शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा है कि राज्य में पुरानी पेंशन योजना नीति बनाने का अभी विचार नहीं है. पंचायती राज व नगर निकायों से बहाल शिक्षकों को राज्य कर्मियों के समान सुविधा व लाभ देने की कोई योजना राज्य सरकार के पास विचाराधीन नहीं है.
इन्हें इपीएफ से कवर किया गया है. साथ ही उच्चतम न्यायालय में भी इस मसले पर विमर्श हो चुका है. शुक्रवार को विधान परिषद में डॉ संजीव कुमार सिंह के अल्पसूचित प्रश्न का जवाब देते हुये शिक्षा मंत्री ने यह स्पष्ट किया.
प्रश्नकर्ता डॉ संजीव कुमार सिंह का कहना था कि राज्य में किसी आपदा की स्थिति में सरकार शिक्षकों को ही खोजती है. कोराना काल में भी शिक्षकों से मदद लिया गया. कई राज्यों ने भी पुरानी पेंशन योजना और वेतनमान लागू की है. लिहाजा राज्य सरकार को भी स्वास्थ्य बीमा सुविधा और पेंशन सुविधा देनी चाहिए.
इसके जवाब में शिक्षा मंत्री ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा और कल्याण को ध्यान में रखकर शिक्षकों के लिए एक सितंबर, 2020 से राज्य सरकार ने इपीएफ स्कीम लागू किया है. इसके लिए प्राथमिक विद्यालय से लेकर उच्च माध्यमिक विद्यालय तक कार्यरत शिक्षक व पुस्तकालयाध्यक्ष की मासिक परिलब्धियों के अंतर्गत 15 हजार रुपये प्रतिमाह के वेतन की राशि पर राज्य सरकार अपना अंशदान 13 (12+1) फीसदी देगी.
सरकार ने दिया अनुशंसित वेतनमान
मंत्री ने कहा कि सरकार ने इन्हें नियत वेतन से निकालकर 11 अगस्त, 2015 को अनुशंसित वेतनमान दिया. साथ ही राज्य सरकार के कर्मियों के अनुरूप घोषित महंगाई भत्ता, चिकित्सा भत्ता, मकान किराया भत्ता और वार्षिक वेतन वृद्धि स्वीकृत की गई.
वर्तमान वेतन संरचना में सुधार के उद्देश्य से उनको एक अप्रैल, 2021 को देय वेतन में 15 फीसदी की बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया गया. इन शिक्षकों के वेतनमान और सेवा शर्त पर उच्चतम न्यायालय ने आदेश पारित करते हुए स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार ने शिक्षकों के अधिकार का हनन नहीं किया है.