अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने और नेशनल असेंबली भंग होने के बाद अब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। विपक्ष ने स्पीकर के प्रस्ताव भंग करने के फैसले पर सवाल उठाए हैं, जिसके बाद SC में आज फिर सुनवाई होगी। इसी बीच, पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ECP) ने 3 महीने के अंदर चुनाव करा पाने से इनकार कर दिया है। ECP के मुताबिक हाल ही में हुए परिसीमन के बाद देश में आम चुनाव कराने के लिए कम से कम 6 महीने का समय चाहिए।
इससे पहले सोमवार को चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान (CJP) की एक टिप्पणी ने इमरान खान की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। CJP उमर अता बांदियाल ने कहा- स्पीकर ने संविधान के अनुच्छेद 5 का हवाला देते हुए अविश्वास प्रस्ताव खारिज किया। यह बेंच मानती है कि अनुच्छेद 5 का इस्तेमाल करने के बावजूद अविश्वास प्रस्ताव खारिज नहीं किया जा सकता।
बेहूदा तर्क पर कोर्ट नाराज
इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के वकील बाबर अवान ने कहा- हमारे अटॉर्नी जनरल ने 21 मार्च को इसी कोर्ट में भरोसा दिलाया था कि हम किसी को सदन में आने से नहीं रोकेंगे। हमने यही किया। अब ये स्पीकर का फैसला है कि वो वोटिंग कराते हैं या नहीं।
अवान के इस तर्क को चीफ जस्टिस ने बेहूदा बताया। कहा- आपकी दलीलें इस मामले से संबंधित ही नहीं हैं। प्रधानमंत्री ने मुझसे कहा है कि मैं आपके सामने साफ कर दूं कि हम चुनाव के लिए तैयार हैं। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा- जजों को आपकी सियासत से कोई मतलब नहीं है। हम यहां संविधान और नियमों के बारे में सुनवाई कर रहे हैं।

आगे सिर्फ टकराव का रास्ता
सुप्रीम कोर्ट के सोमवार के रुख से लगता है कि वो अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग का आदेश दे सकता है। अगर ऐसा होता है तो हालात बेहद मुश्किल हो जाएंगे। संविधान विशेषज्ञ और जर्नलिस्ट मुर्तजा सोलंगी ने जियो न्यूज से कहा- अगर कोर्ट अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग का आदेश देता है तो इसका मतलब यह हुआ कि संसद को फिर बहाल किया जाए। सरकार की हार तो तय है और इसीलिए वो वोटिंग से भाग रही है। ऐसे में देखना होगा कि फौज का क्या रोल होता है, क्योंकि इमरान को अब तक उसने ही बचाया है।
भारत और ब्रिटेन लोकतंत्र की मिसाल
पाकिस्तान मीडिया में चली बहस के दौरान संसदीय प्रणाली में कानून और संविधान का पालन करने वाले देशों में भारत का नाम भी लिया गया। जियो न्यूज पर चली बहस के दौरान पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर ने कहा है कि ब्रिटेन या भारत में संविधान का कभी उल्लंंघन नहीं किया गया। उन्होंने ये भी कहा कि ये देश संसदीय प्रणाली और लोकतंत्र की मिसाल रहे हैं। लेकिन पाकिस्तान में इस तरह की चीज कभी देखने को ही नहीं मिली हैं।
जल्द होना चाहिए फैसला
इस दौरान बहस में शामिल अन्य मेहमानों का कहना था कि पाकिस्तान के बनने से लेकर अब तक कई मर्तबा इस तरह की स्थिति देश में बनी है जब लोकतंत्र और संविधान का मजाक बनाया गया और फिर समय निकलने के साथ हम आगे बढ़ गए। लेकिन उस दौरान जो कुछ हुआ उसने दूसरे लोगों के लिए वही रास्ता इख्तियार करने का एक जरिया खोल दिया। लिहाजा ये जरूरी है कि इस विकल्प को बंद किया जाए। इसलिए सुप्रीम कोर्ट को इस बारे में जल्द ही फैसला सुनाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने किया कोर्ट के आदेश का उल्ल्ंघन
हामिद मीर का यहां तक कहना था कि रविवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए एक आदेश पारित किया था, जिसमें कहा गया था कि उनकी इजाजत के बिना राष्ट्रपति या फिर प्रधानमंत्री कोई फैसला नहीं सुनाएंगे। इसके बाद भी राष्ट्रपति ने इमरान खान को केयरटेकर प्रधानमंत्री के तौर पर काम करने का आदेश पारित कर कोर्ट की अवहेलना की है। ऐसे में पीएम के साथ राष्ट्रपति ने भी संविधान का मजाक बनाया है।