर पिन के भुगतान हो जाता है। इस प्रणाली के द्वारा पिन के बगैर ५००० रुपये तक का भुगतान किया जा सकता है। एक समय था जब किसी के खाते में रकम भेजनी होती तो बैंक जाना पडता था। अब आईएमपीएस (इमीडिएट पेमेंट सर्विस)‚ एनएफटी के माध्यम से दूसरों के खाते में तुरंत रकम जाती है।आधार इनेबल पेमेंट सिस्टम (एईपीएस) ‘आधार सक्षम भुगतान प्रणाली’ एक नई भुगतान सेवा है जो आधार का उपयोग करके बैंकों एवं अन्य वित्तीय संस्थाओं को नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा प्रदान की गई है। झटपट रकम भेजने के लिए यह कारगर प्रणाली है। इसमें किसी कार्ड या स्मार्ट फोन की जरूरत नहीं होती। इसके बजाए ग्राहक का बायोमेट्रिक डाटा यानि अंगूठे की छाप सत्यापन का काम करती है। यह प्रणाली आमतौर पर गरीबों‚ निरक्षरों तथा प्रवासी कामगारों के लिए बनाई गई है। ग्राहक सेवा केन्द्र पर एईपीएस सेवा का लाभ उठाया जा सकता है।
प्रत्येक लेनदेन के लिए ग्राहक को एक रसीद दी जाती है‚ जिसमें उसके सारे लेनदेन का रिकॉर्ड होता है। एईपीएस का उपयोग करने के लिए ग्राहक का बैंक खाता आधार से जुडा होना जरूरी है। इस प्रकार पिछले साढ़े सात सालों में भारत ने फिनटेक की दिशा में जबरदस्त छलांग लगाई है। फिनटेक कंपनियां बैंकिंग‚ पूंजी–बाजार‚ बीमा‚ फंड–माकæट आदि जैसे विभिन्न वित्तीय क्षेत्रों के उत्रोत्तर विकास के लिए प्रयासरत है। आज के समय में ‘मोबाइल’ बैंक बन गया है तथा अंगुलियां नचाने भर से बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध हो जातीं हैं। यही कारण है कि आज के युवा–ग्राहक पारंपरिक बैंकों पर कम फिनटेक या नियो बैंकों (डिजिटल–ढांचे पर चलने वाली नई पीढ़ी के बैंक) को ज्यादा पसंद कर रहें हैं। निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है कि फिनटेक से भारत में वित्तीय समावेषन के साथ वित्तीय सेवाओं के मौलिक परिoश्य में बडा बदलाव आने की संभावना जागृत हुई है। इससे लागत में कमी और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार की संभावना बढ़ी है।