उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने इस्लामिक दावा सेंटर नामक संगठन की छतरी के नीचे धर्मांतरण के घिनौने खेल का पर्दाफाश किया है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर सैकड़ों लोगों का धर्मांतरण कराने वाले उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर को गिरफ्तार कर लिया गया है। धर्मांतरण कराने वाले संगठन इस्लामिक दावा सेंटर ने मूक–बधिर बच्चों और महिलाओं तथा गरीब तबके के लोगों को धन‚ नौकरी आदि का प्रलोभन देकर उनको अपना शिकार बनाया। देश के जनजातीय बहुल दूरदराज के इलाकों में ईसाई मिशनरियों पर भी इस तरह के आरोप लगते रहे हैं कि वे आदिवासियों के हाथ में मुट्ठी भर चावल देकर गले में क्रॉस का चिह्न लटका देते हैं। लालच‚ प्रलोभन और कमजोरियों का लाभ उठाकर जब धर्मांतरण कराया जाता है तो इसके कई निहितार्थ होते हैं। भारतीय संदर्भ में ये निहितार्थ अत्यंत गंभीर हो जाते हैं। ये इस बात को ध्वनित करते हैं कि जिस धर्म के लोग धर्मांतरण करा रहे हैं‚ वे दूसरे धर्म के प्रति बराबरी का या सम्मान का भाव नहीं रखते। इतना ही नहीं‚ वे दूसरे धर्म को हेय दृष्टि से देखते हैं‚ और उन्हें अपने धर्म में दीक्षित कराकर इसे बहुत बड़ा धार्मिक कार्य मानते हैं। जब यह स्पष्ट है कि भारत में जबरन या लालचन धर्मांतरण कराना अवैध है तो ऐसी सूरत में धर्मांतरण कराने से न केवल सीधे–सीधे भारत के कानून को चुनौती दी जाती है‚ बल्कि दूसरे धर्म की भावनाओं को भी इरादतन आहत किया जाता है। जबरन धर्मांतरण का राजनीतिक निहितार्थ भी है कि इस तरह की घटनाओं से जहां सांप्रदायिक विद्वेष को बढ़ावा मिलता है तो साथ ही सांप्रदायिक ध्रुवीकरण भी होता है। आम मुसलमानों में यह धारणा राजनीतिक तौर पर पैदा की गई है कि दूसरे धर्म के लोगों को इस्लाम में दीक्षित कराने से उन्हें जन्नत का शवाब मिलेगा। लेकिन इस राजनीति को गैर–मुस्लिम यानी हिंदुओं की दृष्टि से देखा जाए तो वे इसे अपना अपमान तो समझते ही हैं‚ साथ ही राजनीतिक तौर पर जनसंख्या के संतुलन को बिगाड़ने का प्रयास भी मानते हैं। इसलिए देश के सांप्रदायिक सौहार्द को बनाए रखने के लिए इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाना बहुत आवश्यक है। इस दिशा में मुस्लिम बुद्धिजीवियों को भी आगे आना चाहिए और मुस्लिम समाज में ऐसी घटनाओं के न होने की चेतना पैदा करनी चाहिए जिनसे दूसरा वर्ग आहत होता है‚ और सामाजिक विद्वेष बढ़ता है।
जातीय सर्वे के आंकड़ों ने मुसलमानों के बीच जातिविहीन समाज के मिथक को पूरी तरह खारिज दिया
बिहार में 2 अक्टूबर को जारी हुए जातीय सर्वे के आंकड़ों ने मुसलमानों के बीच जातिविहीन समाज के मिथक को...