राम भक्तों और उनके कार्यों पर उंगलियां उठाई जा रही हैं। इतिहास गवाह है कि जब तप में लीन ऋषि मुनि यज्ञादि आरंभ करते‚ तब राक्षस आकर उन्हें पीड़ा देने लगते थे। सदियों बाद बदलाव केवल इतना हुआ है कि अब श्रीराम को आदर्श मानकर कार्य करने वालों को विरोधी नेता और विपक्षी राजनीतिक पार्टियाँ परेशान कर रही हैं। इन पार्टियों में ऐसी पार्टियाँ भी शामिल हैं‚ जिन्होंने राम के अस्तित्व को ही नकार दिया था और रामसेतु को काल्पनिक बताया था। ज्ञात हो कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर जमीन खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया जा रहा है। आरोप लगाने वाले वही लोग हैं जिन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक पर संदेह खड़े किए‚ सबूत मांगे‚ प्रभु श्रीराम को काल्पनिक कहा‚ मंदिर की सुनवाई टालने के लिए हरसंभव प्रयास किए और कारसेवकों पर गोलियां तक चलवाइ। ये कांग्रेसी‚ सपाई और आपिए फिर साजिश रच रहे हैं ताकि हिंदू समाज दिग्भ्रमित हो। इस मामले को गहराई से समझना आवश्यक है क्योंकि ये आरोप करोड़ों हिंदुओं की आस्था से खेलने का प्रयास हैं। सर्वप्रथम तो आरोप को समझ लें। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय पर जमीन घोटाले के आरोप लगाए। दावा किया कि चंपत राय ने दो करोड़ रुपये कीमत की जमीन १८ करोड़ में खरीदी। कहा कि यह सीधे–सीधे मनी लॉ्ड्रिरंग का मामला है‚ इसलिए जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय से कराई जाए। अब सत्य भी जान लें। दरअसल‚ २०११ में सुल्तान अंसारी ने २ करोड़ रुपये के एग्रीमेंट पर जमीन ली थी। अंसारी ने ट्रस्ट को बेचने से पहले पुरानी कीमत चुकाकर अपने नाम बैनामा कराया। फिर इसे १८ करोड़ में राम मंदिर ट्रस्ट को बेच दिया। मतलब साफ है कि जमीन का दाम २ करोड़ से १८.५ करोड़ १० मिनट में नहीं‚ बल्कि १० साल में पहुंचा है। केंद्र सरकार ने राममंदिर ट्रस्ट को ७० एकड़ जमीन मंदिर के लिए दी है। ट्रस्ट ने मंदिर के विस्तार की योजना बनाई। तय किया गया कि मंदिर परिसर का विस्तार १०८ एकड़ में होगा। इसके लिए ट्रस्ट ने मंदिर के आसपास की जमीनों को खरीदना शुरू किया। बबलू पाठक ने ४ मार्च‚ २०११ को १०० बिस्वा जमीन का एग्रीमेंट एक करोड़ में नन्हे मियां से किया था। बबलू ने २०१५ में फिर से वही जमीन नन्हे के बेटे सुल्तान अंसारी के नाम कर दी।
इस तरह से २०११ से लेकर २०२० तक सुल्तान हर तीन साल में अपने परिवार के अलग–अलग सदस्यों के नाम उस समय के रेट के अनुसार एग्रीमेंट कराता रहा। आखिरी बार २०१९ में इस जमीन का एग्रीमेंट हुआ था। तब इसकी कीमत २.१६ करोड़ थी। एग्रीमेंट में २.१६ करोड़ रुपये के हिसाब से इस जमीन को सुल्तान के नाम देने का तय हुआ। जब श्रीराममंदिर ट्रस्ट को जमीन की जरूरत पड़ी तो ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने बबलू और सुल्तान दोनों से संपर्क किया। मार्च‚ २०२१ में चंपत राय ने बबलू से ८० बिस्वा जमीन ८ करोड़ और १०० बिस्वा जमीन सुल्तान से १८.