यूक्रेन के खिलाफ रूस की जंग दो महीने बाद भी जारी है। इस जंग के बीच हुए एक खुलासे ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। यूक्रेन का दावा है कि रूसी सैनिकों ने करीब 5 लाख यूक्रेनी नागरिकों को रूस के एक आइलैंड पर कैद कर दिया है। ये आइलैंड बेहद ठंडा और निर्जन है। यहां से किसी का भी भाग पाना लगभग नामुमकिन सा है।
रूस ने 5 लाख यूक्रेनी नागरिकों को वीरान आइलैंड पर किया कैद
डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने 5 लाख यूक्रेनी नागरिकों को जबरन रूस के एक बेहद वीरान आइलैंड पर भेज दिया है। संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन के स्थायी प्रतिनिधि सर्गेई किस्लिट्स्या ने बताया कि 1 लाख 21 हजार बच्चों समेत 5 लाख से ज्यादा यूक्रेनी नागरिकों को “जबरन रूस भेज” दिया गया है।
इस आइलैंड से यूक्रेनी लोगों के भाग पाने की संभावना न के बराबर है क्योंकि यहां रूस ने बड़ी संख्या में सुरक्षाबल तैनात कर रखे हैं। साथ ही आइलैंड पर पहुंचने के बाद यूक्रेनी नागरिकों को ऐसे दस्तावेज सौंपे गए हैं, जिसके तहत वे 2 साल तक इस आइलैंड से नहीं जा सकते।
क्या है रूस का बेहद खतरनाक आइलैंड
रूस का ये आइलैंड उसके सुदूर पूर्वी क्षेत्र में स्थित आइलैंड सखालिन है। ये आइलैंड बेहद ठंडा, निर्जन और मुश्किलों से भरे होने की वजह से जाना जाता है।
- सखालिन रूस का सबसे बड़ा आइलैंड है, जिसका क्षेत्रफल 72 हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा है। यहां की आबादी 5 लाख के आसपास ही है। यहां अधिकतर रूसी मूल के लोग हैं, लेकिन थोड़ी संख्या में कोरियाई और जापानी भी हैं।
- सखालिन प्रशांत महासागर में स्थित है, जो पूर्व में ओखोट्स्क सागर और पश्चिम में जापान सागर के बीच स्थित है। ये जापानी द्वीप होक्काइडो के उत्तर में स्थित है।
- 16वीं सदी में सखालिन आइलैंड पर चीन का नियंत्रण था। धीरे-धीरे ये नियंत्रण कमजोर होता गया। 19वीं और 20वीं सदी पर सखालिन पर रूस और जापान दोनों ने अपना दावा ठोका।
- इस आइलैंड पर नियंत्रण को लेकर रूस और जापान के बीच सैन्य संघर्ष भी हुए। 1875 में जापान ने कुर्ली आइलैंड के बदले में सखालिन पर अपना दावा छोड़ दिया।
- 1905 में रूस-जापान युद्ध के बाद सखालिन को दो हिस्सों में बांट दिया गया, जिसमें दक्षिणी हिस्सा जापान को मिला।
- 1945 में दूसरे वर्ल्ड वॉर के आखिरी दिनों में रूस ने कुर्ली आइलैंड समेत सखालिन आइलैंड के पूरे हिस्से पर कब्जा कर लिया, जो अब भी बरकरार है।
- यहां रहने वाले ज्यादातर लोग मछुआरे हैं या आइलैंड पर बड़े पैमाने पर होने वाले एनर्जी प्रोडक्शन सेक्टर में काम करते हैं।
- सखालिन खनिज संपदा के मामले में धनी है और यहां तेल और गैस के विशाल भंडार है। एक अनुमान के मुताबिक, सखालिन में 14 अरब बैरल कच्चे तेल और 96 खरब क्यूबिक फीट गैस का भंडार है।
- 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद बड़ी तेल कंपनियों के आने से यहां कोयले और तेल का उत्पादन तेजी से बढ़ा है।
- कहा जाता है कि सखालिन आइलैंड की आबादी बहुत सैन्यवादी है और रूस के सैन्य इतिहास पर गर्व करती है।
- 1945 से पहले सखालिन पर जापानी नियंत्रण होने की वजह से ही अब भी यहां कई पुरानी जापानी इमारतें देखी जा सकती हैं। इन इमारतों के बीच सोवियत संघ के जमाने की मूर्तियां और पट्टिकाएं भी मौजूद हैं।
सखालिन में रहना किसी सजा से कम नहीं
पुतिन ने जबरन जिस सखालिन आइलैंड पर 5 लाख यूक्रेनी नागरिकों को कैद किया है, वहां जीवन बेहद मुश्किल और किसी सजा से कम नहीं है।
- सखालिन भले ही रूस का सबसे बड़ा आइलैंड है, लेकिन अपने मुश्किल क्लाइमेट और भौगोलिक स्थितियों की वजह से यहां जीवन बहुत कठिन है। यही वजह है कि 72 हजार किलोमीटर एरिया वाले आइलैंड की आबादी 5 लाख ही है।
- चारों ओर से समुद्र से घिरे इस आइलैंड का दो तिहाई इलाका पहाड़ों और घने जंगलों से भरा पड़ा है।
- सखालिन के ज्यादातर इलाकों में ठंड में तापमान शून्य से भी नीचे माइनस 6 डिग्री सेंटीग्रेड से लेकर माइनस 24 डिग्री तक गिर जाता है। कई बार तो ये तापमान माइनस 54 डिग्री तक पहुंच जाता है।
- गर्मियों में भी यहां बहुत ठंड रहती है और कोहरा छाया रहता है। धूप बहुत कम या धीमी निकलती है।
- गर्मियों में भी आइलैंड के चारों ओर समुद्र में तैरती हुई बर्फ देखी जा सकती है।
रूस ने क्यों किया यूक्रेनी नागरिकों को सखालिन में कैद?
