काग्रेस नेतृत्व आजकल कितना मजबूर हो गया है इसकी बानगी पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नवजोत सिंह सिद्धू की ताजपोशी है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंंदर सिंह व पंजाब के अन्य नेताओं की सारी आपत्तियों को दरकिनार कर सिद्धू को पंजाब राज्य का कांग्रेस अध्यक्ष पद सौंप दिया गया है। उनके साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए गए हैं जिनमें एक सिख ओबीसी‚ एक दलित सिख‚ एक हिंदू और एक जाट हैं। चारों कार्यकारी अध्यक्ष कांग्रेस नेता राहुल गांधी समर्थक हैं और इन्हें सामाजिक संतुलन को साधने के लिए पदासीन किया गया है। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि यह सिद्धू को काबू में रखने की कवायद है। सिद्धू २०१७ में भाजपा छोड़़कर कांग्रेस में आने के बाद से ही अपने लिए सही पद के लिए जोरदार कोशिश में जुटे हुए थे लेकिन अमरिंदर सिंह के आगे उनकी एक नहीं चल पा रही थी । लगभग दो महीने से चल रही जद्ोजहद के बाद जब हाईकमान द्वारा भेजे गए पर्यवेक्षक भी अमरिंदर सिंह और सिद्धू को नहीं मना पाए तब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मोर्चा संभाला। सिद्धू की ताजपोशी कांग्रेस पार्टी के मामलों में प्रियंका के बढ़ते प्रभाव का भी संकेत है। क्रिकेटर से राजनीतिज्ञ बने सिद्धू पंजाब में बेहद लोकप्रिय हैं और अति महत्वाकांक्षी हैं। कांग्रेस में आने के बाद उन्होंने पहले तो खुद को पार्टी मेंअमरिंदर विरोधी आवाज के रूप में स्थापित किया और साथही साथ बादल विरोधी अभियान भी चलाया। लेकिन उनकी मुहिम को तब पंख लग गए जब आम आदमी पार्टी ने पंजाब में सभी सीटों पर चुनाव लड़़ने की घोषणा करते हुए जनता को ३०० यूनिट बिजली फ्री देने का वादा कर दिया। पंजाब दौरे में आप नेता अरविंद केजरीवाल ने सिद्धू की तारीफ कर दी। सिद्धू के आप में जाने की खबरें उड़़ने लगीं तो दिल्ली में आप से मार खा चुकी कांग्रेस को पंजाब का किला खतरे में पड़़ता दिखा और सिद्धू की पूछ बढ़ गई। यह मान लेना कि पंजाब कांग्रेस का झगड़़ा सुलझ गया है भारी भूल होगी‚ अभी से सवाल उठने लगे हैं कि यदि मार्च २०२२ के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सत्ता में वापस लौटने में सफल रही तो क्या अमरिंदर ही कांग्रेस के स्वतः विकल्प होंगे। ये सवाल ही नए विवाद की जड़़ बनेंगे। सिद्धू के उत्थान से राजस्थान और छत्तीसगढ़ कांग्रेस में सत्ता के झगड़े़ बढ़ेंगे जिन्हें किसी तरह दरी के नीचे दबाकर रखा गया है।
चंडीगढ़ में सोमवार को माहौल देखने लायक था. पंजाब कांग्रेस के नए मुखिया बनाए गए नवजोत सिंह सिद्धू पार्टी के विधायकों और वरिष्ठ नेताओं से घर-घर जाकर मिल रहे थे. केक काटने, मिठाइयां खाने-खिलाने, पीठ थपथपाने और पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों से सीधी मुलाकात को देखकर पता चल रहा था कि यह नई ‘सिद्धू टीम’ तैयार हो रही है. हालांकि, इस दौरान कैप्टन अमरिंदर से कोई मुलाकात नहीं हुई और ना ही कोई बधाई संदेश प्राप्त हुआ. प्रियंका गांधी वाड्रा की सलाह पर सिद्धू का एक अलग चेहरा भी देखने को मिला. कभी घमंडी कहा जाने वाला नेता आज सक्रिय होकर खुद विधायकों और नेताओं तक पहुंच रहा है. उन्होंने इस प्रोटोकॉल की भी चिंता नहीं कि पहले विधायक आकर उनसे मुलाकात करेंगे.
