स्कॉटलैंड में आयोजित कॉप २६ की बैठक में बतौर पर्यवेक्षक हिस्सा लेने के बाद बिहार पहुंचने पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने शनिवार को पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन के मुद्े पर स्कॉटलैंड के ग्लासगो में हालिया आयोजित कॉप२६ की बैठक पूरी तरह से भारत के नाम रही। बैठक में प्रधानमंत्री के साफ ऊर्जा के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की योजनाओं और इसके लिए तय किये गये लIयों की जमकर सराहना हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत अन्य विकासशील देशों के साथ जलवायु और ऊर्जा विशिष्ट के लIयों को पाने के लिए क्या एक्शन लिया जाए इस मुद्े को पूरे विश्व को समझाने में सफल रहा॥। उन्होंने कहा कि १२० देशों के इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने न केवल मजबूती से भारत का पक्ष रखा बल्कि विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों पर इसका ठीकरा फोडÃने की कोशिशों का अपनी कूटनीति से माकूल जवाब भी दिया। अपने अभिभाषण में उन्होंने विश्व को ‘लाइफ’ यानी लाइफ स्टाइल फॉर इनवॉयरमेंट का मंत्र देते हुए सभी के साथ मिलकर जलवायु परिवर्तन से निपटने का आह्वान किया। ड़ॉ. जायसवाल ने कहा कि पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए प्रदूषण कम करने के लिए कार्बन उत्सर्जन कम करने की बात इस तरह के हर समिट में की जाती थी‚ लेकिन पीएम मोदी के कारण पहली बार ‘नेट जीरो एमिशन’ के लIय पर बात होने लगी है। प्रधानमंत्री ने न केवल विश्व को २०७० तक भारत द्वारा ‘नेट जीरो एमिशन’ के लIय के बारे में अवगत कराया‚ बल्कि इसे प्राप्त करने के लिए ‘पंचामृत’ के रूप में पूरा रोडमैप सबके समक्ष रखा। गौरतलब हो कि नेट जीरो एमिशन का मतलब एक ऐसी व्यवस्था बनाना है‚ जहां कोयले जैसे कार्बन उत्सर्जन करने वाले संसाधनों का न के बराबर उपयोग होगा। अधिकांश ऊर्जा जरूरतें सौर या पवन ऊर्जा संयंत्रों से हासिल की जा सकेगी।
प्रधानमंत्री ने विश्व को जलवायु परिवर्तन से निपटने और ‘नेट जीरो’ का लIय प्राप्त करने के लिए भारत द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे रोडमैप के बारे में बताया। इनमें पहला लIय भारत द्वारा अपनी गैर–जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को २०३० तक ५०० गीगावाट तक लाना है। दूसरा २०३० तक भारत का अपनी >र्जा आवश्यकता का ५० फीसदी नवीकरणीय >र्जा के माध्यम से पूरा करना है। तीसरा‚ भारत द्वारा अब से २०३० तक अपने शुद्ध अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में १ बिलियन टन की कटौती करना। चौथा २०३० तक भारत द्वारा अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को ४५ फीसदी से अधिक कम करना है तथा पांचवां २०७० तक भारत द्वारा नेट जीरो का लIय हासिल करना है। उन्होंने कहा कि प्रधानमन्त्री मोदी द्वारा समिट में सभी राष्ट्राध्यक्षों के समक्ष ‘वन सन‚ वन वल्र्ड़‚ वन ग्रिड के आइडिया की भूरी–भूरी प्रशंसा की गई॥।