बिहार में बच्चों में वायरल बुखार के मामले अचानक बढ़ने लगे हैं. मुजफ्फरपुर, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, सीवान और मधुबनी समेत कई ज़िले इसकी चपेट में हैं. पिछले एक महीने में राज्य में वायरल फीवर की चपेट में आकर 25 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि कई गंभीर बच्चों का इलाज चल रहा है. कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच ये डराने वाली ख़बर है. लेकिन, वायरल बुखार पीड़ित जिन बच्चों की कोरोना जांच हुई उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई. इसके बाद डॉक्टरों ने कहा यह तीसरी लहर नहीं है. इधर पटना के पीएमसीएच समेत सभी बड़े अस्पताल में बेड फुल हो चुके हैं. स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है. स्वास्थ्य विभाग ने राज्य स्वास्थ्य समिति निर्देश दिया है कि हर जिले में जाकर वहां की स्थिति का आकलन कर रिपोर्ट दे.
वहीं, वायरल फीवर पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि राज्य स्वास्थ्य समिति के टीम को सभी जिलों के अस्पतालों का दौरा करने के लिए भेजा गया है. उन्हें रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है. कई विशेषज्ञों से बातचीत में पता चला है कि वायरल फीवर ही है. सभी सरकारी अस्पतालों में बच्चों के समुचित इलाज का निर्देश दे दिया गया है. पूरे मामले पर मैं खुद नजर रख रहा हूं और लगातार अधिकारियों के संपर्क में हूं.
पटना का हाल
पटना में भी वायरल फीवर का कहर देखा जा रहा है. पटना में सरकारी अस्पतालों में एक भी बेड खाली नहीं हैं. वहीं, पटना के महावीर वात्सल्य अस्पताल में भी नीकू और पीकू के सभी 80 बेड फुल हैं. डॉक्टरों की मानें तो ये वायरल फीवर कोरोना का ही साइड इफेक्ट है, और उसकी वजह से ही बच्चों में सर्दी, खांसी से लेकर सांस लेने की समस्या आ रही है.
मुजफ्फरपुर जिले में वायरल बुखार और वायरल ब्रोंकाइटिस्ट का कहर बढ़ता जा रहा है। बीते चौबीस घंटे के दौरान स्थानीय एसकेएमसीएच में ७० और बच्चों को भर्ती किया गया। इससे अफरातफरी का माहौल बन गया। पीकू वार्ड़ फूल होने के कारण वहां से बच्चों को पुराने अस्पताल में बने इंसेफेलाइटिस वार्ड़ में शिफ्ट किया गया है। शिशु रोग विभागाध्यक्ष ड़ॉ. गोपाल शंकर साहनी ने बताया कि देर रात इसकी समीक्षा की गई और १५ बच्चे को इंसेफेलाइटिस वार्ड़ में शिफ्ट कराया गया है। इधर‚ स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांड़े ने भी अस्पताल प्रबंधन से इस बीमारी का अपड़ेट लिया। उनके निर्देश पर तत्काल व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि वायरल फीवर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पीकू वार्ड़ में बेड़ फूल हो चुका है। एक बेड़ पर दो–दो मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इससे परेशानी बढ़ती जा रही है।
ड़ॉ. साहनी ने बताया कि इंसेफ्लाइटिस वार्ड़ में ३५ बेड़ लगाए गए हैं। जिसमें १५ मरीजों को तत्काल रखा गया है। पीकू वार्ड़ में दूसरी बीमारियों के लिए १५ बेड़ खाली कराया गया है। अभी फिलहाल ११५ मरीज वायरल बुखार के चपेट में आ गए हैं। सब का इलाज चल रहा है। देर रात अचानक से ३० मरीज आने के कारण ड़ॉक्टरों की टीम भी आश्चर्यचकित है। वायरल बुखार के साथ अब ड़ेंगू के मरीज भी सामने आ रहे हैं। एसकेएमसीएच में दो और मरीजों में ड़ेंगू की पुष्टि हुई है। दोनों अहियापुर के रहने वाले हैं। इससे मरीजों की संख्या बढ़कर आठ हो गयी है। बताया गया कि एसकेएमसीएच के ओपीड़ी में दोनों मरीजों को लेकर परिजन आये थे। ब्लड़ का सैम्पल लेकर जांच के लिए भेजा गया था। जिसमे ड़ेंगू की पुष्टि हुई है। सिविल सर्जन ड़ॉ. विनय कुमार शर्मा ने बताया कि जिले के सभी पीएचसी प्रभारियों को अलर्ट कराया गया है। जिन इलाकों से ड़ेंगू और वायरल बुखार के मरीज अधिक आ रहे हैं। वहां पर विशेष निगरानी करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि पीएचसी में इस लक्षण वाले मरीजों के इलाज की व्यवस्था है। पीएचसी प्रभारियों को इससे अवगत करा दिया गया है। दवा से ही अधिकांश मरीज ठीक भी हो रहे हैं। अगर स्थिति खराब होती है तो फौरन एसकेएमसीएच रेफर करने का निर्देश दिया गया है। ताकि यहां पर इलाज की समुचित व्यवस्था हो सके।
