लोकतंत्रीय शासन व्यवस्था में विधायिका‚ कार्यपालिका और न्यायपालिका की अवधारणा जनता–जनार्दन के जीवन को सरल‚ सुगम और सुखी बनाने के लिये की गयी है। ऐसे में इन सबको अपनी–अपनी मर्यादा में रहकर एक– दूसरे का सम्मान करते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए ताकि संविधान की मूल भावना के अनुरूप जनता के लिए कार्य हो सके। यह बातें बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा‚ शिमला में आयोजित अखिल भारतीय पीठासीन पदाधिकारियों के शताब्दी वर्ष समारोह तथा इसके ८२वें सम्मेलन में कहीं।
इस सम्मेलन का उद्घाटन लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा किया गया। उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वर्चुअल माध्यम से जुडे। इस सम्मेलन के शताब्दी वर्ष में इसके मूल्यांकन एवं इसकी भावी कार्य योजना तथा पीठासीन पदाधिकारियों का संविधान एवं सदन तथा जनता के प्रति दायित्व पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि विधायक जनता के विश्वास और उनकी आकांक्षाओं के प्रतिबिंब होते हैं‚ इसलिए उनका आचरण और कर्तव्यों का बहुत व्यापक असर उन पर होता है‚ ऐसे में विधायकों को भी अपनी मर्यादा और आचरण का ख्याल रखते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। बिहार लोकतंत्र की जननी रही है और इसने समय–समय पर देश की राजनीति को नई दिशा भी प्रदान की है। बिहार की पहचान इसकी ऐतिहासिक‚ बौद्धिक‚ सांस्कृतिक‚ आध्यात्मिक विरासत से है। यह भगवान महावीर‚ बुद्ध और गुरु गोविंद सिंह जी की पावन धरा भी है जहां से विश्व को शांति का संदेश मिला है। उन्होंने कहा कि १७वीं बिहार विधान सभा के गठन के लगभग एक साल पूरे होने को हैं और इतने अल्पावधि में ही विधायकों की सजगता तथा गंभीरता और सरकार की संवेदनशीलता से सदन में अधिकाधिक सकारात्मक विमर्श हो सका तथा शत–प्रतिशत प्रश्नों का उत्तर प्राप्त हो सका। बिहार विधानसभा भवन शताब्दी वर्ष समारोह के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी द्वारा उद्घाटन किये गये सामाजिक संकल्प के अभियान को प्रत्येक विधायक तथा उनके माध्यम से इसे घर–घर तक पहुंचाना है।