विपक्ष के 11 मुख्य राजनीतिक दलों ने सरकार पर संसद में चर्चा कराने की मांग नहीं मानने का आरोप लगाया। उन्होंने बृहस्पतिवार को दावा किया कि राज्यसभा में कुछ महिला सदस्यों समेत कई सांसदों से धक्का–मुक्की ऐसे लोगों ने की‚ जो संसद की सुरक्षा का हिस्सा नहीं थे। विपक्षी दलों के नेताओं ने संयुक्त बयान में सरकार के ‘अलोकतांत्रिक कदमों’ की निंदा की और कहा कि राज्यसभा जो कुछ हुआ वह हैरान करने वाला तथा सदन की गरिमा और सदस्यों का अपमान है। उन्होंने कहा कि सरकार पेगासस मामले पर चर्चा करने से भाग रही है। संयुक्त बयान पर राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष मल्लिाकर्जुन खड़़गे‚ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार‚ द्रमुक के टीआर बालू समेत ११ दलों के नेताओं के हस्ताक्षर हैं। विपक्षी दलों की बैठक में तृणमूल कांग्रेस‚ आप और बसपा के नेता बैठक में शामिल नहीं हुए। विपक्षी नेताओं ने दावा किया कुछ महिला सांसदों समेत सदन के कई सदस्यों के साथ ऐसे बाहरी लोगों ने धक्का–मुक्की की जो संसद की सुरक्षा का हिस्सा नहीं हैं। विरोध प्रदर्शनः राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में बैठक करने के बाद विपक्षी नेताओं ने संसद भवन से विजय चौक तक पैदल मार्च किया। इस दौरान कई नेताओं ने बैनर और तख्तियां ले रखी थीं। बैनर पर ‘हम किसान विरोधी काले कानूनों को रद्द करने की मांग करते हैं’ लिखा हुआ था। विपक्षी नेताओं ने ‘जासूसी बंद करो’‚ ‘काले कानून वापस लो’ और ‘लोकतंत्र की हत्या बंद करो’ के नारे भी लगाए।
सत्ता पक्ष के नौ मंत्रियों ने मॉनसून सत्र के दौरान विपक्ष पर लोकतंत्र की मर्यादा तार–तार करने और राज्यसभा में सभापति पर कातिलाना हमला करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इसके लिए विपक्ष को माफी मांगनी चाहिए। मंत्रियों ने मांग की कि कुछ सदस्यों ने नियम पुस्तिका में वणत दंड से बाहर अपराध किया है इसलिए सभापति को एक कमेटी बनाकर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई सदस्य मर्यादा पार करने से पहले सोचे। सरकार की तरफ से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी‚ राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल‚ शिक्षा मंत्री धर्मेंन्द्र प्रधान‚ अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी‚ पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव‚ सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर‚ संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुरलीधरण और अर्जुन मेघवाल प्रेस के सामने उपस्थित हुए। प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार की तरफ से हमने विपक्ष से रोज मुलाकात की और उनसे सदन चलने देने के लिए आग्रह किया लेकिन वे तैयार नहीं हुए। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष के कुछ सदस्यों ने उन्हें धमकी दी कि यदि शोर–शराबे के बीच विधेयक पारित किए गए तो उसके बुरे नतीजे देखने होंगे। जोशी ने कहा कि सदस्यों के व्यवहार से साफ है कि उन्होंने न केवल राज्यसभा की मर्यादा को भंग किया‚ बल्कि लोकतंत्र पर हमला किया। महिला मार्शल को चोट पहुंचाई और राज्यसभा महासचिव की तरफ किताब फेंकी। पहली बार हुआ कि पीएम को नए मंत्रियों का परिचय नहीं देने दिया गया। उन्होंने कहा कि पूरे विपक्ष को देश से माफी मांगनी चाहिए और सभापति एम वेंकैया नायडू को किसी वरिष्ठ सदस्य के नेतृत्व में कमेटी का गठन करनी चाहिए। यह कमेटी सुझाव दे कि सदन में इस तरह का व्यवहार करने वाले सदस्यों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई की जाए कि दोबारा कोई भी सदस्य इस तरह की हरकत करने से पहले सौ बार सोचे।