प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बिहार अब अधिक भाने लगा है. वर्ष 2025 के चार महीनों में मोदी दो बार बिहार की यात्रा कर चुके हैं. पहली बार 24 फरवरी को वे बिहार के भागलपुर में पहुंचे थे. उनकी दूसरी यात्रा 24 अप्रैल को मधुबनी में हुई. उनकी दो और यात्राओं की रूपरेखा तैयार की जा रही है. मई में ही दोनों यात्राएं होंगी. उनकी अगली यात्राओं में एक कार्यक्रम पटना में होना है तो दूसरी यात्रा शाहाबाद क्षेत्र में संभावित है. अब तक की अपनी यात्राओं में पहली बार तो वे लालू यादव पर वैसे ही हमलावर दिखे, जैसा लोकसभा चुनाव के दौरान उनके तेवर थे. पर, 24 अप्रैल की मधुबनी यात्रा में उन्होंने न लालू के परिवारवाद पर कुछ कहा और न लालू-राबड़ी के जंगल राज का ही अपने पूरे भाषण में कोई जिक्र किया.
24 फरवरी को भागलपुर आए थे
इस साल पहली बार पीएम मोदी 24 फरवरी को भागलपुर आये थे. इस दौरान उन्होंने 24 हजार करोड़ की योजनाओं की सौगात बिहार को दी थी. इसके अलावा इसमाइलपुर-रफीगंज रोड ओवर ब्रिज का लोकार्पण किया था. इसी मौके पर उन्होंने बरौनी में दुग्ध उत्पाद संयंत्र का उद्घाटन भी किया था. मोदी ने लोकसभा चुनाव की तरह ही भागलपुर में लालू यादव को निशाने पर लिया था. वह कुंभ स्नान का दौर था. लालू ने कुंभ स्नान को फालतू बताया था. इस पर मोदी ने कहा था कि जंगल राज वालों को कुंभ फालतू लगता है.
24 अप्रैल को मधुबनी में सभा की
पीएम मोदी ने मधुबनी में 24 अप्रैल को 13 हजार करोड़ से अधिक की योजनाओं का शिलान्यास-उद्घाटन किया. उन्होंने बिहार के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए कामों का जिक्र किया. सीएम नीतीश कुमार के कामों की तारीफ की. पर, विपक्ष को इस बार उन्होंने बख्श दिया. उन्होंने राजनीति में लालू यादव के परिवारवाद पर कुछ नहीं कहा. लालू-राबड़ी के जंगल राज का भी जिक्र नहीं किया. वे केंद्र सरकार की योजनाओं और उन योजनाओं के बिहार के लाभुकों की चर्चा की. नीतीश कुमार के महिला सशक्तिकरण की तारीफ की. नीतीश ने भी इसके लिए पीएम के सहयोग की तारीफ की. पर, चुनावी दृष्टि से विपक्ष पर वे हमलावर नहीं दिखे.

बिहार की राजनीति में लालू यादव का परिवार काफी प्रभावी है.
मई में PM के दो दौरों की योजना
पीएम मोदी के एजेंडे में बिहार के विकास का सपना साफ दिखता है. हालांकि इसकी असल वजह दूसरी है. बिहार में इस साल विधानसभा के चुनाव होने हैं. चुनावी साल में सत्ताधारी दलों की सक्रियता स्वाभाविक है. शायद यही वजह है कि पीएम मोदी के मई महीने में दो बिहार दौरे संभावित हैं. बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वे शाहाबाद और मगध क्षेत्र पर फोकस करने वाले हैं. वाले हैं. ये वही क्षेत्र हैं, जहां लोकसभा चुनाव में एनडीए को बीते साल ज्यादातर सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था. पीएम मोदी मई के पहले हफ्ते में पटना की यात्रा कर सकते हैं. उनकी दूसरी सभा मई महीने में ही सासाराम या औरंगाबाद में हो सकती है.
PM ने जंगल राज का रट्टा छोड़ा
एनडीए और महागठबंधन के बीच आरोप-प्रत्यारोप खूब होते हैं. बिहार में महागठबंधन को लीड करने वाली पार्टी आरजेडी के नेताओं के निशाने पर नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार ही अधिक होते हैं. एनडीए के नेता भी लालू-राबड़ी के जंगल राज और राजनीति में लालू के परिवारवाद पर ही निशाना साधते रहे हैं. मधुबनी में नीतीश कुमार ने थोड़ी-बहुत तब और अब की स्थिति का जिक्र कर इशारों में आरजेडी को लपेटा भी तो पीएम ने ऐसी किसी आलोचना से परहेज किया. संभव है कि एनडीए को अब यह बात समझ में आ गई हो कि पुराने दिनों की याद दिलाने का कोई राजनीतिक लाभ नहीं होने वाला है. 20-25 साल तक की उम्र के मतदाताओं ने तो जंगल राज को देखा ही नहीं है तो वे कैसे उस विभत्स दौर को वोट के लिए चयन का आधार बनाएंगे! बिहार में 8 लाख से अधिक युवा वोटर हैं.
पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में एनडीए ने लालू के राजनीति में वंशवाद को प्रमुख मुद्दा बनाया था. केंद्रीय नेताओं से लेकर प्रदेश स्तर के एनडीए नेता यह बताते थकते नहीं थे कि कैसे लालू यादव ने अपनी 5 संतानों को राजनीति में उतार दिया है. लालू यादव आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. पत्नी राबड़ी देवी सीएम के बाद अब विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष हैं तो बेटा तेजस्वी यादव दो बार डेप्युटी सीएम रहने के बाद अब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बन हैं. दूसरे बेटे तेज प्रताप विधायक और बड़ी बेटी मीसा भारती सांसद हैं. एक बेटी रोहिणी आचार्य भी राजनीति में कदम रख चुकी हैं. जब से तेजस्वी ने एनडीए में वंशवाद की सूची जारी की, तभी से इसकी चर्चा एनडीए के नेताओं ने बंद कर दी है.