बिहार विधान परिषद के 24 स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र का चुनाव सोमवार को हो रहा है। इसके लिए सुरक्षा के पूरे बंदोबस्त किए गए हैं। इस बार का चुनाव बिहार की राजनीति के लिहाज से काफी दिलचस्प होने जा रहा है।
एक तरफ RJD का नया दांव भूमाई (भूमिहार, मुस्लिम और यादव) की कड़ी परीक्षा है तो दूसरी तरफ NDA की वर्तमान राजनीति का लिटमस टेस्ट। वहीं, राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस बार का रिजल्ट आगामी विधानसभा चुनाव (2025) की रूपरेखा भी तय कर सकता है।
1.RJD का भूमाई समीकरण: लालू यादव की पार्टी ने पहली बार सवर्णों के एग्रेसिव जाति माने जाने वाले भूमिहार को 5 टिकट देकर दांव खेला है। अगर RJD का यह दांव सफल रहा तो आगामी चुनाव NDA के लिए काफी कठिन हो सकता है, क्योंकि BJP के परंपरागत वोटर्स भूमिहार में सीधे सेंधमारी होगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो भी RJD को बहुत ज्यादा नुकसान नहीं होगा। सफल होने पर एक नया समीकरण बनेगा, जो काफी दमदार हो सकता है।
इसको लेकर तेजस्वी यादव भी खासा इच्छुक नजर आते हैं। तभी तो पूरे MLC चुनाव के प्रचार के दौरान वह कहते रहे कि अगर हमको सीएम बनाना चाहते हैं तो यादव सवर्णों को भी वोट करें। यह चुनाव कांग्रेस पर से RJD की निर्भरता को भी खत्म कर सकती है, क्योंकि उसको सवर्णों के कुछ वोट के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन करना पड़ता है।
2. BJP की सोशल इंजीनियरिंग पास या फेल: हाल के चुनावों में BJP ने एक नई रणनीति बनाई है। खासकर छोटी-छोटी जातियों को जोड़ने के लिए वह सम्मेलन के साथ-साथ अगड़ों का टिकट काटकर उन्हें टिकट भी दे रही है। इस समय BJP का पूरा जोर अतिपिछड़ा और दलित पर है। सवर्णों की पार्टी का दाग धोने के लिए ही वह अब आधे से अधिक टिकट पिछड़ा और दलितों को दे रही है।
MLC चुनाव में उसने अपने परंपरागत वोटर भूमिहार जाति को दो टिकट दिया। इसके उलट RJD ने पांच टिकट दिया है। यह प्रयोग सफल रहा तो बिहार की राजनीति में नया बदलाव भी हो सकता है।
3. JDU को अपने वोटर पर ज्यादा भरोसा: वहीं JDU ने अपने कोर वोट बैंक से किसी प्रकार की कोई छेड़छाड़ नहीं की है। अगर वह इस चुनाव में सीटें जीतने में कामयाब रहता है बिहार की राजनीति में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने में वो कामयाब होगा।
इस चुनाव के दौरान इस बात पर भी खूब चर्चा हुई कि नीतीश कुमार अब बिहार की राजनीति से निकल कर केंद्र की राजनीति में जा रहे हैं। यह जीत 2025 में उनके लिए नई जमीन तैयार कर सकती है।
NDA के पास अभी 24 में से 21 सीटें
जिन सीटों पर चुनाव हो रहा है, उनमें 13 भाजपा की सीटिंग हैं। 2016 में भाजपा 11 ही जीती थी लेकिन लोजपा की नूतन सिंह और कटिहार से जीते अशोक कुमार अग्रवाल बाद में भाजपा में शामिल हो गए।
BJP इस बार 12 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है। उसने अपने कोटे की मधुबनी सीट JDU को दे दी है। JDU 5 सीट जीती थी लेकिन RJD के तीन लोग JDU में शामिल हो गए लिहाजा उसकी सीटिंग सीटें 8 हो गईं।
RJD ने 10 सीटों पर सवर्णों को अपना उम्मीदवार बनाया है
RJD ने अपने मुस्लिम-यादव (MY) समीकरण को छोड़कर 10 सीटों पर सवर्ण को कैंडिडेट बनाया है। पार्टी ने सवर्णों में सबसे ज्यादा 5 भूमिहार, 4 राजपूत और एक ब्राह्मण जाति के उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। इसके अलावा RJD ने यादव जाति के 8 उम्मीदवार बनाए हैं। वहीं एक मात्र मुस्लिम उम्मीदवार मधुबनी से मेराज आलम को मैदान में उतारा है।
NDA गठबंधन ने 10 लोगों पर लगाया है दांव
वहीं BJP ने 5 राजपूत, 2 भूमिहार , 1 ब्राह्मण, 4 पिछड़ा वर्ग के वैश्य को टिकट दिया है। जबकि NDA की अन्य सहयोगी JDU ने 1 भूमिहार , 2 यादव, 1 कुर्मी , 1 मुस्लिम, 3 राजपूत , एक हरिजन और 1 वैश्य को टिकट दिया है। वहीं LJP (पारस ) ने एक टिकट यादव को दिया है।
MLC चुनाव में महिला मतदाताओं के पास जीत की चाबी
विधान परिषद चुनाव में पुरुषों से अधिक महिला मतदाता हैं। विधान परिषद चुनाव में 69360 महिला मतदाता, जबकि 62747 पुरुष मतदाता हैं। अन्य मतदाताओं की संख्या सिर्फ नौ है। मतदान बैलेट पेपर के माध्यम से होगा, जिसमें बैंगनी स्केच पेन से मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।