उधर‚ जिला मलेरिया पदाधिकारी ने बताया कि जिन इलाकों से ड़ेंगू के मरीज मिल रहे हैं। वहां पर फोगिंग शुरू करा दिया गया है। मीनापुर‚ कांटी और सरैया में फोगिंग हुई है। लोगों के बीच जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। बच्चों को धूप और गन्दे पानी मे जाने से रोकने की सलाह भी दी जा रही है।
गोपालगंज में वायरल फीवर का संक्रमण धीरे धीरे बढ़ने लगा है। यहां तीन दिनों में तीन बच्चे की मौत हो चुकी है। जबकि पांच बच्चे सदर अस्पताल में भर्ती है। हैरत यह है कि बुखार से जब बच्चे संक्रमित हो रहे है तो पहले उनके अभिभावक उसे निजी अस्पतालों के चिकित्सक से इलाज करा रहे है। जब स्थिति बिगड़़ने लग रहा है तब सदर अस्पताल में लेकर पहुच रहे हैं। ऐसे तो सिविल सर्जन ड़ॉ योगेंद्र महतो का कहना है कि दो बच्चे सदर अस्पताल में इतने सीरियस स्थिति में पहुँचे कि उनका इलाज करने के दौरान तत्काल मौत हो गयी। जिन्हें वायरल फीवर था या नहीं कन्फर्म नहीं कह सकते। बैकुंठपुर प्रखंड़ के दिघवा गॉव से गोपाल नामक बच्चा आया था जिसकी मुजफ्फरपुर में मौत हो गयी। वह एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम से संक्रमित था। इसलिए उसके एरिया में कल पटना से निदेशक प्रमुख की अध्यक्षता में मेडि़कल टीम आयी थी और आसपास के ५९ बच्चों का ब्लड़ सैंपल जांच के लिए ले गयी है। जहाँ स्वास्थ्य विभाग की टीम को तैनात रखा गया है। सिविल सर्जन के मुताबिक गोपालगंज सदर अस्पताल में एक बच्चा एईएस से संक्रमित है‚उसमें भी सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि थावे प्रखंड़ के बगहा निजामत गॉव में १४ बच्चे बुखार से संक्रमित है‚जहाँ पारा मेडि़कल टीम को भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद उन बच्चों को इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया जाएगा। जबकि विशेष बनाये गये वार्ड़ में तैनात जीएनएम मंजरी कुमारी का कहना है कि पांच बच्चे है जिनका इलाज चल रहा है। वही एक बच्ची की इलाज करा रही उसकी माँ सुनैना देवी के मुताबिक स्थिति में सुधार नही दिख रहा है। यहाँ कोई ड़ॉक्टर नही है‚केवल नर्स ही है जो इलाज कर रही है।
सीमावर्ती प्रदेशों के अलावा बिहार में भी ड़ेंगू‚ चिकनगुनिया‚ चमकी आदि बुखार के मामले सामने आने के बाद पूरा विभाग सतर्क हो गया है। इसी के मद्ेनजर गुरुवार को पटना की टीम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नौतन पहुंची । वहाँ से ड़ॉक्टर जहीर आलम के साथ गंधर्पा गाँव स्थित आंगनबाड़ी केंद्र पर पहुंच कर बच्चों का सैंपल लिया । बता दें कि उत्तर प्रदेश में ड़ेंगू‚ चिकनगुनिया सहित कई वायरल फीवर की चपेट में अनेकों बच्चे आ गए हैं। इसके कुछ मामले उत्तर प्रदेश के अन्य सीमावर्ती प्रदेशों के साथ साथ बिहार में भी सामने आए हैं । इसको लेकर प्रदेश भर में विभागीय सतर्कता बढ़ गई है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे लगभग सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को सतर्क और चौकन्ना कर दिया गया है। इसके अंतर्गत उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे गाँवों के बच्चों से सैंपल लिया जा रहे हैं। हालांकि सीमावर्ती क्षेत्रों में ऐसे मामले भी सामने नहीं आया फिर भी विभाग किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहता । इसलिए एहतियातन पहले से ही बच्चों से सैंपल लेकर जाँच कर आने वाले हर ऐसे मामलों का सामना करने के पहले से तैयार रहने की कोशिश की जा रही है।