राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की आंतरिक सियासत पर नजर डालें तो हाल के दिनों में 5 प्रमुख बातें हुई हैं. पहला आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) द्वारा वरिष्ठ नेता व पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह (Jagdanand Singh) को बार-बार टारगेट करना. दूसरा तेज प्रताप यादव द्वारा खुद को सेकेंड लालू बताते हुए सोशल मीडिया अकाउंट खोलना. तीसरा तेजस्वी यादव के राजनीतिक सलाहकार पर तेज प्रताप यादव द्वारा उनको जान से मारने की साजिश रचने का आरोप लगाना. चौथा तेजस्वी यादव (Tejaswi yadav) ने तेज प्रताप की नाराजगी पर कहा हम उसी सवाल का जवाब देते हैं, जिसमें नेशनल या इंटरनेशनल मुद्दे जुड़े हों. पांचवां तेज प्रताप ने अपने सेकेंड लालू फेसबुक पेज पर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर (National Poet Ramdhari Singh Dinkar) के काव्य संग्रह ‘रश्मिरथी’ के तृतीय सर्ग ‘कृष्ण की चेतावनी’ के माध्यम से पार्टी में महाभारत के संघर्ष की चेतावनी दे डाली है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो लालू परिवार में अब विरासत की जंग अवश्यंभावी है और यह होकर रहेगा.
दरअसल, हाल के दिनों में कुछ घटनाक्रम पर नजर डालें तो साफ है कि तेज प्रताप यादव अब पीछे मुड़ने वाले नहीं हैं. भले ही वह खुद कृष्ण और तेजस्वी को अर्जुन बताते रहे हों, लेकिन उन्होंने जिस तेवर में ‘रश्मिरथि’ कविता को पोस्ट किया है. इससे जाहिर है कि लालू परिवार में विरासत की जंग छिड़ चुकी है और यह किसी न किसी अंजाम तक जरूर पहुंचेगा. इस बात की तस्दीक तेजस्वी यादव द्वारा कही गई अन्य बातों से भी स्पष्ट होती है कि वह अपने खिलाफ किसी चुनौती को स्वीकार नहीं करने जा रहे हैं, भले ही बहाना जगदानंद सिंह हों या फिर संजय यादव.
तेज प्रताप की मनमानी, तेजस्वी की चेतावनी
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि तेजस्वी यादव ने अपने बडे भाई तेजप्रताप यादव को जिस तरह इशारों ही इशारों में अनुशासन में रहने की नसीहत दी है इससे यह साफ है कि राजद में तेजस्वी यादव द्वारा अब तेजप्रताप पर अंकुश लगाने या फिर उन्हें साइड लाइन करने की करने की तैयारी शुरू हो गई है. ऐसे भी लालू प्रसाद यादव ने भी तेजस्वी यादव को ही अपना उतराधिकारी करीब-करीब घोषित कर ही दिया है. उन्होंने हाल में ही अपने बयान में कहा था कि तेजस्वी लालू यादव से भी आगे निकल चुके हैं और उनमें बिहार का मुख्यमंत्री बनने के सारे गुण हैं.
तेज प्रताप को छोड़ जगदानंद सिंह के साथ खड़े तेजस्वी
बिहार प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह और राजद के प्रमुख लालू प्रसाद के बडे पुत्र तेजप्रताप के बीच मुख्य संग्राम छिड़ा है, लेकिन निशाने पर एक-दूसरे के समर्थक भी आ रहे हैं. जगदानंद सिंह ने तेज प्रताप के करीबी आकाश यादव को हटाकर जब गगन यादव को छात्र राजद का अध्यक्ष बनाया तो तेज प्रताप के विरोध के बावजूद तेजस्वी यादव ने जगदानंद सिंह का खुलकर समर्थन किया. तेजस्वी ने स्पष्ट कहा कि जगदा बाबू प्रदेश अध्यक्ष हैं और प्रदेश संगठन के फेरबदल में वे स्वतंत्र हैं. इसमें मेरा कोई हस्तक्षेप नहीं है. उन्होंने सवाल पूछा कि जगदा बाबू से अनुभवी कौन सा नेता हैं?
तेजस्वी यादव का खुलकर विरोध नहीं करते तेज प्रताप यादव
जानकार भी कहते है, तेजस्वी यादव ने पार्टी की ओर से तेज प्रताप को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि वे या तो अनुशासन में रहे या उन्हें पार्टी उन्हें साइडलाइन कर सकती है. दरअसल बिहार की राजनीति को समझने वाले विशेषज्ञ अशोक कुमार शर्मा कहते हैं कि तेज प्रताप के मन में टीस तो है, लेकिन वह खुद को पूरे तौर पर अलग नहीं करना चाहते हैं. इसलिए वह तेजस्वी को सीधे-सीधे नहीं, बल्कि उनके साथ के लोगों को टारगेट करते हैं. यह बात तेज प्रताप यादव को भी पता है कि वह तेजस्वी यादव का खुले तौर पर विरोध करके अपनी स्थिति हासिल नहीं कर सकते हैं.
