वामपंथी नेता कन्हैया कुमार का भाकपा से दूर होते जाने और कांग्रेस की राह पकड़ने के कई कारण हैं। सबसे बड़ी वजह बिहार में भाकपा का छोटा होता दायरा और कन्हैया की सियासी महत्वाकांक्षा है। दूसरे दलों में उनकी ताकझांक करीब वर्ष भर पहले उसी दिन से शुरू हो गया था, जब उनके व्यवहार के चलते हैदराबाद में डी राजा की उपस्थिति में भाकपा की राष्ट्रीय कमेटी ने उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया था। भाकपा में इसे बड़ी सजा मानी जाती है। रही-सही कसर बेगूसराय के भाकपा नेताओं की उपेक्षा ने पूरी कर दी।
भाकपा के स्थानीय नेताओं से कन्हैया की कभी नहीं बनी। दो हफ्ते पहले बेगूसराय संसदीय क्षेत्र में पार्टी के एक कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया था, लेकिन आखिरी वक्त में कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया, जिसकी सूचना उन्हें नहीं दी गई। इससे दिल्ली से अपनी टीम के साथ बेगूसराय पहुंचे कन्हैया भड़क गए। भाकपा से मोहभंग होने की यह तात्कालिक वजह बनी। हालांकि इसके पहले से ही निर्णायक मूड में आते जा रहे कन्हैया को कांग्रेस की ओर से लगातार आमंत्रण मिल रहा था। दो बार राहुल गांधी से भी मुलाकात हो चुकी थी। वैसे तो पिछले वर्ष नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद भी उनके जदयू में जाने की चर्चा होने लगी थी।
कन्हैया को लोकसभा चुनाव के पहले बिहार भाकपा के तत्कालीन सचिव सत्यनारायण सिंह ने आगे बढ़ाया था। उन्हीं के समय में कन्हैया को भाकपा की केंद्रीय समिति का सदस्य बनाया गया। कम उम्र के बावजूद यह बड़ी उपलब्धि थी। कोरोना के चलते सत्यनारायण सिंह के निधन के बाद कन्हैया पार्टी में अलग-थलग पड़ने लगे। स्थानीय नेताओं से रिश्ते खराब होते गए। हालांकि दल बदलने की खबरों को भाकपा के राज्य सचिव रामनरेश पांडेय खारिज करते हैं, परंतु हालात बता रहे कि वह पार्टी की पहुंच से काफी दूर निकल गए हैं।
सूत्रों के मुताबिक भाकपा से अलग-थलग चल रहे कन्हैया को कांग्रेस में लाने का जिम्मा विधायक शकील अहमद खान निभा रहे हैं। कन्हैया से उनका गहरा लगाव है। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ आंदोलन में भी शकील बिहार में कन्हैया के साथ घूम रहे थे। कहा जा रहा है कि कांग्रेस में शामिल होने की बेताबी कन्हैया को नहीं है, लेकिन यूपी में चुनाव को देखते हुए कांग्रेस को जल्दी है। प्रशांत किशोर की सलाह पर राहुल गांधी युवा नेताओं की नई टीम बना रहे हैं। उसमें कन्हैया की भूमिका अहम हो सकती है। यूपी चुनाव के बाद उन्हें बिहार में उतारा जा सकता है।