सनातन धर्मावलंबियों के सबसे प्रमुख तथा लोक आस्था के महान पर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान कार्तिक शुक्ल चतुर्थी सोमवार को नहाय–खाय (संकल्प) से शुरू हो रहा है। छठ पर्व मुख्य रूप से प्रत्यक्ष देव भगवान भास्कर की उपासना का पर्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठ सूर्यदेव की बहन हैं। मान्यता है कि छठ पर्व में सूर्योपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती है तथा सुख‚ शांति व धन–धान्य से परिपूर्ण करती हैं।
सुकर्मा योग में नहाय–खाय आज
आज सुकर्मा योग में नहाय–खाय से चार दिवसीय छठ महापर्व शुरू हो रहा। व्रत करने वाले श्रद्धालु गंगा स्नान के बाद अरवा चावल‚ चना दाल‚ कद्ू की सब्जी के साथ आंवले की चासनी ग्रहण करेंगे। इस महापर्व का समापन ११ नवंबर दिन गुरुवार को पराक्रम योग में होगा। धार्मिक मान्यता है कि इस तिथि को गंगा स्नान मात्र से शरीर के सारे कष्ट विशेषकर त्वचा रोग का नाश हो जाता है। सुकर्मा के साथ वरिष्ठ व बुधादित्य योग में नहाय खाय के साथ छठ महापर्व शुरू हो रहा है। इस बार छठ महापर्व पर ग्रह–गोचरों के शुभ संयोग बन रहा है। यह पर्व पारिवारिक सुख समृद्धि और मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रती विधि–विधान से छठ का वत करेंगी। इस पर्व को करने से रोग‚ शोक‚ भय आदि से मुक्ति मिलती है। छठ व्रत करने की परंपरा ग्वैदिक काल से ही है। १० नवम्बर को सायंकालीन अर्ध्य पर गजकेसरी तथा अनफा योग का संयोग बन रहा है।जबकि ११ नवम्बर को उदीयमान सूर्य को अर्ध्य पर पराक्रम योग रहेगा।
नहाय खाय से पारण तक बरसती है छठी मैया की कृपा
छठ महापर्व खासकर शरीर‚ मन तथा आत्मा की शुद्धि का पर्व है। वैदिक मान्यताओं के अनुसार नहाय–खाय से छठ के पारण सप्तमी तिथि तक उन भक्तों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है जो श्रद्धापूर्वक व्रत–उपासना करते हैं। प्रत्यक्ष देवता सूर्य को पीतल या तांबे के पात्र से अर्ध्य देने से आरोग्यता का वरदान मिलता है। पंडित झा ने कहा सूर्य को आरोग्य का देवता माना गया है। सूर्य की किरणों में कई रोगों को नष्ट करने की क्षमता है।
नहाय–खाय व खरना के प्रसाद से दूर होते कष्ट
छठ महापर्व के प्रथम दिन नहाय–खाय में लौकी की सब्जी‚ अरवा चावल‚ चने की दाल‚ आंवला की चासनी के सेवन का खास महत्व है। वैदिक मान्यता है कि इससे पुत्र की प्राप्ति होती है‚ वहीं वैज्ञानिक मान्यता है कि गर्भाशय मजबूत होता है। खरना के प्रसाद में ईख के कच्चे रस‚ गुड के सेवन से त्वचा रोग‚ आंख की पीडा समाप्त हो जाती है। इसके प्रसाद से तेजस्विता‚ निरोगिता व बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है।
आज नहाय-खाय के दिन व्रती कद्दू-भात का प्रसाद बनाकर ग्रहण करते हैं। रविवार को 50 रुपये से लेकर सौ रुपये तक कद्दू बाजार में बिके। गली-मुहल्लों, चौक-चौराहों और थोक के साथ खुदरा मंडियों में अलग-अलग रेट देखने को मिला। कदमकुआं पश्चिमी लोहानीपुर के गली-मुहल्लों में कद्दू ठेले पर 50 से 60 रुपए किलो मिल रहा था। पीरमुहानी के चौक-चौराहे पर 80 रुपए किलो और अंटा घाट और राजेन्द्रनगर थोक मंडी में 80 से 100 रुपए किलो मिल रहा था। कदमकुआं और जीपीओ गोलंबर सब्जी मंडी में इसी दाम पर कद्दू मिल रहा था।
6:34 बजे
उदय कालीन अर्घ्य
खरना का समय
सायं 5:45 से 6:25 बजे
सायं कालीन अर्घ्य
4:30 से 5:26 बजे
छठ पूजा सामग्री
● प्रसाद के लिए बांस की दो टोकरियां
● बांस या फिर पीतल का सूप
● दूध-जल के लिए एक ग्लास, एक लोटा और थाली
● 5 गन्ने, शकरकंदी और सुथनी
● पान, सुपारी, हल्दी, बड़ा मीठा नींबू
● मूली और अदरक का हरा पौधा
● शरीफा, केला और नाशपाती
● पानी वाला नारियल
● मिठाई, गुड़, गेहूं, चावल और आटे से बना ठेकुआ
● चावल, सिंदूर, दीपक, शहद व धूप
● नए वस्त्रत्त् जैसे सूट या साड़ी