सवाल ये उठ रहे हैं कि लाखों की संख्या में यूक्रेनी नागरिकों को सखालिन आइलैंड में कैद करने के पीछे पुतिन का मकसद क्या है? चलिए जानते हैं…
- यूक्रेन का कहना है कि पुतिन ने उसके लाखों नागरिकों को सखालिन में जबरन इसलिए बंधक बनाया है, ताकि वह यूक्रेन को ब्लैकमेल करके, अपनी मांगें मनवा सके।
- कुछ जानकारों का मानना है कि पुतिन यूक्रेनी नागरिकों को रूसी बनाना चाहते हैं। एक रूसी चैनल पर एक एक्सपर्ट ने कहा कि ‘पुतिन यूक्रेनी होने के विचार को खत्म करना चाहते हैं।’
- वहीं कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि पुतिन यूक्रेनी नागरिकों को सखालिन में काम पर लगा सकते हैं। यानी बेहद कम पैसों में उन्हें काम करने को मजबूर करते हुए एक तरह से बंधुआ मजदूर भी बना सकते हैं।
पुतिन ने जिस तरह लाखों यूक्रेनी नागरिकों को बंधक बनाकर एक निर्जन द्वीप पर कैद कर दिया है। उसी तरह इतिहास में कुछ और घटनाएं हैं, जब किसी खास धर्म या जाति के लोगों के साथ अत्याचार हुए।
10 लाख यहूदियों को मारने वाला हिटलर का नाजी कैंप
दूसरे वर्ल्ड वॉर के जिम्मेदार माने जाने वाले जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने लाखों यहूदियों का नरसंहार करवाया था। इसके लिए उसने नाजी कॉन्सेंट्रेशन कैंप नाम से एक हजार से ज्यादा नजरबंदी कैंप बनाए थे।
- यहूदियों को यातना देने के लिए बनाए गए हिटलर के ये नाजी कैंप 1933 से 1945 के बीच जर्मनी और उसके कब्जे वाले यूरोप के कुछ अन्य इलाकों में चलाए गए।
- एक समय इन नाजी कैंपों में कैदियों की रजिस्टर्ड संख्या 16.5 लाख थी, जिनमें से 10 लाख से ज्यादा को मौत के घाट उतार दिया गया था।
- सबसे खूनी नाजी कैंप पोलैंड में बनाया गया ऑश्वित्ज कैंप था। यूएस होलोकॉस्ट मेमोरियल म्यूजियम के मुताबिक, इस कैंप में 9.60 लाख यहूदियों को मार दिया गया था।
- नाजी पूरे यूरोप से यहूदियों को पकड़कर इन नजरबंदी कैंपों में लाते थे। यहूदियों को यातना देने के लिए भूखा रखा जाता था, पीटा जाता था और दिन-रात उनसे काम कराया जाता था।
- यहूदियों को मारने के लिए चार गैस चैंबर भी बनाए गए थे। कइयों को गैस चैंबर में डालकर मार गया था, जबकि बाकी ठंड और भूख से घुट-घुटकर खुद ही मर गए।
- तरह-तरह के खतरनाक मेडिकल प्रयोग करने के लिए कैदियों पर केमिकल का इस्तेमाल किया जाता था।
- 1945 में सोवियत संघ के ऑश्वित्ज पर कब्जे के बाद हिटलर की यातना की स्तब्ध करने वाली तस्वीरें दुनिया के सामने आई।
- 1945 में दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान हिटलर के आत्महत्या करने और जर्मनी की हार के साथ ही इन नाजी कैंपों की यातनाओं का सिलसिला थमा था।
उइगर मुस्लिमों के उत्पीड़न का चीनी कैंप
चीन ने पिछले कई वर्षों से शिनजियांग प्रांत में लाखों की संख्या में उइगर मुस्लिमों को डिटेंशन सेंटर्स में बंदी बनाया है। उइगर चीन के शिनजियांग प्रांत में रहने वाले मुस्लिम हैं, जिनकी आबादी करीब 1.2 करोड़ है।
- मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि 2014 से ही चीनी सरकार धार्मिक रूप से अल्पसंख्यक उइगर मुस्लिमों का नरसंहार कर रही है।
- चीन पर आरोप हैं कि उसने नजरबंदी कैंपों में बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के करीब 10 लाख उइगर मुस्लिमों को बंदी बना रखा है।
- चीन पर उइगर मुस्लिमों से जबरन मजदूरी कराने, जबरन उनकी नसबंदी करने और महिलाओं से रेप के आरोप हैं।
- ये दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान हिटलर के चलाए गए नाजी कैंपों के बाद से किसी भी धार्मिक अल्पसंख्यकों को सबसे ज्यादा संख्या में बंदी बनाए जाने का मामला है।
- रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2017 से शिनजियांग में चीन ने 16 हजार से ज्यादा मस्जिदों को नष्ट कर दिया है और लाखों की संख्या में बच्चों को जबरन उनके माता-पिता से अलग करके बोर्डिंग स्कूलों में भेज दिया गया है।
- चीनी सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, उइगर मुस्लिमों के ज्यादातर इलाकों में 2015-2018 के दौरान जन्म दर 60% से ज्यादा गिर गई। 2019 में शिनजियांग में जन्म दर में 24% की गिरावट आई।