युक्रेन के दो प्रांतों को अलग राष्ट्रों के रूप में मान्यता देने से नाराज अमेरिका‚ ब्रिटेन‚ जर्मनी और यूरोपीय संघ रूस के खिलाफ कड़े़ आर्थिक प्रतिबंध लगाने वाले हैं। यूरोपीय संघ ने चेतावनी दी है कि ये प्रतिबंध आर्थिक रूप से रूस की कमर तोड़़ देंगे। इस बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन में सेना भेजने का आदेश दे दिया है और सैन्य सामग्री व रसद के साथ रूसी सेनाएं इस क्षेत्र की ओर बढ़ रही हैं। रूस के इस कदम से यूक्रेन पर हमले की आशंका बढ़ गई है। सोमवार को रूस ने पूर्वी यूक्रेन के दो क्षेत्रों डोनेत्स्क पीपुल्स रिपब्लिक और लुहांस्क पीपुल्स रिपब्लिक की मान्यता का आदेश जारी किया था। रूस के खिलाफ कार्रवाई करने वालों में अमेरिका और जर्मनी प्रमुख हैं। जर्मनी ने रूस से गैस लाने के लिए बनाई जा रही नॉर्ड स्ट्रीम–२ पाइपलाइन की प्रक्रिया रोक दी है। जापान और ब्रिटेन ने भी रूस पर प्रतिबंधों का ऐलान किया है। अमेरिका ने रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की पहली सूची का ऐलान कर दिया है। अमेरिका के अनुसार रूस के दो बड़े वित्तीय संस्थान वीईबी बैंक और रूस की सेना का बैंक प्रोमसियाज बैंक प्रतिबंधों का सामना करेंगे। रूस पर पश्चिमी देशों से कोई भी वित्तीय सुविधा लेने पर भी पाबंदी रहेगी। इस बीच‚ रूस ने साफ कर दिया है कि समस्या का एकमात्र हल यही है कि यूक्रेन नाटो सदस्यता का विचार त्याग करे। पुतिन का कहना है कि सर्वोत्तम हल यह है कि कीव की मौजूदा सरकार नाटो की सदस्यता खुद ही नकार दे और निष्पक्ष रहे। पुतिन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने कुछ मांगें भी रखी हैं‚ जिनमें क्रीमिया को रूस के हिस्से के रूप में मान्यता देना शामिल है। रूस की कार्रवाई को सोमवार रात एक आपात बैठक में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों से कोई समर्थन नहीं मिला। रूसी सैनिक शांतिरक्षक सैनिकों के रूप में अलगाववादी क्षेत्र में रहेंगे। रूसी सैनिकों की गतिविधियां यूक्रेन पर एक और आक्रमण का बहाना हैं। रूस की कार्रवाई का अमेरिका सैन्य प्रतिवाद नहीं कर सकता क्योंकि अफगानिस्तान से वह बुरी तरह पस्त होकर निकला है‚ दूसरे चीन खुलकर रूस के साथ हो गया है। साफ है कि पुतिन अमेरिका और पश्चिमी ताकतों को अपनी ताकत का अहसास कराना चाहते हैं। दुविधा में पड़े़ भारत ने क्षेत्र में संयम से मामला सुलझाने की अपील की है‚ और यूक्रेन से अपने लोगों को निकालना शुरू कर दिया है।
ईरान में परमाणु बम बनाने के अबतक कोई सबूत नहीं, फिर क्यों किया हुआ हमला…..
5 फरवरी 2003 को अमेरिका के विदेश मंत्री कोलिन पॉवेल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक शीशी लहराने लगे। दावा...