कौन कहता है कि महिला अधिकारों के मामले में कोई देश पूरी तरह से प्रगतिशील है। अमेरिका के टेक्सास में सबसे सख्त गर्भपात कानून लागू हो गया है। १ सितम्बर से लागू हुए कानून में महिलाओं को पहले छह हफ्ते के अंदर गर्भपात कराने का हक होगा‚ वह भी केवल मेडिकल वजहों से। कोई मेडिकल इमरजेंसी न हो तो महिलाएं इन छह हफ्तों में भी अनचाहा गर्भ गिराने का फैसला नहीं कर सकतीं। यह कानून आज तक अमेरिका में लागू हुए गर्भपात कानूनों में सबसे सख्त है। महिला अधिकारों की हिमायत करने वाले इस कानून से निराश हैं। उनका कहना है कि चूंकि ज्यादातर महिलाओं को पहले छह हफ्तों में तो पता तक नहीं चलता कि वे गर्भवती हैं। ऐसे में उनके पास सोचने और निर्णय लेने के लिए समय ही नहीं होगा कि वे इस गर्भ को पालना चाहती हैं या नहीं। इससे भी बड़ी बात यह है कि इस कानून में उन महिलाओं का भी कोई जिक्र नहीं है जो यौन शोषण के कारण गर्भवती हो गई हों। क्या सही होगा कि पहले ही ऐसी दुर्घटना से पैदा हुई मुसीबतें और ट्रॉमा झेल रही महिलाओं पर मां बनना भी कानूनन थोपा जाएॽ
इस लिहाज से भारत का गर्भपात कानून यानी मेडिकल टमनेशन ऑफ प्रेग्नेन्सी (संशोधन) एक्ट‚ २०२१ बहुत आधुनिक है‚ महिला अधिकारों की वकालत भी करता है। १९७१ के इस एक्ट में २०२० में संशोधन किए गए थे। पहले अगर गर्भधारण के १२ हफ्ते के भीतर गर्भपात कराना हो तो उसके लिए एक डॉक्टर की और अगर १२ से २० हफ्ते के बीच गर्भपात कराना हो तो दो डॉक्टरों की सम्मति की जरूरत होती है। संशोधन में इस समय अवधि को बढ़ाया गया है। इसके अंतर्गत अगर २० हफ्ते तक गर्भपात कराना है तो एक डॉक्टर की सलाह की जरूरत होगी। इसके अतिरिक्त कुछ श्रेणी की महिलाओं को २० से २४ हफ्ते के बीच गर्भपात कराने के लिए दो डॉक्टरों की सलाह की जरूरत होगी। असामान्य भ्रूण (फीटल अबनॉमलिटी) के मामलों मे २४ हफ्ते के बाद गर्भपात पर फैसला लेने के लिए बिल में राज्यस्तरीय मेडिकल बोर्ड्स का गठन किया गया है।१९७१ के एक्ट के तहत गर्भनिरोध के तरीके या साधन के असफल होने पर विवाहित महिला २० हफ्ते तक गर्भपात करा सकती है। संशोधन के बाद अविवाहित महिलाओं को भी इस कारण से गर्भपात कराने की अनुमति है।
वैसे अमेरिका के हर राज्य में गर्भपात को लेकर अलग–अलग कानून हैं। १९७३ में यूएस सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गर्भपात वैध है। हालांकि अलबामा जैसे कुछ राज्यों में सभी मामलों में गर्भपात पर प्रतिबंध है बशर्ते मां के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो या भ्रूण में घातक विकृति हो। कुछ राज्यों में भ्रूण के दिल की धड़कन का पता चलने या गर्भधारण के छह हफ्ते के बाद गर्भपात पर प्रतिबंध है जैसे जॉजया‚ केंटुकी। न्यूयॉर्क जैसे कुछ राज्य २४ हफ्ते तक गर्भपात की अनुमति देते हैं‚ या कैलीफोनया‚ रोड आयलैंड़ में गर्भपात तब नहीं कराया जा सकता‚ जब भ्रूण गर्भाशय के बाहर अपने आप जीवित रहने की स्थिति में आ जाए॥। भारत में सच यह भी है कि बहुत सी महिलाओं की पहुंच वैध और सुरक्षित गर्भपात तक होती ही नहीं। अखिल भारतीय ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी (२०१८–१९) में बताया गया है कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में १‚३५१ स्री रोग विशेषज्ञ और अब्स्टेट्रिशियन्स हैं‚ और ४‚००२ की कमी है यानी क्वालिफाइड डॉक्टरों की ७५ फीसद कमी है।
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