भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर ने संविधान में धारा–४४ के अन्तर्गत समानता पर जोर दिया। उन्होंने २ दिसम्बर १९४८ को संविधान सभा में कहा कि हमें समान नागरिक संहिता लागू करने की कोशिश करनी चाहिए। दिल्ली उच्च न्यायालय की ताजा टिप्पणी न केवल बाबा साहेब की भावना के अनुरूप है‚ बल्कि तेजी से बदले भारतीय समाज के संदर्भ में पहले से ज्यादा प्रासंगिक है। ॥ उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट १९८५ से अब तक ३५ साल में ५ बार समान नागरिक संहिता लागू करने की जरूरत बता चुका है‚ लेकिन कांग्रेस की सरकारों ने कभी इसे लागू करने की इच्छा नहीं दिखायी। लोकसभा में दो–तिहाई से ज्यादा बहुमत वाली राजीव गांधी की सरकार ने तो शाहबानो गुजारा भत्ता मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट कर समान नगरिक संहिता लागू करने का बडा अवसर खो दिया था। श्री मोदी ने कहा कि उत्तराधिकार‚ विवाह‚ गोद लेना‚ तलाक और तलाकशुदा के गुजारा भत्ता संबंधी मामले निपटाने की अडचनें समान नागरिक संहिता लागू होने से खत्म हो जायेंगी।इससे महिलाओं के साथ जातीय और धार्मिक आधार पर कोई भेद–भाव या अन्याय नहीं किया जा सकेगा।
सूरज उगल रहा है आग, मई में ही हुआ जीना मुहाल, 40 के पार पहुंचा पारा……..
सूरत मानों धरती को आंखे तरेर रहा है और अपना रौद्र रुप दिखा रहा है. देश में मई महीने में...