सिद्धू 11 का शीर्ष क्रम
अगर क्रिकेट की भाषा में देखें तो सिद्धू 11 के पास ऐसे कई रिजर्व खिलाड़ी हैं, जो आकार लेते दिख रहे हैं. इस टीम के शीर्ष क्रम में अमरिंदर सिंह राजा, कुलबीर सिंह जीरा और निर्मल सिंह शुतराना का नाम शामिल है. देर रात हुई बड़ी घोषणा के बाद ये विधायक सोमवार सुबह सबसे पहले सिद्धू के आवास पर पहुंचे थे. इतना ही नहीं सिद्धू की चंडीगढ़ यात्रा के दौरान राजा और जीरा पूरे समय उनकी कार में रहे. राजा ही सिद्धू की गाड़ी चला रहे थे. रास्ते के बीच में जलालपुर विधायक मदन लाल भी इनके साथ हो लिए. सिद्धू के शीर्ष क्रम में जलंधर विधायक और पूर्व हॉकी कप्तान परगट सिंह का नाम भी शामिल है. ये वो नाम है, जो सिद्धू के साथ तब भी रहे जब कोई उनका साथ नहीं दे रहा था.
सिद्धू का अनुभवी मध्यम क्रम
सोमवार को सिद्धू की गाड़ी सबसे पहले मोहाली में कुलजीत सिंह नागरा के आवास पर रुकी. राज्य में पार्टी के चार नए कार्यकारी अध्यक्षों में शामिल नागरा ने सिद्धू को गर्मजोशी से गले लगाया. उन्होंने सिद्धू के लिए केक की व्यवस्था की और कहा कि पंजाब में इस ‘गेम चेंजर’ नियुक्ति के साथ एक नई शुरुआत हो रही है. इसके बाद पंजाब कांग्रेस के नए मुखिया नागरा को लेकर पंजाब कांग्रेस युवा मोर्चा के अध्यक्ष बरिंदर ढिल्लन के घर पहुंचे.
कांग्रेस कैडर को अपने पक्ष में लाने के लिए सिद्धू के लिए ढिल्लन और नागरा का समर्थन अहम है. ये दोनों मिलकर सिद्धू की टीम का एक मजबूत मिडिल ऑर्डर तैयार कर सकते हैं. इसके बाद ये सभी नेता मंत्री त्रिपत राजिंदर सिंह बाजवा के घर पर चाय से पहले पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ और केंद्रीय मंत्री रजिया सुल्ताना से मिले. बाजवा को भी सिद्धू की टीम का मजबूत चेहरा माना जा रहा है.
बाजवा के घर पर ही 25 विधायकों ने सिद्धू के साथ ग्रुप फोटो लिया. इस तस्वीर ने पंजाब की राजनीति में नई गतिशीलता का संदेश दिया. जब प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता सिद्धू के साथ बाजवा के चंडीगढ़ के सेक्टर 2 स्थित आवास पर मौजूद थे, तब 200 मीटर से भी कम दूरी पर आधिकारिक आवास पर सीएम अपने वफादार नेताओं के साथ बैठक कर रहे थे. इस दौरान सिद्धू और सिंह की मुलाकात की खबर नहीं है. इसके अलावा सिद्धू कांग्रेस के पूर्व सीएम राजिंदर कौर भट्टल से मिले और बाद में चंडीगढ़ स्थित पंजाब कांग्रेस भवन पहुंचे.
निचला क्रम
सिद्धू कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरफ से नजरअंदाज किए गए नेताओं से भी मिल रहे हैं. चंडीगढ़ आने से पहले सोमवार को उन्होंने लुधियाना, जलंधन और पटियाला में कांग्रेस विधायकों को अपने पक्ष में लाने के लिए मुलाकात की. जब सिद्धू विधायक बावा हैनरी से उनके पिता पूर्व मंत्री अवतार हैनरी से उनका समर्थन मांगने के लिए पहुंचे, तो परगट सिंह उनके साथ थे. इस दौरान विधायक संगत सिंह गिल्जियां भी हैनरी के आवास पर सिद्धू से मिलने पहुंचे थे. उन्होंने रविवार को दो और विधायक गुरकीरत सिंह कोटली और लखबीर सिंह लक्खा से भी मुलाकात की.
सुखजिंदर रंधावा भी सिद्धू की टीम के मजबूत सदस्य के रूप में उभर रहे हैं. पटियाला में विधायक मदन लाल और निर्मल सिंह शतुराना से मुलाकात के दौरान वे सिद्धू के साथ थे. जलालपुर विधायकों के साथ बैठक के दौरान विधायक वीरेंद्र सिंह पहाड़ा और दर्शन सिंह ब्रार भी मौजूद थे. सिद्धू ने मिलने की इच्छा जाहिर करते हुए इन सभी विधायकों को खुद फोन लगाया था.