चालू वित्त वर्ष 2020-21 में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.7 फीसदी गिरावट का अनुमान है। देश की जीडीपी में गिरावट का यह आकलन वित्त वर्ष 2020-21 के आर्थिक सर्वेक्षण में लगाया गया है। संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ शुक्रवार को बजट सत्र का आगाज हुआ। राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 सदन के पटल पर प्रस्तुत किया गया। इस सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी में 7.7 प्रतिशत गिरावट का अनुमान लगाया गया है।
कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 2021-22 में तेजी से पुनरूद्धार की उम्मीद है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर में 23.9 प्रतिशत जबकि दूसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत की गिरावट आयी है। पूरे वित्त वर्ष में 7.7 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है। अगले वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 11 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को संसद के बजट सत्र के पहले दिन उम्मीद जताई कि लोकतंत्र की सभी मर्यादाओं का पालन करते हुए सभी सदस्य चर्चा के माध्यम से जनआकांक्षाओं की पूर्ति में योगदान देंगे। उन्होंने कहा कि देश को अपेक्षा है कि इस सत्र में सभी प्रकार के विचारों की प्रस्तुति हो और उत्तम मंथन से उत्तम अमृत निकले। बजट सत्र के पहले दिन संसद भवन परिसर में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह इस दशक का पहला सत्र है और यह दशक भारत के उज्जवल भविष्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि आजादी के दीवानों ने जो सपने देखे थे, उन सपनों को तेज गति से सिद्ध करने का यह स्वर्णिम अवसर अब देश के पास आया है। इस दशक का भरपूर उपयोग हो इसलिए इस सत्र में पूरे दशक को ध्यान में रखते हुए चर्चाएं हों। प्रधानमंत्री ने कहा इस दौरान सभी प्रकार के विचारों की प्रस्तुति हो और उत्तम मंथन से उत्तम अमृत प्राप्त हो, यह देश की अपेक्षाएं हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि जिस आशा और अपेक्षा के साथ देश की जनता ने अपने प्रतिनिधियों को चुनकर संसद में भेजा है, वे इस पवित्र स्थान का भरपूर उपयोग करते रहेंगे। प्रधानमंत्री ने भरोसा जताया कि सभी सदस्य मिलकर इस सत्र को और अधिक उत्तम बनाएंगे। उन्होंने कहा कि देश के इतिहास में यह पहली बार हुआ कि 2020 में वित्त मंत्री को अलग-अलग पैकेज के रूप में एक प्रकार से 4-5 मिनी बजट देने पड़े। उन्होंने कहा, यानी 2020 में एक प्रकार से मिनी बजट का सिलसिला चलता रहा। इसलिए यह बजट भी 4-5 मिनी बजट की श्रृंखला में ही देखा जाएगा, यह मुझे पूरा विश्वास है।