तेज प्रताप यादव की फितरत है बागी तेवर
अशोक कुमार शर्मा कहते हैं कि यही वजह है कि तेज प्रताप खुद को अक्सर ‘कृष्ण’ बताते हुए तेजस्वी को ‘अर्जुन’ बताकर उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की बात करते हैं, लेकिन तेजप्रताप पार्टी में खुद को सम्मानजनक स्थिति में जरूर रखना चाहते हैं. तेजप्रताप अपने बयानों से जगदानंद सिंह पर तो निशाना साध ही रहे हैं, तेजस्वी के रणनीतिकार माने जाने वाले संजय यादव और राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी को भी तेजप्रताप ने अपने बयानों से निशाने पर लिया है. इससे पहले तेज प्रताप यादव ने राजद के वरिष्ठ दिवंगत नेता रघुवंश प्रसाद सिंह को भी एक लोटा पानी कह चुके थे. रामचंद्र पूर्वे पर भी कई आरोप लगाए थे.
छोटे ने बड़े भाई को पढ़ाया अनुशासन का पाठ!
हाल में जब प्रदेश छात्र राजद अध्यक्ष आकाश यादव को जगदानंद सिंह ने हटा दिया तो तेज प्रताप यादव की प्रतिक्रिया पर तेजस्वी यादव का रिएक्शन भी काबिले गौर है. तेजस्वी यादव ने अपने बडे भाई तेजप्रताप यादव को जिस तरह इशारों ही इशारों में अनुशासन का पाठ पढ़ा दिया. जातिगत जनगणना पर 23 अगस्त को पीएम से मुलाकात के लिए पटना से जाते वक्त तेजस्वी यादव ने मीडिया में यह बात खुलकर कहा कि तेजप्रताप यादव बड़े भाई हैं, ये अलग बात है. माता-पिता ने हमें यह संस्कार दिया है कि बड़ों का आदर करो, सम्मान दो. अनुशासन में रहो.
लालू यादव की नजर में तेजस्वी यादव काबिल
दरअसल इसके पीछे की वजह यह भी है कि विधानसभा चुनाव में पिछले वर्ष जिस तरह राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के नहीं रहने के बाद भी तेजस्वी यादव ने परिश्रम कर राज्य में सबसे अधिक सीट पार्टी को दिलवाई है, उसके बाद लालू प्रसाद भी तेजस्वी की तारीफ कर रहे हैं. इसमें जगदानंद सिंह की रणनीति और संजय यादव के सोशल मीडिया मैनेजमेंट की भी बड़ी भूमिका मानी जा रही है. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि यह साफ है कि लालू यादव ने भी मोटे तौर पर तेजस्वी यादव को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर ही दिया है.
तेज प्रताप के मन में अब भी है टीस!
हालांकि, लालू परिवार के बीच विरासत की जंग वर्ष 2016 की शुरुआत में काफी विस्तार पा चुका था. इसके बीच-बचाव के लिए लालू यादव ने सीम नीतीश और प्रशांत किशोर ने पहल की थी. दरअसल तेजस्वी को कमान सौंपने के बाद मीसा भारती राजद की राजनीति में दखल देने लगी थीं. इससे परेशान लालू प्रसाद ने मीसा भारती को राज्यसभा में भेज दिया गया था. तब यह कहा गया था कि वह दिल्ली और लोकसभा चुनाव से जुड़ी बातें देखेंगी. वहीं, तेजस्वी यादव को तेजप्रताप के साथ बिहार की कमान सौंपी गई थी. हालांकि तेज प्रताप यादव इससे संतुष्ट नहीं थे.
राजद पर तेजस्वी यादव का पूरा कमांड
दरअसल वह बड़ा बेटा होने के नाते खुद को लालू यादव का उत्तराधिकारी मानते हैं. वे अक्सर अपने आपको दूसरा लालू भी कहते हैं. लालू के चारा घोटाले में जेल जाने के बाद उनकी तबीयत भी खराब रहने लगी है. वहीं, दूसरी ओर लालू के उतने सक्रिय नहीं रह पाने के कारण तेज प्रताप, तेजस्वी यादव, मीसा भारती और अब रोहिणी आचार्य भी अपने अपने राजनीतिक कद को बढ़ाने में लगे हैं. हालांकि लालू प्रसायद यादव ने भी तेजस्वी यादव को अपनी राजनीतिक विरासत एक तरह से सौंप भी दी है और तेजस्वी उसी अंदाज में पार्टी पर पकड़ भी बना चुके हैं.
तेज प्रताप के तेवर को देख रिस्क नहीं लेगा राजद!
दूसरी ओर तेज प्रताप भी कई बार कह चुके हैं कि उनकी भूमिका तेजस्वी यादव को सलाह देने भर की है. वह कई बार तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने की बात कह चुके हैं. राजद के मतदाता भी पूरे तौर पर लालू प्रसाद के उत्तराधिकारी के रूप में तेजस्वी को मान चुके हैं. भले ही तेज प्रताप खुद को दूसरा लालू कहते हों, लेकिन मतदाताओं की नजर में भी तेज प्रताप यादव लालू का विकल्प नहीं हो सकते हैं. ऐसी स्थिति में तेज प्रताप को लेकर राजद कोई भी ‘रिस्क’ उठाने को तैयार नहीं है. लेकिन, यह भी स्पष्ट है कि तेज प्रताप की राजद की राजनीति में बड़ी भूमिका की महत्वाकांक्षा है जो बार-बार उनके बयानों से स्पष्ट होता है. ऐसे में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और लालू परिवार में मचा घमासान फिलहाल शांत होता नहीं दिख रहा है.