बिहार की सियासत में दो मुद्दा गर्म है और इस पर बिहार एनडीए के भीतर ही खींचतान जारी है. पहला जातिगत जनगणना तो दूसरा जनसंख्या नियंत्रण कानून है. सबसे खास बात यह है कि इन दोनों ही मुद्दे पर आरजेडी और जेडीयू एक साथ खड़ी है तो भाजपा का स्टैंड अलग है. जाति आधारित जनगणना की मांग करते हुए सीएम नीतीश कुमार मांग कर रहे हैं कि मंडल कमीशन की प्रमुख अनुशंसा आरक्षण लागू कर दिया गया है, लेकिन शेष अनुशंसाओं को केंद्र सरकार लागू करे. वहीं, भाजपा जातिगत जनगणना को लेकर अब तक खुलकर कुछ नहीं कह रही है, लेकिन पार्टी के कई नेता सिर्फ यह कह रहे हैं कि जनगणना तो अनुसूचित जाति-जनजाति की होनी चाहिए न कि सभी जातियों की.
साफ है कि सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जदयू निशाने पर जहां ओबीसी वोटर हैं. वहीं, दूसरी तरफ लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद है जो जातीय जनगणना को मुद्दा बनाकर ओबीसी वोटरों को साधने की कोशिश में है. इसी में तीसरा सियासी कोण भाजपा का भी है जिसने हाल में मेडिकल एडमिशन में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देकर अपनी रणनीति स्पष्ट कर दी है कि वह भी ओबीसी वर्ग को साथ तो चलेगी ही साथ ही अनुसूचित जाति-जनजाति को भी लामबंद करेगी.
राजनीति के जानकारों की मानें तो सियासी खींचतान हर ओर है, लेकिन दुविधा बीजेपी-जेडीयू के संबंधों को लेकर अधिक सामने आ रही है. बिहार में सरकार में साथ रहते हुए दोनों ही दलों को एक दूसरे के जनाधार का पुख्ता आधार भी चाहिए. इस बीच जातीय जनगणना को लेकर सीएम नीतीश ने नया दांव यह चल दिया है कि उन्होंने पीएम मोदी को इसको लेकर खत लिखा है, लेकिन जवाब नहीं आया है. वह इस बात को बार-बार दुहरा भी रहे हैं कि उन्हें पीएम मोदी के जवाब का इंतजार है. जाहिर है कि बीते बिहार विधान सभा चुनाव में नंबर एक से नंबर तीन पर खिसक गई जदयू की अपनी रणनीति है.
पीएम क्यों नहीं दे रहे जवाब?
विशेषज्ञ बताते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर मंडल राजनीति के आसरे जेडीयू के जनाधार को मजबूत करने के प्रयास में हैं. ओबीसी वोट बैंक के लिहाज से जेडीयू के निशाने पर भाजपा है. पर यहां एक सवाल सियासी गलियारों में खूब चर्चा में है कि आखिर एनडीए का हिस्सा होते हुए जातीय जनगणना पर सीएम नीतीश कुमार के खत का जवाब पीएम मोदी क्यों नहीं दे रहे? इसपर सियासी जानकार बताते हैं कि दरअसल भाजपा व जदयू दोनों ही पार्टियां चाहती हैं कि ओबीसी वर्ग की समझ में यह बात डाली जाए कि उनकी सच्ची हितैषी वही है, ऐसे में किसी एक को क्रेडिट न चला जाए, चिंता इस बात की है.
बिहार में मंडल राजनीति ही आधार
सियासी जानकार बताते हैं कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव की राजनीति का मुख्य आधार ही मंडल राजनीति रही है. 1990 में मंडल कमीशन लागू होने के बाद पिछड़े वर्ग को हक मिला. इसके साथ ही बीतते वक्त के साथ इस राजनीति की धार कुंद होती गई. पर पहले सवर्णों व बनियों की पार्टी मानी जाने वाली भारतीय जनता पार्टी ने अपने जनाधार के विस्तार के लिए इस राजनीति की डोर थाम ली. केंद्र में सत्ता मिलते ही पहले पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक मान्यता दी, फिर क्रीमी लेयर की आय सीमा बढ़ाई. अब मेडिकल में दाखिले के लिए ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दे दिया
भाजपा ने अपनाई है अलग रणनीति
जाहिर है भाजपा अपनी रणनीति के तहत आगे बढ़ती जा रही है. दूसरी ओर नीतीश कुमार की पार्टी जदयू विधान सभा में केवल 43 सीटें जीत कर एनडीए में छोटे भाई की भूमिका में आ गई है जबकि भाजपा 74 सीटें जीतकर बड़े भाई की भूमिका में. अब ये भूमिका चुनाव तक ही सीमित नहीं दिखाई दे रही है बल्कि जनाधार के विस्तार की नीतियों के साथ आगे बढ़ रही है. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि भाजपा अब राज्य में अपनी जमीन मजबूत कर रही है. ओबीसी को मेडिकल में आरक्षण के साथ ही EWS कोटे के साथ 10 प्रतिशत आरक्षण देकर जहां सवर्णों को भी साधने में कामयाब होती दिख रही है.
