सकारात्मक वैश्विक संकेतों के बीच आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और एमएंडएम जैसे बड़े शेयरों में तेजी के चलते प्रमुख शेयर सूचकांक सेंसेक्स सोमवार को शुरुआती कारोबार के दौरान 600 अंक से अधिक चढ़कर सर्वकालिक उच्च स्तर ऊंचाई पर पहुंच गया। इस दौरान 30 शेयरों पर आधारित बीएसई सूचकांक 668.36 अंक या 1.32 प्रतिशत बढ़कर 51.199.99 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। इसी तरह व्यापक एनएसई निफ्टी 192.55 अंक या 1.29 प्रतिशत बढ़कर 15,116.80 के अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। सेंसेक्स में सबसे अधिक 10 प्रतिशत की तेजी महिंद्रा एंड महिंद्रा (एमएंडएम) रही। इसके अलावा एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, इंडसइंड बैंक, एसबीआई और बजाज फाइनेंस बढ़ने वाले प्रमुख शेयरों में शामिल थे। दूसरी ओर एनटीपीसी और बजाज ऑटो लाल निशान में थे। पिछले सत्र में सेंसेक्स 117.34 अंक या 0.23 प्रतिशत बढ़कर 50,731.63 पर बंद हुआ था, जबकि निफ्टी 28.60 अंक या 0.19 प्रतिशत की बढ़त के साथ 14,924.25 बंद हुआ। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) पूंजी बाजार में शुद्ध खरीदार थे और शेयर बाजार के अस्थाई आंकड़ों के मुताबिक उन्होंने शुक्रवार को सकल आधार पर 1,461.71 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। इस बीच वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 0.55 प्रतिशत बढ़कर 59.89 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था।
सेंसेक्स 50000 के पार जा कर अब इससे नीचे आने की प्रवृत्ति नहीं दिखा रहा है। इसके गहरे आशय हैं। रिजर्व बैंक ने हाल में मौद्रिक नीति से जुड़ी जो घोषणाएं की हैं‚ उनमें कुछ बातें एकदम साफ हैं। एक तो यह कि देश की अर्थव्यवस्था अब पक्के तौर पर पटरी पर आ रही है। रिजर्व बैंक के अनुसार अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष में सुधरकर १०.५ फीसद पर आने का अनुमान है। देश–विदेश के तमाम संस्थानों के आकलन पर नजर डालें‚ तो साफ होता है कि २०२१–२२ के दौरान देश की विकास दर का आंकड़ा दस प्रतिशत से ऊपर ही दिख रहा है। कुछ दिनों पहले प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण में भी अनुमान किया गया था कि २०२१–२२ में विकास दर ११ प्रतिशत रहेगी। इसके अलावा जीएसटी का संग्रह जनवरी २०२१ में १‚२०‚००० करोड़ रु पये का रहा। यह अभी तक का सबसे ज्यादा बड़ा संग्रह है जीएसटी का। यानी अर्थव्यवस्था के सुधार के सिर्फ आकलन ही नहीं हैं। बल्कि जमीनी स्तर पर उनके संकेत भी साफ हैं। रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि हमारा दृढ़ विश्वास है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण अर्थव्यवस्था को जो नुकसान हुआ है‚ उसकी भरपाई वित्त वर्ष २०२१–२२ में हो जाएगी। २०२१–२२ के लिए अनुमान रखा गया है कि राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का ६.८ प्रतिशत रहेगा। कोरोना काल में राजकोषीय घाटा तय लक्ष्य के दोगुने से भी ऊपर चला गया। पर इस पर ज्यादा चिंता होती नहीं दिख रही। आर्थिक सर्वेक्षण कुछ दिन पहले ही कोरोना संकट को शताब्दी के संकट के तौर पर चिह्नित कर चुका है। यानी ऐसा अपवादपूर्ण संकट जो एक शताब्दी में देखने में आता है कभी कभार। तो इस अपवाद स्वरूप परिस्थिति में राजकोषीय घाटा का ज्यादा हो जाना चिंता का विषय तो है‚ पर इस पर हाहाकार की जरूरत नहीं है। आरबीआई का आकलन आश्वस्तकारी इसलिए है कि बजट में प्रस्तुत आंकड़े तो संसाधनों के संकट का संकेत दे रहे थे। सरकारी उपक्रमों के शेयर बेचकर २०२०–२१ में २‚१०‚००० करोड़ रु पये उगाहे जाने थे‚ पर सिर्फ ३२००० हजार करोड़ रु पये ही उगाहे जा सके। सेंसेक्स चढ़े रहने से सरकार की राह आसान हो जाएगी। पर सेबी को सावधान रहना होगा। भारत में बड़े घोटाले शेयर बाजार में तब हुए हैं जब बाजार तेजी में रहा है। यह प्रसन्नता के साथ सावधानी का समय है।