प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साइप्रस दौरे पर हैं. उन्होंने सोमवार को साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलाइड्स के साथ जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने कहा कि कल जब से मैंने साइप्रस की धरती पर कदम रखा है, तब से यहां के राष्ट्रपति और यहां के लोगों ने जो स्नेह दिखाया है, वह सीधे दिल को छू गया. अभी कुछ देर पहले ही मुझे साइप्रस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से अलंकृत किया गया. ये सम्मान केवल मेरा नहीं, 140 करोड़ भारतीयों का सम्मान है. ये भारत और साइप्रस की अटूट मित्रता की मोहर है. इसके लिए मैं एक बार फिर हृदय से आभार व्यक्त करता हूं.
पीएम मोदी ने कहा कि दो दशक से भी लंबे अंतराल के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की साइप्रस यात्रा हो रही है और ये आपसी संबंधों में एक नया अध्याय लिखने का स्वर्णिम अवसर है. आज राष्ट्रपति और मैंने द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं पर व्यापक चर्चा की. साइप्रस के विजन 2035 और विकसित भारत 2047 के कई पहलुओं में समानता है इसलिए हम साथ मिलकर भविष्य को आकार देंगे.
कहा कि नीति-निर्माण में स्थिरता, व्यावसायिक वातावरण में सुधार, डिजिटल क्रांति और अगली पीढ़ी के सुधारों ने भारत को विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना दिया है। “भारत आज विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और बहुत जल्द यह तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा। भारत में जीएसटी जैसे कर सुधार, कॉरपोरेट टैक्स में कटौती, कानूनों का अपराधीकरण खत्म करना, और व्यापार में विश्वास बढ़ाने जैसे कई बड़े बदलाव हुए हैं।”
साइप्रस के साथ इन क्षेत्रों में और मजबूत होगा सहयोग
इस अवसर पर पीएम मोदी ने साइप्रस के साथ द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती की संभावनाओं पर बल दिया और कहा कि भारत और साइप्रस के बीच व्यापार, निवेश, डिजिटल भुगतान, पर्यटन, रक्षा, लॉजिस्टिक्स और स्टार्टअप जैसे क्षेत्रों में गहरा सहयोग हो सकता है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत की डिजिटल क्रांति का असर पूरी दुनिया में देखा जा रहा है। “आज दुनिया के 50 प्रतिशत डिजिटल लेन-देन भारत में होते हैं, जिसका श्रेय यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को जाता है,” उन्होंने कहा। इस क्रम में NPCI इंटरनेशनल और यूरोबैंक साइप्रस के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं, जिससे दोनों देशों के बीच सीमा-पार भुगतान संभव हो सकेगा।
साइप्रस के साथ कई समझौते पर हस्ताक्षर
साइप्रस और भारत में इस दौरान महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जिसमें NSE इंटरनेशनल एक्सचेंज (गिफ्ट सिटी, गुजरात) और साइप्रस स्टॉक एक्सचेंज के बीच सहयोग स्थापित किया गया है। यह यूरोप और भारत के बीच ऐसा पहला वित्तीय सहयोग है। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि कई भारतीय कंपनियां साइप्रस को यूरोप के लिए एक प्रवेश द्वार के रूप में देखती हैं, खासकर आईटी, पर्यटन और वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में।
23 साल बाद साइप्रस पहुंचे भारत के पीएम
पीएम मोदी ने कहा कि “23 वर्षों में यह पहला अवसर है जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री साइप्रस आया है और पहला कार्यक्रम एक बिजनेस राउंडटेबल था, जो कि यह इस बात को दर्शाता है कि दोनों देशों के आर्थिक संबंध कितने महत्वपूर्ण हैं।”
भारत-ग्रीस और साइप्रस के बीच भी हुई ये बड़ी डील
भारत–ग्रीस–साइप्रस ने मिलकर एक त्रिपक्षीय व्यापार एवं निवेश परिषद (IGC) की स्थापना की घोषणा की है। जिससे शिपिंग, ग्रीन एनर्जी, एविएशन और डिजिटल सेवाओं जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। साइप्रस और तुर्की के बीच लंबे समय से चले आ रहे राजनीतिक तनाव के परिप्रेक्ष्य में भी प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा को रणनीतिक दृष्टि से भी अहम माना जा रहा है।
मोदी ने साइप्रस में भी कहा-यह युग युद्ध का नहीं
पीएम मोदी ने साइप्रस के राष्ट्रपति के साथ वार्ता के बाद कहा, यह युद्ध का युग नहीं है। उन्होंने और साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस ने पश्चिम एशिया और यूरोप में चल रहे संघर्षों पर ‘‘चिंता जताई’’ और उन दोनों का मानना है कि ‘‘यह युद्ध का युग नहीं है।’ बातचीत के जरिए समाधान और स्थिरता बहाल करने की जरूरत है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी यात्रा भारत-साइप्रस संबंधों में एक नया अध्याय लिखने का एक ‘‘स्वर्णिम अवसर’’ है।
उन्होंने कहा कि अपनी साझेदारी को स्ट्रेटेजिक दिशा देने के लिए हम अगले पांच वर्षों के लिए एक ठोस रोड मैप बनाएंगे. रक्षा और सुरक्षा सहयोग को और मजबूती देने के लिए द्विपक्षीय डिफेंस कॉपरेशन प्रोग्राम के तहत रक्षा उद्योग पर बल दिया जाएगा. साइबर और मैरीटाइम सिक्योरिटी पर अलग से डायलॉग शुरू किया जाएगा. क्रॉस-बॉर्डर टेररिज्म के विरुद्ध भारत की लड़ाई में साइप्रस के सतत समर्थन के हम आभारी हैं. आतंकवाद, ड्रग और हथियारों की तस्करी की रोकथाम के लिए, हमारी एजेंसीज के बीच रिएल टाइम इंफोर्मेशन एक्सचेंज का मैकेनिज्म तैयार किया जाएगा.
पश्चिम एशिया चल रहे संघर्ष को लेकर चिंतित- PM
उन्होंने कहा कि पश्चिम एशिया और यूरोप में चल रहे संघर्ष को लेकर हम दोनों ने चिंता व्यक्त की है. इनका नकारात्मक प्रभाव सिर्फ उन क्षेत्रों तक सीमित नहीं है. हम दोनों मानते हैं कि यह युद्ध का युग नहीं है, संवाद से समाधान और स्थिरता की बहाली, ये मानवता की पुकार है. मेडिटरेनीयन क्षेत्र के साथ कनेक्टेविटी बढ़ाने पर भी हमने बात की. हम सहमत हैं कि इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकॉनोमी कोरिडोर से क्षेत्र में शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा.