दिल्ली में भाजपा सरकार की 100 दिन पूरे हो गए हैं. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता 100 दिनों के कामकाजों की रिपोर्ट पेश भी कर चुकी है , लेकिन उससे पहले दिल्ली सरकार के 100 दिन चुनावी वादों में कौन-कौन से काम पूरे किए और कौन-कौन सी योजनाओं पर सरकार ने अभी तक अमल नहीं किया है.
महिलाओं के खाते में अभी नहीं आए 2500 रुपये
चुनाव के दौरान दिल्ली भाजपा द्वारा इस बात का वादा किया गया कि महिलाओं को सरकार बनते ही पहली कैबिनेट में 2500 रुपये महीना देने का प्रस्ताव पास किया जाएगा. खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने भी दिल्ली विधानसभा की चुनावी रैलियों में इस बात की घोषणा की थी कि दिल्ली में भाजपा सरकार बनते ही कैबिनेट की पहली बैठक में महिलाओं को 2500 रुपये महीना देने का प्रस्ताव पास किया जाएगा और यह धनराशि 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से पहले महिलाओं के खाते में पहुंच जाएगी. दिल्ली सरकार ने इस योजना के लिए 5,100 करोड़ रुपये का बजट भी आवंटित कर दिया है, लेकिन 100 दिनों में महिलाओं के खाते में पैसा नहीं आया है. गरीब महिला की पेंशन 2500 से 3000 करने और गर्भवती महिलाओं के लिए 21 हजार रुपये की आर्थिक सहायता और 6 पोषण किट के लिए भी 210 करोड़ रुपये का बजट आवंटित है लेकिन योजना लागू होने का इंतजार है.
होली पर नहीं मिला मुफ्त गैस सिलिंडर
भाजपा का सबसे बड़ा चुनावी वादा होली और दिवाली पर महिलाओं को मुफ्त गैस सिलिंडर देने का वादा था. सिलिंडर की आस में होली तो गुजर गई अब दीपावली का इंतजार है. बता दें कि दिल्ली की रेखा सरकार ने महिलाओं को 500 रुपये में सस्ता सिलिंडर देने का भी वादा किया था, जो अभी तक पूरा नहीं किया जा सका है. मिली जानकारी के अनुसार इन योजनाओं से जुड़ी औपचारिकताओं को अभी पूरा किया जा रहा है. जल्द ही इन्हें लागू कर दिया जाएगा.
पांच रुपये में भरपेट भोजन का वादा
दिल्ली की रेखा सरकार बनने से पहले झुग्गी-झोपड़ियों में पांच रुपये में पौष्टिक भोजन और गरीब छात्रों के लिए केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा देने का वादा किया है. 100 अटल कैंटीन और मुफ्त शिक्षा के लिए प्रारंभिक योजनाएं बन रही हैं, लेकिन अभी तक ठोस क्रियान्वयन नजर नहीं आया. सीएम रेखा गुप्ता ने आजादपुर मंडी में पहली अटल कैंटीन की घोषणा की है, बजट में 100 करोड़ आवंटित हैं लेकिन अभी काम नहीं शुरू हुआ.
यमुना नदी की सफाई धरातल पर नहीं
दिल्ली में 20 फरवरी को भाजपा सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के बाद सबसे पहले दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता यमुना सफाई के संकल्प को दोहराते हुए वासुदेव घाट पर शाम को आरती के लिए पहुंची थी. सरकार ने यमुना सफाई के लिए बजट में 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है जो तकनीकी और वित्तीय रूप से जटिल है. सरकार ने इसके लिए केंद्र सरकार से सहायता की मांग की है. सरकार को तीन साल में यमुना को साफ करना है और साबरमती रिवरफ्रंट की तर्ज पर यमुना रिवरफ्रंट विकसित करना है. रेखा सरकार ने यमुना की अविरलता के मुद्दे को बार-बार अपनी प्रतिबद्धता बताया है. वर्तमान की बात करें तो सरकार ने यमुना सफाई के लिए सिर्फ प्रारंभिक सर्वे शुरू किया है.
लैंडफिल साइटों को साफ करने की नई तारीख
दिल्ली की भाजपा सरकार ने लैंडफिल साइटों को साफ करने के लिए नए लक्ष्य तय किए हैं. सरकार का वादा है कि 2027 तक लैंडफिल साइटों को साफ कर दिया जाएगा. यहां महत्वपूर्ण बात ये है कि मौजूदा समय केंद्र, दिल्ली सरकार और एमसीडी तीनों जगहों पर भाजपा का शासन है. अब देखना होगा कि तीन इंजन की सरकार मिलकर लैंडफिल साइटों की सफाई के लिए क्या रास्ता निकालते हैं.
दिल्ली के लोगों को मुफ्त शिक्षा कब मिलेगी
मुफ्त शिक्षा, सीएम श्री स्कूल, स्कूलों में स्मार्ट क्लास, स्मार्ट लाइब्रेरी, युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए 15 हजार की वित्तीय सहायता और अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को ”डॉ. बीआर आंबेडकर स्टाइपेंड योजना” के तहत एक हजार रुपये प्रति माह का स्टाइपेंड जैसी नई योजनाओं के लिए सरकार ने बजट में 250 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. उम्मीद है कि सरकार इन योजनाओं को जल्द लागू करेगी.
