मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जातीय जनगणना को लेकर दिल्ली में दिये गए बयान को लेकर बिहार में सियासत गर्मा गई है. नीतीश के इस मुद्दे पर बयान देने के बाद उनकी सहयोगी पार्टी बीजेपी जहां संभल कर बयान दे रही है. वहीं, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस ने सीएम नीतीश कुमार पर हमला बोल दिया है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना पर बीजेपी से अलग होने की अपील करते हुए महागठबंधन को साथ आने का आह्वान किया है. दोनों विपक्षी पार्टियों ने जातीय जनगणना के मुद्दे पर मुखर होकर लड़ाई लड़ने की बात कही है.
दरअसल दिल्ली दौरे पर गए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को इस संबंध में पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर कहा कि हम लोगों ने अपनी बात कही है. हम शुरू से कह रहे हैं जातीय जनगणना होनी चाहिए. जब जातीय जनगणना होगी तभी लोगों के बारे में सही जानकारी मिल पाएगी कि कौन पीछे है, उसे आगे करने के लिए हम लोग निर्णय बेहतर ले सकते हैं.
उन्होंने कहा कि 2011 में जातीय जनगणना नहीं हुई थी, वो सोशयो-इकोनॉमिक कास्ट सेंशस थी. अभी लोग कह रहे हैं कि कई लाख जातियां हैं, तो इसके लिए पहले से तैयारी करनी चाहिए थी. हर जाति में उपजाति है. पूछने पर लोग उपजाति बोल देते हैं. तो जब जनगणना से पहले ट्रेनिंग होगी तो उपजाति को जाति के साथ जोड़ देंगे. सीएम नीतीश ने कहा कि ऐसी कोई जाति नहीं है जिसमें कोई उपजाति नहीं है. यह जरूरी है कि सब को ठीक से ट्रेनिंग देकर तब जनगणना कराई जाए.
इस मुद्दे पर हम सभी लोगों ने मिलकर अपना अनुरोध किया है. लेकिन जो कोर्ट का मामला है वो सोश्यो-इकोनॉमिक कास्ट सेंशस से जुड़ा है. इसका जातीय जनगणना से कोई लेना-देना नहीं है.
बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि हम लोग फिर से मांग करते हैं कि इस पर पुनर्विचार किया जाए और जातीय जनगणना किया जाए. आने वाले दिनों में हम सभी पार्टी के लोगों के साथ बैठेंगे उसके बाद आगे का निर्णय करेंगे कि क्या करना है. हम लोगों के विचार को सभी लोग जानते हैं. यह देश के हित में है.