बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार है। नीतीश कुमार JDU से हैं। लेकिन, क्या आपको पता है कि नीतीश कुमार के CM रहते हुए भी उनकी सरकार से लेकर उनके दल तक में पावर का विकेंद्रीकरण हो चुका है। JDU सत्ता में है तो इसके पास पावर तो है ही। लेकिन ये पावर सिर्फ CM नीतीश कुमार के पास ही नहीं है। ये अलग-अलग नेताओं के पास है और ये नेता इसका अलग-अलग उपयोग भी करते हैं। नीतीश कुमार के अलावा ये पावर सेंटर हाल के साल में बने हैं। पहले और दूसरे कार्यकाल में तो नीतीश कुमार सुपर पावर सेंटर थे। लेकिन बाद के सालों में नीतीश कुमार के अलावा और भी पावर सेंटर बन गए हैं। इस रिपोर्ट में बताएंगे कि कहां-कहां है पावर सेंटर ।
नीतीश कुमार
नीतीश बिहार के CM हैं। पार्टी में कोई पद नहीं है। लेकिन JDU के सर्वेसर्वा हैं। सरकार और JDU में इनके द्वारा ही फैसले लिए जाते हैं। दिसंबर 2020 तक JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। बाद में उन्होंने ये कहते हुए पद छोड़ दिया कि एक व्यक्ति एक पद पर ही रहेगा। उसके बाद आरसीपी सिंह नए राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए। JDU से राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोड़ने बावजूद नीतीश कुमार के पास पार्टी से जुड़े निर्णय लेने का पूरा अधिकार है।
बिहार में JDU के नेता के तौर पर नीतीश कुमार को ही देखा जाता है, जो नेता और कार्यकर्ता हैं, वो नीतीश कुमार के फैसलों को ही सर्वोपरी मानते हैं। लेकिन, CM होने की वजह से नीतीश कुमार के पास छोटे कार्यकर्ता और नेता पहुंच नहीं पाते हैं। इसलिए JDU के नेता दूसरा पावर सेंटर भी ढूंढते हैं।
आरसीपी सिंह
CM नीतीश कुमार के बाद पार्टी में दूसरे नंबर की जगह आरसीपी सिंह रखते हैं। प्रशासनिक पदाधिकारी रह चुके आरसीपी सिंह JDU के राज्यसभा सदस्य हैं। JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष के अलावा अब आरसीपी सिंह केंद्र में मंत्री भी बन चुके हैं। इनके राज्यसभा सदस्य बनते ही JDU के नेताओं को ये इल्म हो गया था कि नीतीश कुमार के बाद इन्हीं के पास पावर है। आरसीपी सिंह ने धीरे-धीरे संगठन पर अपना प्रभाव बनाना शुरू कर दिया। JDU के नेता और कार्यकर्ता भी आरसीपी सिंह को नेता मानने लगे। CM नीतीश कुमार से ज्यादा आरसीपी सिंह के आवास पर भीड़ होने लगी। आरसीपी सिंह का महत्व तब और बढ़ गया, जब उन्हे राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया। एक तरह से JDU पर आरसीपी सिंह का कब्जा हो गया।
उपेंद्र कुशवाहा
अपनी पार्टी RLSP का विलय करके JDU में आए उपेंद्र कुशवाहा नए पावर सेंटर के रुप में उभरे हैं। उपेंद्र कुशवाहा के साथ उनके नेता और कार्यकर्ता भी JDU में आए। उपेंद्र कुशवाहा ने उनको पार्टी में सेटल किया। लेकिन, उनके JDU में आते ही नीतीश कुमार ने उनको संसदीय बोर्ड का चेयरमैन बना दिया। साथ ही तीन दिन बाद उन्हें MLC भी बना दिया गया। ऐसे में पार्टी में ये मैसेज साफ चला गया कि उपेंद्र कुशवाहा के हाथ में पावर है। वहीं, समय समय पर ये भी बात उठती है कि उपेंद्र कुशवाहा JDU के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकते हैं। ऐसे में पार्टी के नेता और कार्यकर्ता कुशवाहा के आवास पर जमावड़ा लगाते हैं और अपनी बातों को उनके सामने रखते है।
इन तीनों के अलावा चौथा कहीं भी पावर का बंटवारा नहीं है। JDU के वरिष्ठ नेता ललन सिंह, विजय चौधरी, संजय झा, अशोक चौधरी जैसे नेताओं को नीतीश कुमार में आस्था है। वो सीधे नीतीश कुमार के संपर्क में रहते हैं। इन नेताओं के पास पावर तो है। लेकिन इन्होंने उसे सेंटर नही बनाया है। पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं को भी पता होता है कि किस नेता के पास पावर है और कहां काम बन सकता है।