अनधिकृत कॉलोनियों के लिए ठोस निर्णय होना बाकी
भाजपा ने ये वादा किया था कि सत्ता में आने पर 1,700 अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वालों को संपत्तियों का पूर्ण मालिकाना हक मिलेगा. इससे बिक्री, खरीद और निर्माण का रास्ता साफ हो जाएगा. ‘गिग वर्कर्स’ और मजदूरों के लिए सरकार ने ‘गिग वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड’ बनाने की घोषणा की है. इसके क्रियान्वयन होना बाकी है.
खाली पड़े पदों के लिए विज्ञप्ति का इंतजार
10 लाख रुपये का बीमा और 5 लाख रुपये का दुर्घटना कवर पर भी अभी तक बात नहीं हुई है. खाली पड़े 50,000 सरकारी पदों को भरने, दिल्ली में 41,000 करोड़ रुपये खर्च कर सड़कें बनाने, 15,000 करोड़ रुपये खर्च कर रेलवे लाइन बिछाने और 21,000 करोड़ रुपये खर्च कर हवाई अड्डों को चमकाने, घरेलू महिला कामगारों को 6 महीने की पेड मैटरनिटी लीव. ऑटो और टैक्सी चालकों के लिए कल्याण बोर्ड. 60-70 वर्ष की उम्र के नागरिकों को 2,500 मासिक पेंशनजैसे अनेक वादे पूरे होने का इंतजार दिल्ली के लोगों को है.
घोषणा पत्र के वायदों को पूरा करने में देरी
दिल्ली सरकार द्वारा अपने घोषणा पत्र में किए गए वायदों को पूरा होने में देरी का एक प्रमुख कारण सरकार में शामिल सभी लोगों के लिए पहली बार सरकार चलाने का नया अनुभव, अधिकारियों के साथ तालमेल और सामंजस्य बैठाने में समय लगना और सरकार के खजाने का खाली होने को प्रमुख रूप से माना जा रहा है.
राजनीतिक विश्लेषको का कहना है कि कोई भी सरकार जब सत्ता संभालती है तो सबसे पहले सरकारी खजाने को देखा जाता है और खजाने को देखकर ही वह अपने घोषणा पत्र में किए गए वादों पर अमल करती है. जैसा कि दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता कहती रही हैं कि पूर्ववर्ती आम आदमी पार्टी सरकार दिल्ली के खजाने को खाली छोड़ गई है तो यह भी एक प्रमुख वजह है, घोषणा पत्र के वादों को पूरा करने में हो रही देरी की. –
सरकार 5 साल के लिए बनती है. इसलिए जरूरी नहीं है सरकार पहले 100 दिन में सभी वादों को पूरा कर दे. चुनाव से पहले घोषणा करने में और सरकार में आकर जिम्मेदारी मिलने के बाद चीजों को देखकर समझने में और करने में बड़ा अंतर होता है. इसलिए मेरा मानना है सरकार को चीजों को करने के लिए समझने में भी समय लग रहा है, जिन चीजों को समझ लिया गया है उन वादों को पूरा करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. जो चीजें अभी अनसुलझी हैं उनको सुलझाने का प्रयास सरकार कर रही है. इसके अलावा अभी तक नौकरशाही की ओर से कोई बाधा और विपक्ष के प्रतिरोध की कोई स्थिति वादों को पूरा करने में आड़े नहीं आई है. विपक्ष तो लगातार सरकार से वायदों को पूरा करने की मांग कर रहा है.
सरकार ने 100 दिन में नहीं कर पाये 10 प्रतिशत वादे
रेखा सरकार के पूरे हो रहे 100 दिन के कामकाज को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री डॉ नरेंद्र नाथ ने कहा कि दिल्ली सरकार अपने वादों को पूरा नहीं कर रही है, जिस तरह से वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार आई थी और उन्होंने सिर्फ जुमलेबाजी की, वादों को पूरा नहीं किया. उन्होंने कहा था 15-15 लाख रुपये खाते में आएंगे वह नहीं आए. इसी तरह से दिल्ली सरकार ने भी महिलाओं से जो 2500 रुपये महीना देने का वादा किया था वह पैसे अभी तक देने शुरू नहीं किए. होली दिवाली पर फ्री सिलेंडर देने की बात कही थी, बाकी समय में 500 रुपये में सिलिंडर देने की बात कही थी. वह वादा भी पूरा नहीं हुआ है. झुग्गी झोपड़ी वालों को मकान देने की बात कही थी उल्टा झुग्गियों को तोड़ने का काम शुरू कर दिया है. गर्मी में दिल्ली में बिजली और पानी की समस्या शुरू हो गई है. 100 दिन में सरकार कम से कम 10 फीसदी तो काम करती. यमुना सफाई की बात कही थी उसमें भी कुछ होता नहीं दिख रहा है.