५ करोड़ रुपये में खरीदी। ट्रस्ट के नाम जमीन करने से पहले सुल्तान ने बबलू पाठक को १०० बिस्वा जमीन की बची हुई कीमत यानी १.९० करोड़ देकर बैनामा करा लिया। चूंकि जमीन की कीमत को लेकर दोनों के बीच पहले ही एग्रीमेंट हो चुका था इसलिए उसके लिए सुल्तान को दो करोड़ रुपये ही देने पड़े। बैनामा कराने के बाद सुल्तान ने जो जमीन २ करोड़ में खरीदी थी उसे ट्रस्ट को १८.५ करोड़ रुपये में बेच दिया। खुद अंसारी और अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय टीवी पर इस विषय पर सफाई दे चुके हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को लेकर सुल्तान अंसारी कह चुके हैं कि मार्च में ट्रस्ट हमारे संपर्क में आया और जमीन को लेकर कई दौर में बातचीत हुई। उसके बाद पारदर्शिता से सारी औपचारिकताएं पूरी हुइ।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय पर वही लोग आरोप लगा सकते हैं‚ जो किसी षड्यंत्र का हिस्सा हों और श्रीराममंदिर के निर्माण के लिए किए गए चंपत राय के तप को न जानते हों। चंपत राय अपने प्रेस वक्तव्य में सफाई दे चुके हैं। राय ने स्पष्ट कहा है कि बाग बिजेसी–अयोध्या स्थित १.२० हेक्टेयर की भूमि महत्वपूर्ण मंदिरों जैसे कौशल्या सदन आदि की सहमति से पूर्ण पारदर्शिता के साथ क्रय की गई है। यह भूमि अयोध्या रेलवे स्टेशन के समीप मार्ग पर स्थित प्राइम लोकेशन है। तीर्थ क्षेत्र के साथ अनुबंध करने वाले व्यक्तियों के पक्ष में भूमि का बैनामा होते ही तीर्थक्षेत्र ने अपने पक्ष में पूर्ण तत्परता एवं पारदर्शिता के साथ अनुबंध हस्ताक्षरित और पंजीकृत कराया है। राय ने कहा कि आरोप की भाषा में वक्तव्य देने वाले व्यक्तियों ने आरोप लगाने से पहले तीर्थक्षेत्र के किसी भी पदाधिकारी से तथ्यों की जानकारी नहीं ली। इससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई है।
श्रीराममंदिर हेतु निधि संकलन का मजाक उड़ाने वाले‚ बेतुके बयान देने वाले और एक पैसा न देने वाले नेता राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए करोड़ों रामभक्तों का अपमान कर रहे हैं। श्रीराममंदिर निर्माण के लिए भक्तों का जोश उन कार्यकर्ताओं से पूछिए जो श्रीराम मंदिर निर्माण संकलन निधि के लिए घर–घर पहुंच रहे थे। अपनी गुल्लक में से पैसे देने वाले बच्चों से लेकर गरीब परिवारों ने स्वेच्छा से प्रभु श्रीराम के मंदिर हेतु खुले हाथों से दान दिया। इस दान के पीछे उनका उद्देश्य अयोध्या में दिव्य–भव्य राम मंदिर देखना है। लाखों–करोड़ों लोगों ने अपनी क्षमतानुसार इस ‘राम यज्ञ’ में अपनी निधि की आहुति दी है। यह राम यज्ञ कुछ ‘राक्षसों’ के परेशान करने से नहीं थमने वाला। देश का बच्चा–बच्चा अयोध्या के मंदिर में प्रतिष्ठापित रामलला के दर्शन करने के पश्चात काशी–मथुरा पर लगे ग्रहण को दूर करने हेतु कृत–संकल्प है। हर रामभक्त का घोषवाक्य ही बन चुका है‚राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहां विश्राम’।