लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान केंद्रीय बजट को लेकर होने वाली सर्वदलीय बैठक में एनडीए की ओर से बैठक में शामिल नहीं हुए. वजह उनकी अस्वस्थता बताई गई. लेकिन, बिहार के राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि मीटिंग में शामिल नहीं हुए या फिर उन्हें बैठक में शामिल होने से रोका गया? दरअसल इस सवाल के उठने के पीछे की वजह यही है कि चिराग पासवान को लेकर एनडीए में घमासान है और यह मामला शांत होता नहीं दिख रहा है.
सूत्र बताते हैं कि LJP के अध्यक्ष चिराग पासवान को एनडीए की बैठक का निमंत्रण केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी की तरफ से भेजा गया था. वे बैठक में शामिल भी होने वाले थे, लेकिन चिराग को आमंत्रण की बात सुन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नाराज हो गए थे. जेडीयू व बीजेपी के सूत्रों से यह भी खबर है कि कि नीतीश की नाराजगी के चलते बीजेपी आलाकमान की ओर से चिराग पासवान को फोन करके कहा गया है कि वो इस बैठक से फिलहाल दूर रहें.
चिराग पासवान ने सीधे नीतीश कुमार को किया था टारगेट
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान लोक जनशक्ति पार्टी ने सीट शेयरिंग के मुद्दे पर बिहार में एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा था. हालांकि इस पूरे चुनाव के दौरान वे पीएम मोदी की तारीफ करते रहे और बीजेपी से अपने बेहतर संबंधों को दोहराते रहे, लेकिन अपने टागरेट पर सीधे सीएम नीतीश कुमार को रखा.
चिराग पासवान ने अपने अधिकतर भाषणों में सीएम नीतीश कुमार के विकास कार्यों के दावे की सच्चाई पर सवाल उठाते रहे. यहां तक कि कई बार उनकी वाणी में अत्यधिक तल्खी दिखी. कई बार तो उन्होंने बीजेपी-एलजेपी की सरकार बनने पर सीएम नीतीश को जेल की सलाखों के पीछे भेजने तक की बात कह दी. इसके बाद से दिल्ली से लेकर पटना तक की राजनीतिक गलियारों में बीजेपी और लोजपा के संबंध को लेकर अक्सर चर्चा होती रही है.
जेडीयू को नुकसान पहुंचाने के इरादे से ही चुनाव में उतरी थी लोजपा
हालांकि, बिहार चुनाव में लोजपा जिस इरादे से उतरी थी उस उद्देश्य में काफी हद तक कामयाब भी रही. दरअसल उसने सबसे ज्यादा नीतीश कुमार की जदयू को नुकसान पहुंचाया और जदयू सिर्फ 43 सीटें ही जीत पाई. इसके पीछे की वजह रही कि लोजपा ने अपने अधिकांश उम्मीदवार वहां उतारे जहां जेडीयू को ज्यादा से ज्यादा नुकसान हो सके.
बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई नीतीश कुमार की जदयू
इसका असर चुनाव परिणाम में भी दिखा और जेडीयू महज 43 सीटों के साथ बिहार की सियासत में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई. जेडीयू के लिए मुश्किल स्थिति इसलिए है कि अब तक वह एनडीए की घटक भाजपा से संख्याबल में हमेशा आगे होती थी, पर इस बार हालात जुदा हैं. इस बार राजद 75 तो भाजपा 74 सीटों के साथ पहले और दूसरे नंबर पर है. ऐसे में बिहार की राजनीतिक परिस्थिति भी बदल गई है.
जदयू-लोजपा में लगातार जारी है तल्खी
जाहिर है जदयू के नेताओं ने कई बार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर चिराग पासवान को जिम्मेदार ठहराया है. इसी मसले पर न्यूज 18 से बात करते हुए जेडीयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने स्पष्ट रूप से कहा कि हम यह मानकर चलते हैं कि चिराग पासवान एनडीए (NDA) से बाहर हैं. उनको किसी भी स्तर पर एनडीए के कार्यक्रमों का या फिर सरकारों का हिस्सा बनाने का अगर प्रयास होता है तो जरूर यह अनफ्रेंडली एक्ट होगा. ऐसे लोग अगर एनडीए में आएंगे तो हम इसका विरोध करेंगे.
एनडीए में लोजपा के अस्तित्व को लेकर उठ रहे सवाल
बिहार चुनाव के बाद से लोजपा और जेडीयू के बीच तल्खी आज भी जारी है. हाल ही में लोजपा के एकमात्र विधायक के जेडीयू या बीजेपी में शामिल होने के कयास तेज हो गए हैं. उन्होंने हाल ही में नीतीश कुमार से मुलाकात की है. बहरहाल अब राजनीतिक गलियारे में लोग इस बात को लेकर चर्चा कर रहे हैं कि एनडीए में अब एलजेपी का अस्तित्व क्या है?
एनडीए में लोजपा की एंट्री पर रहेगा बैन
ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि उनकी जगह चिराग पासवान या लोजपा से किसी सांसद को मोदी कैबिनेट में जगह मिलेगी या नहीं. हालांकि इस मुद्दे पर राजनीतिक जानकारों का मानना है कि चिराग पासवान मोदी कैबिनेट के विस्तार तक यथास्थिति बनाए रख सकते हैं. यानी फिलहाल बिहार एनडीए के साथ ही केंद्रीय एनडीए में भी चिराग की एंट्री पर बैन है.