पेगासस मामले और कृषि कानून के मुद्दे पर हंगामे के कारण संसद का मानसून सत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है और लगातार कार्यवाही टालने की नौबत आ रही है. संसद सत्र को शुरू हुए सात से अधिक दिन हो चुके हैं लेकिन ज्यादा समय विपक्षी सांसदों के हंगामे और विरोध की ही भेंट चढ़ा है. गुरुवार को भी हंगामें के चलते लोकसभा की कार्यवाही पहले 11:30 बजे और फिर दो बजे और राज्यसभा की कार्यवाही पहले दोपहर 12 बजे और फिर दोपहर दो बजे तक टालनी पड़ी. बुधवार को भी विपक्ष के हंगामे के कारण कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी थी. लोकसभा की कार्यवाही के दौरान विपक्ष ने लोकसभा में स्पीकर के चेयर के ऊपर कागज के टुकड़े फेंके थे.
लोकसभा में स्पीकर ओम बिरला ने सदन में कड़ा संदेश दिया. उन्होंने हंगामा करने वाले सांसदों को चेतावनी देते हुए कहा हमें सदन की गरिमा बनाए रखनी होगी. बिरला ने कहा कि आसन के प्रति कल जो आचरण हुआ वह अनुचित था. सदस्य अपने आचरण और व्यवहार में मर्यादाओं का ध्यान रखें. भविष्य में यदि स्वस्थ परंपरा टूटी तो कड़ी कार्रवाई करनी पड़ेगी. लोकसभा अध्यक्ष ने सवाल किया, क्या कल की घटना को न्योयचित मानते है? सामूहिक तौर पर निर्णय करना होगा तभी लोकतंत्र मजबूत रहेगा. आप, लाखों लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं.
सुबह 11 बजे राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो सभापति वेंकैया नायडू ने सदस्यों से कहा कि कृपया सदन को बाधित न करें. सभापति ने आवश्यक दस्तावेज पटल पर रखवाए. इसके बाद उन्होंने कहा कि उन्हें तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर रॉय, कांग्रेस के रिपुन बोरा, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव और विश्वंभर प्रसाद निषाद, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा, वाम सदस्य इलामारम करीम और विनय विश्चम सहित विभिन्न सदस्यों की ओर से नियम 267 के तहत नोटिस मिले हैं.सभापति ने कहा कि उन्होंने इन नोटिस पर गौर किया और उन्हें स्वीकार करने योग्य नहीं पाया. इस के बाद सदन में विपक्षी सदस्यों का हंगामा शुरू हो गया. सभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थानों पर जाने की अपील की और कहा कि सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर गौर किया होगा. इस दौरान विपक्षी सांसदों का हंगामा जारी रहा और बाद में कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित करनी पड़ी.