मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर जातीय जनगणना को बेहद जरूरी बताया और कहा कि अभी मैं इसपर अपनी तरफ से ऐलान करना उचित नहीं समझता‚ विधानसभा उप चुनाव के बाद सर्वदलीय बैठक में इस पर सर्वसम्मति से निर्णय लिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने सोमवार को ‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जातीय जनगणना बेहद जरूरी है और यदि केंद्र सरकार यह काम कराती‚ तो बहुत अच्छा होता। उन्होंने कहा कि इस मामले में बिहार के अंदर जो कराना होगा‚ वह सर्वदलीय बैठक बुलाकर सबकी सहमति से निर्णय लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि अभी मैं अपनी तरफ से इसपर ऐलान करना उचित नहीं समझता। उन्होंने कहा कि इस पर सर्वसम्मति रहेगी‚ तो सब बढिया से मदद करेंगे और मार्गदर्शन देंगे। उन्होंने कहा कि बिहार में जब भी यह काम होगा‚ तो बहुत ही अच्छे ढंग से किया जायेगा। नीतीश ने कहा कि जनगणना के साथ ही यह काम होता‚ तो बहुत अच्छी रिपोर्ट आती। इसमें कोई दिक्कत भी नहीं है। वर्ष २०११ में जातीय जनगणना अलग से किया गया था‚ जिसके कारण कई त्रुटियां रह गयीं। उन्होंने कहा कि जाति‚ उपजाति‚ उपजाति की उपजाति‚ ये तमाम चीजें होती हैं‚ लेकिन उस पर गहरे तरीके से अध्ययन करना होता है। बिहार में जब यह काम कराया जायेगा‚ तब एक–एक चीज का ख्याल रखा जायेगा। इसके लिए मेहनत करनी होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि जातीय जनगणना होगी‚ तभी ठीक ढंग से जान पायेंगे कि किनकी कितनी संख्या है और किनके लिए कितना अच्छे ढंग से काम किया जाए ताकि समाज का हर तबका आगे बढ सके। इससे राज्य का विकास होगा और देश के विकास में भी सहयोग मिलेगा। इस पर निर्णय लेना केंद्र सरकार का काम है लेकिन केंद्र सरकार अगर निर्णय नहीं लेती है‚ तब बिहार में सभी दल मिलकर निर्णय लेंगे। जातीय जनगणना कराने की मांग को लेकर नीतीश कुमार के नेतृत्व में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से मिला था। सभी को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री उनकी मांग को स्वीकार करेंगे‚ लेकिन इसी बीच केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दायर कर जाति आधारित गणना को प्रशासनिक रूप से बेहद कठिन और लंबा काम बताया था । इससे यह संदेश गया है कि केंद्र सरकार जातीय जनगणना करना नहीं चाहती है।
किस आधार पर मिलता बीमारू राज्य का तमगा……..
आपने अक्सर अखबारों और किसी राजनीतिक बहस में ‘बीमारू राज्य’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल होते हुए देखा होगा. क्या आप...