प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने वित्तीय वर्ष २०२२–२३ के बजट पर राज्य सरकार को जमकर घेरा। पुरानी पेंशन योजना लागू करने और सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत मिलने वाली पेंशन की राशि एक हजार रुपये करने की मांग की और कहा कि बजट में १९ लाख युवाओं को नौकरी देने की कोई बातें नहीं की गयी हैं। सरकार सभी मोर्चे पर फिसड्ड़ी साबित हो रही है॥। श्री यादव ने कहा कि साल दर साल वही घिसा–पिटा बजट पेश किया जाता है। उन्होंने बिहार की तुलना अन्य राज्यों से कर दी। नीति आयोग और सीएजी की रिपोर्ट दिखा दी। साथ ही कहा कि राबडी देवी के शासनकाल में बिहार विकास दर में ३२वें स्थान पर था‚ अब ३३वें पर है। अब डबल इंजन की सरकार है तब ये हाल है। नीति आयोग की रिपोर्ट में सामने आया है कि ५२ फीसद आबादी गरीब है। बिहार के ३८ जिलों में आधे से ज्यादा आबादी गरीब है। ॥ श्री यादव ने कहा कि बजट हर साल बढ रहा है‚ लेकिन हालात नहीं सुधर रहे हैं। सरकार ८० हजार करोड रुपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दे पायी है। कृषि में ४१ फीसद खर्च नहीं‚ स्वास्थ्य में ३१ फीसद खर्च नहीं‚ अल्पसंख्यक कल्याण में ५१ फीसद खर्च नहीं किया गया है। तेजस्वी ने शायरी बोलते हुए कहा कि ‘तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है‚ मगर ये आंकडे झूठे हैं ये दावा किताबी है।’ मंत्री विजेंद्र यादव ने आपत्ति जताई और कहा कि सीएजी परफेक्ट रिपोर्ट नहीं देती‚ इस पर तेजस्वी ने कहा कि आपलोग सीएजी पर ही सवाल उठा देते हैं। सच सुनने की ताकत नहीं है। तेजस्वी ने कहा कि बिहार में बेरोजगारी की भयावह स्थिति है। हर चौथे युवा में ३ बेरोजगार है।
किसानों की आय नहीं है‚ खाद नहीं मिल रही है। देश में सबसे अधिक महंगी बिजली बिहार में है। सात निश्चय में बडी लूट हुई है। इनके मंत्री कहते हैं कि ९० फीसद नल में जल पहुंच रहा है‚ बडा झूठ बोलते हैं। दलित–महादलित को जमीन देने का वादा किया था –ये भी छलावा है। मांझी जी इस बारे में सही बता देंगे। फै्ट्रिरयां बंद हैं‚ रोजगार के लिए लोग पलायन कर रहे हैं। डबल इंजन की सरकार ने कमाल कर दिया। गरीबों को गरीब अमीरों को मालामाल कर दिया। श्री यादव ने अपने भाषण को समाप्त करते हुए एक राजा की कहानी सुनाई। साथ ही उन्होंने कहा कि इस कहानी में राजा के राज्य की स्थिति बिल्कुल मौजूदा बिहार जैसी है। राजा का जिक्र कर उन्होंने नीतीश कुमार पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि स्थिति ऐसी हो गई कि पूरे राज्य की जनता परेशान हो गई। किसान भूख से मरने लगे। महिलाओं से अपराध बढ गया। शिक्षा की स्थिति बदहाल हो गई। जनता इतनी आक्रोशित हो गई कि वह सीधा राजमहल में घुस गई। वह राजा को हटाने पर उतारू हो गई।