नीतीश कुमार की अपनी पॉलिटिक्स
राजनीतिक विशेषज्ञों की नजर में भाजपा की रणनीति यह भी है कि खुद को मजबूत किया जाए और सीएम नीतीश कुमार के वास्तविक जनाधार (ओबीसी वर्ग) के साथ खड़े होकर उसकी भी सहानुभूति ली जाए. ऐसे भी पीएम नरेंद्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह स्वयं में ओबीसी समुदाय के बड़े चेहरे हैं. दूसरी ओर सीएम नीतीश कुमार भी अपनी रणनीति के तहत आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने सवर्ण समुदाय से आने वाले ललन सिंह को जहां राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया वहीं, कुर्मी समुदाय के आरसीपी सिंह को केंद्र में मंत्री. इसी तरह उपेंद्र कुशवाहा को संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बना ‘लव-कुश’ (कुर्मी-कोइरी) एकजुटता की नीति अपनाई है.
चिराग ने नीतीश को पहुंचाया नुकसान
सियासत के एक्सपर्ट बताते हैं कि चिराग पासवान को नीतीश के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारने की भाजपा की ही रणनीति थी. इस बात को चिराग ने भी कहा था कि बिहार एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने के फैसले के बारे में बीजेपी के साथ चर्चा की गई थी. विशेष रणनीति के तहत बीते विधान सभा चुनाव में चिराग पासवान की लोजपा ने जदयू उम्मीदवारों के सामने अपने प्रत्याशी उतारे और 6 प्रतिशत वोट लाकर नीतीश की जदयू को भारी नुकसान पहुंचाया था. बदली सियासी परिस्थितियों में नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री जरूर हैं, लेकिन वह भी भाजपा की रणनीति को समझ चुके हैं.
मंडल पॉलिटिक्स को नई धार दे रहे नीतीश
राजनीति के जानकारों की नजर में यही कारण है कि नीतीश कुमार एक तरफ जातीय जनगणना कराने पर जोर दे रहे हैं जबकि भाजपा इसे नकारते हुए अनुसूचित जाति-जनजाति की जनगणना व जनसंख्या नियंत्रण कानून पर जोर दे रही है. नीतीश जहां यह कह रहे हैं कि जाति आधारित जनगणना से सभी जातियों को मदद मिलेगी और उनकी सही संख्या पता चल सकेगी. इसके आधार पर नीतियां बनाई जा सकेंगी. वहीं, बीजेपी जनसंख्या कानून पर जोर दे रही है जिसे नीतीश खारिज कर रहे हैं. जाहिर है नीतीश जहां मंडल राजनीति को नई धार देने की कवायद में हैं.
परसेप्शन की पॉलिटिक्स में माहिर मोदी टीम
दूसरी ओर भाजपा ओबीसी व सवर्ण आरक्षण देने के साथ ही जनसंख्या कानून की मांग के सहारे हिंदुओं की एकजुट करने की रणनीति पर चल रही है. जबकि अनुसूचित-जाति-जनजाति की जनगणना पर जोर देकर एक विशेष रणनीति के तहत आगे बढ़ रही है. हाल में जब जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन ने पीएम मोदी से मुलाकात की थी तो राजनीति के जानकार भाजपा की अगली रणनीति से जोड़ रहे हैं. संतोष कुमार सुमन ने जहां यूपी चुनाव में भाजपा के साथ गठजोड़ कर चुनाव लड़ने की बात कही है. जाहिर है भाजपा में पीएम मोदी की टीम परसेप्शन की राजनीति के आसरे भी अपनी रणनीतियों को अंजाम दे रही है.
… तो यह चाह रही है भारतीय जनता पार्टी!
सियासी जानकारों के अनुसार बीते विधान सभा चुनाव में राजद ने 75 व महागठबंधन ने 110 सीटें लाकर जिस तरह का दम दिखाया है, इससे नीतीश कुमार की पकड़ बिहार की राजनीति पर कम होती दिखाई दे रही है. ऐसे में लालू-राबड़ी राज के दौर में दोबारा नहीं जाने की चाहत रखने वाले लोगों के सामने नीतीश के बाद भाजपा मजबूत विकल्प के तौर पर दिखना चाहती है. भाजपा को पता है कि बिहार की राजनीति का बड़ा आधार जाति ही है. ऐसे में वह भी इस सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ रही है. जातीय राजनीति के साथ ही जनसंख्या नियंत्रण कानून को मुद्दा बना हिंदुओं की एकजुटता पर जोर देकर अपनी पार्टी को मजबूत करने की रणनीति के तहत आगे बढ़ रही है.