मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में शुक्रवार (16 मई, 2025) को कैबिनेट की बैठक हुई. बैठक में गया शहर का नाम बदलने पर सबसे बड़ा फैसला लिया गया. बिहार का गया अब ‘गया जी’ कहलाएगा. गया का नाम जी रखने के पीछे पौराणिक कहानी बताई जाती है. हिंदू ग्रंथों के अनुसार त्रेता युग में ‘गयासुर’ नामक एक राक्षस हुआ करता था, जो भगवान विष्णु की तपस्या में लीन रहता था. भक्त की भक्ति देखकर भगवान विष्णु ने गयासुर से वरदान मांगने को कहा.
भगवान विष्णु से उसने कहा कि आप मेरे शरीर में वास करें, ताकि जो कोई मुझे देखे उसके समस्त पाप नष्ट हो जाएं. वह जीव पुण्य आत्मा हो जाए और उसे स्वर्ग में जगह मिले. वरदान के बाद जो कोई भी उसे देखता उसके सारे कष्ट दूर हो जाते. विधि के विधान को समाप्त होता देखकर ब्रह्मा जी गयासुर के पास गए.
उन्होंने कहा, “हे परमपुण्य गयासुर! मुझे ब्रह्म-यज्ञ करना है और तुम्हारे समान पुण्य-भूमि मुझे कहीं नहीं मिली. गयासुर के लेटते ही 5 कोस तक उसका शरीर फैल गया. उसके शरीर पर बैठकर सभी देवी-देवताओं ने यज्ञ किया.
‘गया जी’ के नाम की जानें पौराणिक कथा
विशाल यज्ञ के बाद भी गयासुर का शरीर अस्थिर रहा. ये देख देवता चिंतित हो गये. देवाताओं ने एक और योजना बनाई. सभी ने एक मत होकर भगवान विष्णु से कहा, अगर आप भी यज्ञ में शामिल हो जायें तो फिर गयासुर का शरीर स्थिर हो सकता है. कहा जाता है कि भगवान विष्णु की क्रिया से गयासुर स्थिर हो गया. त्याग को देखकर भगवान विष्णु ने गयासुर से वरदान मांगने के लिए कहा.
गयासुर ने भगवान विष्णु से कहा कि आप मुझे पत्थर की शिला बना दें और यहीं स्थापित कर दें. साथ ही मेरी इच्छा है कि आप सभी देवताओं के साथ अप्रत्यक्ष रूप से इसी शिला पर विराजमान रहें ताकि यह स्थान मृत्यु के बाद किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठानों के लिए तीर्थस्थल बन जाए. ऐसे में विष्णु ने कहा गयासुर तुम धन्य हो. तुमने लोगों के जीवित अवस्था में भी कल्याण का वरदान मांगा और मृत्यु के बाद भी मृत आत्माओं के कल्याण के लिए वरदान मांग रहे हो. तुम्हारी इस कल्याणकारी भावना से पितरों के श्राद्ध-तर्पण आदि करने यहां आएंगे और सभी आत्माओं को पीड़ा से मुक्ति मिलेगी. तब से ही यहां पर पितरों का श्राद्ध तर्पण किया जाता है.
