बिहार विधान परिषद् की दो सीटों पर चुनाव के लिए कल, यानी 18 जनवरी को नामांकन का अंतिम दिन है। भाजपा ने अपने खाते की इन दोनों सीटों में से एक के लिए राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन का नाम तय कर दूसरी सीट VIP अध्यक्ष और मंत्री मुकेश सहनी के लिए छोड़ दी। लेकिन, वह तैयार नहीं हो रहे। भाजपा चुनाव लड़ाने की जिद पर अड़ी है और वह राज्यपाल कोटे से जाना चाह रहे। सवाल सिर्फ कार्यकाल का है, लेकिन माहौल विश्वास-अविश्वास का है। इसलिए, बैकअप में भाजपा के घनश्याम ठाकुर भी वेटिंग में तैयार हैं।
चुनावी सीटों का कार्यकाल छोटा, इसमें भी संशय
सन ऑफ मल्लाह के रूप में चर्चित होकर बिहार की राजनीति में उतरे मुकेश सहनी परेशान भी हैं और कन्फ्यूज भी। परेशान इसलिए कि भाजपा उन्हें राज्यपाल कोटे से मनोनयन वाली 6 साल के कार्यकाल की सीट पर भेजने में तकनीकी परेशानी बता रही है। भाजपा उन्हें नन मैट्रिक और किसी क्षेत्र विशेष में बहुत बड़ी उपलब्धि वाला नहीं मान रही। इसी आधार पर मनोनयन वाली सीटों के लिए उन्हें अनुपयुक्त बता रही। संशय इसलिए कि विधान परिषद् की जिन दो सीटों पर चुनाव है, उनमें एक का कार्यकाल 18 महीने है और दूसरे का 41 महीने। भाजपा ने अबतक सार्वजनिक रूप से यह पक्का नहीं बताया है कि सैयद शाहनवाज हुसैन किस सीट के लिए पक्के हुए हैं।
सुशील मोदी और विनोद नारायण की छोड़ी सीटें हैं
बिहार विधान परिषद् की दो सीटें खाली हुई हैं। एक सीट विनोद नारायण झा के विधान सभा चुनाव जीतने से खाली हुई है। इस सीट पर समय 18 माह (21 जुलाई 2022 तक) बच रहा है। दूसरी सीट सुशील कुमार मोदी के राज्यसभा जाने के बाद खाली हुई है। इसमें 41 महीने (6 मई 2024 तक) का समय बच रहा है। अंदरखाने से खबर आ रही है कि मुकेश सहनी पर भाजपा दबाव बना रही है कि वह विनोद नारायण झा वाली सीट से विधान परिषद् जाएं, लेकिन सहनी राजी नहीं हो रहे है। वह 72 महीने, यानी 6 साल वाली सीट चाहते हैं।
बयान आया और फिर कर गए इनकार
VIP के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह प्रवक्ता राजीव मिश्रा की ओर से वीडियो बयान जारी किया गया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी विधान परिषद् की मनोनयन वाली सीट या पूर्णकालिक सीट चाहते हैं, लेकिन जैसे ही यह वीडियो वायरल हुआ उन्होंने कहा कि अभी ऐसी कोई बात पक्की नहीं हुई है। इसे नहीं माना जाए। प्रवक्ता भले ही मुकर गए, लेकिन अंदर की जो बात अंदर थी, वह बाहर आ ही गई।
घनश्याम बैकअप में, सुबह का इंतजार
सोमवार का ही दिन बचा है नामांकन के लिए। भाजपा के मैथिल ब्राह्मण नेता घनश्याम ठाकुर बैकअप के रूप में तैयार हैं कि अगर सहनी नहीं माने तो उन्हें उतारा जाएगा। घनश्याम को पिछले विधानसभा चुनाव के समय पटना बुलाया गया था, लेकिन सिम्बल नहीं दिया गया। उस समय उनके पिता का निधन हुआ था, इसलिए वह उतरी पहने हुए ही आने के कारण चर्चा में रहे थे। अब रविवार का पूरा दिन और यह रात सहनी और घनश्याम के लिए फैसले की घड़ी है। सहनी भाजपा की जिद से हारकर NDA की पक्की सीट पर चुनाव के लिए उतरेंगे या घनश्याम भाग्य खुलने के कारण MLC बनाने के लिए बुलाए जाएंगे।
MLC की दोनों सीटों पर NDA की जीत तय
इन दोनों सीटों पर विपक्ष की ओर से अब तक उम्मीदवार नहीं दिया गया है और दिए जाने की उम्मीद भी बहुत कम है। कारण यह कि दोनों सीटों पर वोटिंग अलग-अलग होनी है और जीत उसी की होगी, जिसके पास विधानसभा का बहुमत है। NDA के पास फिलहाल अपने ही 125 विधायक हैं, जो बहुमत के आंकड़े 122 से तीन ज्यादा हैं। दूसरी तरफ विपक्ष के पास 110 विधायक हैं। असद्दुदीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के 5 के अलावा बसपा, निर्दलीय और लोजपा के एक-एक विधायक हैं।