स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांड़ेय ने कहा कि बिहार से कालाजार का उन्मूलन वर्ष २०२२ तक करने का लIय है। इस दिशा में विभाग का कार्य काफी सराहनीय रहा है। कई स्तर पर किए जा रहे अथक प्रयासों का नतीजा है कि बिहार कालाजार उन्मूलन के काफी नजदीक है। राज्य में अब मात्र २ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शेष रह गए हैं‚ जहां से कालाजार का उन्मूलन होना है। सारण जिला अंतर्गत इसुवापुर एवं सीवान जिला अंतर्गत गोरियाकोठी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से कालाजार उन्मूलन करना है। इसको लेकर विभाग द्वारा एक प्रभावी रणनीति पर कार्य किया जा रहा है। श्री पांड़ेय ने कहा कि कालाजार प्रसार को नगण्य करने के लिए कालाजार संभावित मरीजों की खोज‚ जांच एवं उनकी ससमय उपचार को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए संभावित मरीजों की खोज‚ जांच एवं उनकी ससमय उपचार को सुनिश्चित किया गया है। वहीं अति प्राथमिकता वाले चिह्नित गांवों में संभावित मरीजों की खोज कालाजार ब्लाक कोऑर्डि़नेटर (केबीसी)‚ कालाजार टेक्निकल सुपरवाइजर (केटीएस) की इन्फॉर्मर (केआई) एवं आशा द्वारा किया गया है। संभावित कालाजार मरीजों की पहचान करने के बाद सिंथेटिक पाइरेथ्रोइड़ दवा का छिड़काव कराया जाना है। इससे बालू मक्खी के प्रभाव को कम करने में सफलता मिलेगी। राज्य के ३२ जिलों के सर्वाधिक कालाजार प्रभावित चिह्नित गांवों में सिंथेटिक पाइरेथ्रोइड़ दवा का छिड़काव करने का लIय है। औरंगाबाद‚ जमुई‚ रोहतास‚ गया‚ कैमूर एवं अरवल को छोड़कर शेष जिलों में दवा का छिड़काव कराया जाना है‚ जिसमें ४ जिलों में ५ अप्रैल से दवा छिड़काव का कार्य शुरू किया गया है। शेष बचे जिलों में भी छिड़काव कार्य कराया जाना है॥। श्री पांड़ेय ने कहा कि यह अभियान कुल ६० कार्य दिवस का होगा। दवा छिड़काव को बेहतर रूप से क्रियान्वित करने के लिए राज्य एवं जिला स्तर पर कालाजार नियंत्रण कक्ष स्थापित होंगे। राज्य स्तर पर मुख्य मलेरिया कार्यालय में नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। विभाग कालाजार सहित कई अन्य गंभीर रोगों के नियंत्रण के लिए गंभीर है। स्वास्थ्य संस्थानों एवं सुविधाओं को सुदृढ़ø करने की निरंतर कोशिश की जा रही है ताकि राज्य को स्वस्थ एवं समृद्ध बनाया जा सके।
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