बिहार कैबिनेट में 69 प्रस्ताव मंजूर,
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक हुई। 69 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इनमें गया शहर का नाम बदलकर अब आधिकारिक रूप से ‘गया जी’किए जाने का फैसला हुआ। इसके साथ ही बोधगया में बौद्ध ध्यान एवं अनुभव केंद्र के निर्माण को भी स्वीकृति दी गई। इस पर 165.44 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।
बैठक की जानकारी देते हुए कैबिनेट के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने कहा कि ‘आपरेशन सिंदूर’ में सशस्त्र सेनाओं और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के शहीद कर्मियों के आश्रित को 50 लाख का अनुग्रह अनुदान दिया जाएगा। यह भी निर्णय किया गया कि पूर्व उपमुख्यमंत्री स्व. सुशील कुमार मोदी की जयंती हर वर्ष 5 जनवरी को राजकीय समारोह के रूप में मनेगी। सारण जिले के सोनपुर नगर पंचायत को नगर परिषद का दर्जा दिया गया है। औरंगाबाद जिले के मदनपुर को नगर पंचायत बनाया जाएगा।
राज्यकर्मियों के महंगाई भत्ते में 2% की बढ़ोतरी की गई है (अब 55%)। इससे सरकार पर 1070 करोड़ रुपए का अतिरिक्त व्यय होगा। षष्ठम वेतनमान वालों के लिए डीए 6% और पंचम वेतनमान वालों के लिए 11% बढ़ाया गया है। -पढ़ें पेज 02 भी
कैबिनेट ने दी 58193.52 करोड़ रुपए लोन लेने की मंजूरी
कैबिनेट ने चालू वित्तीय वर्ष में 58193.52 करोड़ रुपए लोन लेने की मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत धान के उत्पादन में वृद्धि के लिए 45 करोड़ खर्च किए जाएंगे। राज्य सरकार में नियुक्ति और शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन के लिए राज्य के मूल निवासी बेंचमार्क दिव्यांगजन मात्र को ही क्षैतिज आरक्षण मिलेगा।
राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में विभिन्न विभागों में 747 पदों के सृजन की स्वीकृति दी गई है। इसमें सहकारिता विभाग के अधीन नए बनाए गए कार्यालय समेत सभी विभागीय कार्यालयों में लिपिकीय पद समेत कुल 333 पदों पर बहाली की जाएगी। कैबिनेट ने बिहार कैंसर केयर एंड रिसर्च सोसाइटी के गठन को मंजूरी दी गई है।
पंचायत स्तर पर भी नए बदलाव हुए
1 अब पंचायत सचिव जन्म एवं मृत्यु का पंजीकरण भी करेंगे। 1069 पंचायतों में पंचायत सरकार भवन बनेंगे, जिनमें सुधा मिल्क पार्लर भी खुलेंगे। इसके लिए 2784.93 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं।
2 गांवों में किसान सलाहकार योजना के तहत काम कर रहे 7043 कर्मियों के लिए 125.95 करोड़ रुपए मंजूर हुए हैं। 12 जिलों में धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत 45 आंगनबाड़ी केंद्र खुलेंगे।
जीविका दीदियों को नई जिम्मेदारियां
1 जीविका दीदियों को अब 537 प्रखंड/अंचल कार्यालय परिसरों की सफाई की जिम्मेदारी दे दी गई है। इस पर हर साल 33.84 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।
2 ‘बिहार राज्य जीविका निधि साख सहकारी संघ लिमिटेड’ नाम से एक अलग कॉपरेटिव बैंक गठित किया जाएगा। इससे जुड़े सदस्यों को कम ब्याज दर पर पूंजी उपलब्ध कराई जाएगी।
जल-जीवन हरियाली और वित्तीय योजनाएं
1 जल जीवन हरियाली अभियान की अवधि को 2025-26 से 2029-30 तक विस्तार करते हुए विकास योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए कैबिनेट ने 24511.55 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है।
2 बिहार जल सुरक्षा एवं सिंचाई आधुनिकीकरण परियोजना पर 4415 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसमें 3090.50 करोड़ रुपए विश्व बैंक लोन देगा और 1324.50 करोड़ रुपए बिहार सरकार खर्च करेगी।
क्यों बदला गया का नाम… मोक्षभूमि गयाजी की पहचान गयासुर से है। गयासुर धर्मनिष्ठ व विष्णु भक्त था। नाम के आगे सम्मान में ‘जी’ लगाने की परंपरा है। अधिकारिक मान्यता नहीं होने के बावजूद इस तीर्थक्षेत्र की पहचान गयाजी के रूप में ही है।
राज्य के विभिन्न विभागों में 747 पदों पर बहाली होगी
कैबिनेट में ये निर्णय भी लिए गए…
बोधगया में ध्यान केंद्र भी बनेगा{राज्यकर्मियों के महंगाई भत्ता में वृद्धि