बिहार में नीतीश सरकार के कैबिनेट विस्तार का इंतजार बेसब्री से किया जा रहा है. इस बीच भाजपा के कद्दावर नेताओं से उनकी मुलाकात ने इस चर्चा को जोर दे दिया कि बिहार में सरकार जल्द ही कैबिनेट का विस्तार करने जा रही है. लेकिन सीएम नीतीश ने इस बारे में किसी भी चर्चा को अभी नकारते हुए कहा कि फिलहाल भाजपा के तरफ से इसके लिए कोई प्रस्ताव नहीं आया है. बीजेपी के प्रस्ताव आने के बाद ही कैबिनेट का विस्तार होगा.
भाजपा नेताओं के साथ गुरुवार को हुई बातचीत के बारे में पत्रकारों द्वरा पूछे गये सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मुलाकात में मंत्रिमंडल विस्तार के संबंध में कोई बातचीत नहीं हुई है। सिर्फ सहज बातचीत हुई‚ कोई राजनीतिक बातचीत नहीं। राज्य के विकास के लिए हमलोग काम कर रहे हैं और जो हमलोगों का लक्ष्य है‚ उन सब चीजों पर गुरुवार को बातचीत हुई है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन्होने कहा कि भाजपा के तरफ से अभी तक कैबिनेट को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं आया है. सीएम ने कहा कि अभी तक को किसी भी कार्यकाल में कैबिनेट तैयार करने में इतना वक्त नहीं लेते थे. वो शुरु में ही यह काम कर लेते थे. उन्होंने कहा कि जबतक भाजपा की राय नहीं आ जाती तबतक फिलहाल कैबिनेट विस्तार नहीं होगा. जब भाजपा अपना प्रस्ताव दे देगी तो उसी आधार पर मंत्रीमंडल का विस्तार किया जाएगा.
उन्होंने कहा‚ ‘हमने आज अखबार में मंत्रिमंडल विस्तार की छपी खबर को देखा था। कैबिनेट के विस्तार में पहले इतनी देर कहां होती थी। पहले हमलोग शुरू में ही कैबिनेट विस्तार कर लेते थे। जब सबकी सहमति होगी‚ तो मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। अभी तो कैबिनेट में कुल मिलाकर 14 लोग हैं।’
मीडिया के द्वारा सुशील मोदी के बिहार वापसी के सवाल पर सीएम नीतीश ने कहा कि सुशील मोदी के साथ लंबे समय तक हमने काम किया है. लेकिन उन्हें वापस बिहार लाना है या नहीं ये भाजपा को तय करना है. उन्होंने कहा कि मुझे अभी इस बात की कोई जानकारी नहीं दी गई है कि सुशील मोदी को फिर से बिहार में सरकार में शामिल किया जाएगा या नहीं.
इसी बिच बिहार में मुलाकातों का सिलसिला जारी है
पिछले कुछ दिनों से बिहार की राजनीति में शिष्टाचार मुलाकात का जैसे दौर चल पड़ा है। जिस राजनीति में कोई बिना किसी हित के किसी से नहीं मिलता, वहां राजनीतिक झंझावात के बाद अचानक ‘शिष्टाचार’ की चर्चा गजब चल निकली है। 7 जनवरी को अचानक जदयू दफ्तर में RCP सिंह को बधाई देने पहुंच गए भाजपा के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव। फिर शाम में नीतीश-RCP से बिहार के दोनों डिप्टी CM के साथ भूपेंद्र यादव, डॉ. संजय जायसवाल मिले और सारी बातों को शिष्टाचार मुलाकात का नाम दे दिया गया। सियासी मरहम की यह 2 देखी-दिखाई मुलाकातें थीं। बिहार की राजनीति में इनके अलावा 3 और ऐसी मुलाकातें हुईं, जिन्हें शिष्टाचार का नाम दिया जा रहा है। लेकिन, यह इतनी भी औपचारिक नहीं। क्यों, आइए जानते हैं-
5 जनवरी की शाम को दिल्ली गए सुशील मोदी शुक्रवार को दिल्ली में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिले। अमित शाह से सुशील मोदी की यह मुलाकात उनके राज्यसभा सांसद बनने के बाद हुई पहली औपचारिक मुलाकात थी। इस मुलाकात को सुशील मोदी की तरफ से शिष्टाचार मुलाकात बताया गया, लेकिन इसे केंद्र के संभावित मंत्रिमंडल विस्तार से अलग नहीं देखा जा सकता है। इस विस्तार में सुशील मोदी को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की बात पक्की है, लेकिन उनकी राह में बिहार से ही रोड़ा भी अटकाया जा रहा है। उनकी पार्टी के ही दिग्गज रोड़ा अटका रहे हैं। इसलिए, एक मुलाकात तो जरूरी…..।
शाहनवाज हुसैन का नीतीश कुमार से मिलना वैसे तो नहीं
बिहार की सियासी हलचल से जुड़ी दूसरी खास मुलाकात शुक्रवार को ही हुई। पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने सचिवालय पहुंच गए। इस मुलाकात से भले ही बिहार की सियासत पर बहुत कोई असर नही दिखने वाला हो, लेकिन इनकी मुलाकात को दो धुर विरोधियों का एक जगह आना जरूर कहा जा रहा है। माना जाता रहा है कि शाहनवाज हुसैन बिहार भाजपा में नीतीश विरोधी सुर के अगुआ रहे हैं। इसका असर शाहनवाज के कॅरियर पर भी खूब पड़ा है। कहने वाले तो यहां तक कहते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव में शाहनवाज को भागलपुर से टिकट इसलिए नही मिल सका, क्योंकि यह नीतीश-निश्चय का हिस्सा था। यह वो दौर था जब सुशील मोदी बिहार भाजपा के सबसे प्रभावी चेहरे थे और जिन्हें नीतीश का बेहद खास माना जाता था। अब शुक्रवार को जब नीतीश कुमार को शाहनवाज हुसैन CM बनने की बधाई देने बिहार सचिवालय पहुंचे तो दोनों नेताओं के हाव-भाव पूरे तरह बदले हुए थे। मतलब, यूं ही तो नहीं ही थी यह मुलाकात।
बिहार सचिवालय से 500 मीटर की दूरी पर एक और ‘शिष्टाचार मुलाकात’ राज्यपाल फागू चौहान और उपमुख्यमंत्री रेणु देवी की हुई। रेणु इस पद पर आने के पहले भी गवर्नर से मिलती रही हैं, लेकिन गुरुवार रात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भाजपा नेताओं की मुलाकात के बाद शुक्रवार को रेणु देवी की राज्यपाल से मुलाकात एक टास्क के साथ थी। राज्यपाल कोटे वाली मनोनयन की 12 विधान परिषद की सीटों पर जो NDA में पक रहा है, उसका कुछ मसाला गवर्नर हाउस से भी आएगा क्योंकि अंतिम तौर पर यह गवर्नर के कोटे की सीटें हैं। सत्ता के दोनों बड़े दलों के बीच 50:50 पर बात तय हो गई है, लेकिन कोटे में कोटा का कुछ मामला अटक रहा है, जिसपर रेणु देवी को गवर्नर के क्लियरेंस का टास्क दिया गया है।