बिहार की राजनीति में बुधवार को एक नहीं, बल्कि कई बड़े उलटफेर एक साथ देखने को मिले। एक तरफ, मुकेश सहनी को बड़ा झटका लगा तो दूसरी तरफ जीतन राम मांझी के पार्टी के सुर बदले नजर आए। इससे भी बड़ा बदलाव ये हुआ कि चिराग पासवान लंबे अरसे के बाद भाजपा के साथ खुलकर खड़े होते दिखे। अब तक वे कहा करते थे कि वे अगले चुनावों के वक्त ही गठबंधन के बारे में सोचेंगे। 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद दो उप चुनाव भी उन्होंने अकेले दम पर लड़े, लेकिन अब तस्वीर बदल गई है।
बोचहां में बेबी देवी को समर्थन देंगे चिराग पासवान
बिहार के बोचहां विधानसभा उप चुनाव में चिराग पासवान ने भाजपा उम्मीदवार बेबी कुमारी को समर्थन देने का निर्णय लिया है। इसीलिए चिराग की पार्टी लोजपा (रामविलास) ने बोचहां में अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है। हालांकि, भाजपा के पक्ष में चिराग प्रसार करने जाएंगे या नहीं, इस पर अभी संशय बरकरार है। लोजपा (रामविलास) के प्रवक्ता चंदन सिंह ने बताया कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी और प्रदेश संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हुलास पाण्डेय ने बोचहां विधानसभा उप चुनाव में उम्मीदवार उतारने का प्रस्ताव राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को भेजा था, लेकिन उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार को समर्थन देने का निर्णय लिया।
बिहार में बड़ा पॉलिटिकल उलटफेर हुआ है। NDA सरकार में शामिल विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के तीनों विधायक राजू सिंह, स्वर्णा सिंह और मिश्री लाल यादव ने पार्टी छोड़ दी है। इन्होंने बुधवार शाम विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा को BJP के पक्ष में अपना समर्थन पत्र सौंपा। इसके साथ ही अब बिहार विधानसभा में VIP का BJP में विलय हो गया।
अब बिहार में NDA सरकार पूरी तरह सुरक्षित
अब तक मुकेश सहनी अपने दल के विधायकों के समर्थन को लेकर NDA की सरकार को धमकी देते थे कि अगर समर्थन वापस ले लेंगे तो सरकार गिर जाएगी, लेकिन BJP के इस पासे से वह भौचक्का रह गए हैं। इसके बाद वह कुछ नहीं कर सकेंगे।
बिहार में सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों का समर्थन जरूरी है। अब NDA के पास 127 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। इसके अलावा अगर HAM के जीतनराम मांझी और एक निर्दलीय विधायक भी समर्थन वापस ले लेता है तो भी NDA की सरकार पूरी तरह सुरक्षित रहेगी।

BJP राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनी
VIP में टूट के बाद बिहार विधानसभा में दलों का गणित बदल गया है। अब BJP राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। इससे पहले BJP के पास 74 विधायक थे। अब VIP के तीनों विधायकों के विलय के बाद उसके 77 विधायक हो गए हैं। वहीं, RJD अब राज्य में दूसरे स्थान पर आ गई है। उसके पास फिलहाल विधायकों की संख्या 75 है।
मुकेश सहनी ने जताया था अंदेशा
बता दें कि VIP के मुखिया मुकेश सहनी ने एक दिन पहले ही सोशल मीडिया पर इसका अंदेशा जताया था। उन्होंने कहा था, ‘BJP के एक सांसद ने UP चुनाव में BJP के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए प्रायश्चित करने की बात कही थी, ऐसा नहीं करने पर उन्होंने खामियाजा भुगतने के लिए कहा था। उस दौरान उन्होंने बिहार NDA से खुद के OUT होने की बात भी स्वीकार की थी।’

संजय जयसवाल बोले- साहनी ने खुद अपनी ताबूत में आखिरी कील मारी
BJP के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि तीनों विधायक हमेशा से बीजेपी के थे। 2020 में बीजेपी की तरफ से इन्हें चुनाव लड़ाने की पूरी तैयारी हो गई थी। लिस्ट में इनका नाम भी तय हो गया था। अगर RJD ने सहनी के पीठ में खंजर नहीं भोंका होता तो ये बीजेपी के ही उम्मीदवार होते। आज साहनी ने अपनी ताबूत में आखिरी कील मार ली, जब उन्होंने बोचहां में BJP प्रत्याशी के खिलाफ अपने उम्मीदवार के नामांकन में शामिल हुए।
21 जुलाई तक मंत्री बने रहना अब मुश्किल
अब VIP सुप्रीमो मुकेश सहनी का क्या होगा? राजनीतिक कार्यकर्ता बिहार की राजनीति में उपजे इस सवाल पर सबसे अधिक चर्चा कर रहे हैं। सहनी का MLC का कार्यकाल 21 जुलाई 2022 को खत्म हो रहा है। विनोद नारायण झा, बेनीपट्टी से विधानसभा चुनाव जीते थे और उसके बाद उन्होंने विधान परिषद की सदस्यता छोड़ दी थी। इसी सीट पर सहनी को BJP ने MLC बनाया था, जबकि वह 6 साल यानी पूरे टर्म वाली सीट चाहते थे, लेकिन भाजपा ने ‘छोटे कूपन वाली सीट’ देना ही मुनासिब समझा।
भाजपा ने कोटे की 11 सीट VIP को दी थी
भाजपा ने अपने कोटे में आई 121 सीट में से 11 सीट VIP को दी थी। यह भाजपा का अति पिछड़ा कार्ड था। 11 में से चार सीट पर VIP को जीत भी मिली। इसी के साथ सहनी की ताकत राजनीति में बढ़ गई। उनको वह विभाग दिया गया जिस मछुआरे की लड़ाई वे लड़ते रहे और आरक्षण की मांग करते रहे। पहली बार मंत्री बने।
अब बदलती राजनीति में 21 जुलाई के बाद सहनी का मंत्री बने रहना भी मुश्किल हो सकता है। भाजपा उन्हें हटाकर अति पिछड़ा वोट बैंक को आहत नहीं करना चाहती। सहनी इससे पहले क्या कदम उठाते हैं, यह उनके राजनीतिक विवेक पर निर्भर करेगा। वे 21 जुलाई के पहले मंत्री पद छोड़ देंगे या फिर टर्म खत्म होने का इंतजार कर सकते हैं। दोनों का अलग-अलग मैसेज जाएगा।
भाजपा सांसद से मुलाकात के बाद लिया फैसला
यहां बता दें कि भाजपा के सांसद अजय निषाद ने मंगलवार को नई दिल्ली में चिराग पासवान से मुलाकात कर बोचहां उप चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारने का आग्रह भी किया था। तब दोनों की मुलाकात में यह तय हो गया थाा कि चिराग भाजपा को बोचहा में सहयोग करेंगे।
वीआइपी के जाने से एनडीए पर असर नहीं : हम
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) ने कहा कि वीआइपी प्रकरण से एनडीए पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि यह पूरी तरह भाजपा और वीआइपी के बीच का मुद्दा है। वीआइपी ने भाजपा के खिलाफ उम्मीदवार उतारा तो भाजपा वीआइपी के खिलाफ उम्मीदवार उतार रही है। एनडीए नीतीश कुमार के नेतृत्व में मजबूत है। आपको बता दें कि यह हम के स्टैंड में बड़ा बदलाव है। कुछ ही दिनों पहले हम ने बोचहां में भाजपा के उम्मीदवार देने पर सहनी के पक्ष में बयान दिया था।