पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया है. इससे पूरे पाकिस्तान ही नहीं बल्कि दुनिया में खलबली मच गई है. भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के पेट में घुसकर हमले किए हैं. इससे पड़ोसी मुल्क का पूरा तंत्र हिल गया है. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार और असीम मुनीर की सेना को भी समझ नहीं आ रहा है कि भारत के इस हमले का जवाब कैसे दिया जाए. इसको लेकर पाकिस्तान में एक बार फिर सेना और सरकार के रुख में अंतर दिखने लगा है. भारत के हमले के बावजूद सरकार ने बदले को लेकर बहुत आक्रामक प्रतिक्रिया नहीं दी है.
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि पाकिस्तान के पास भारत के हमले का जवाब देने का अधिकार है. उन्होंने अपनी सेना को भारत के हमले का जवाब देने की छूट देने की बात कही है. वहीं उनके रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि अगर भारत और हमले नहीं करता है तो उनका देश इस मामले को और आगे बढ़ाने के मूड में नहीं है. दूसरी तरफ सेना ने कहा है कि भारत के हमले का वह माकूल जवाब देगी. उसने कहा है कि भारत के हमले में 31 लोगों की जान गई है जबकि 57 लोग घायल हुए हैं. उसकी प्रतिक्रिया सरकार के जवाब की तुलना में ज्यादा आक्रामक दिख रही है.
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ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया.
सेना और सरकार की प्राथमिकता
पाकिस्तान का इतिहास रहा है कि वहां सेना और सरकार के बीच हमेशा से टकराव की स्थिति रही है. पाकिस्तान के बारे में कहा जाता है कि वह एक ऐसा मुल्क है जिसकी सेना वहां के राजनीति नेतृत्व के ऊपर है. विदेश नीति खासकर भारत को लेकर सभी अहम फैसले वहां की सेना लेती है. जब भी सेना और सरकार के बीच मतभेद हुआ है तो वहां के राजनीतिक नेतृत्व का तख्ता पटल हुआ है. वहां सेना की सत्ता स्थापति हुई है. और यह भी सच है कि अधिकतर बार भारत के साथ जंग में हारने के बाद वहां के राजनीतिक नेतृत्व को अपनी सत्ता गंवानी पड़ी है. जुल्फिकार अली भुट्टो से लेकर नवाज शरीफ तक इसका लंबा इतिहार रहा है.
पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति
इस वक्त पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है. बीते कुछ महीनों के दौरान शहबाज शरीफ सरकार ने आर्थिक सुधार से जुड़े कई कदम उठाए हैं. इस कारण अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही थी. पाकिस्तान थोड़ी स्थिरता की ओर लौट रहा था. ऑपरेशन सिंदूर से पहले पाकिस्तान का राजनीतिक नेतृत्व बार-बार भारत के साथ किसी टकराव से बचने की बात कह रहा था. लेकिन, ऐसी खबरें आती रही हैं कि असीम मनीर की सेना शहबाज शरीफ के नेतृत्व को अपने लिए चुनौती मानने लगे हैं. इसी कारण मुनीर ने पहले पहलगाम में आतंकवादी हमले करवाए और फिर भारत के साथ टकराव मोल लेकर जनता में अपने लिए सहानुभूति बटोर रहे हैं. इससे शहबाज शरीफ की सरकार धर्म संकट में उलझ गई है. एक तरफ उसे भारत से टकराव की स्थिति में अपनी सेना और राष्ट्रवाद की भावना का ख्याल करना है तो दूसरी तरफ उसे अपने खजाने को भी देखना है.
सेना और सरकार के नजरिए में अंतर
इसी कारण भारत की ओर से ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सरकार और सेना की प्रतिक्रिया और अप्रोच में अंतर दिख रहा है. पाकिस्तान की सेना भारत से जंग की तैयारी में जुटी है, जबकि शहबाज शरीफ की सरकार के कई मंत्री बार-बार यह संदेश देते दिख रहे हैं कि जंग नहीं होनी चाहिए. जंग से पाकिस्तान को भारी आर्थिक नुकसान होगा. ऐसे में कई जानकार और पाकिस्तान का इतिहास यह कह रहा है कि कहीं एक बार फिर वहां तख्तापलट न हो जाए. क्योंकि, असीम मुनीर ने जो खेल खेला है उसमें शहबाज शरीफ घिरते जा रहे हैं.