मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ऐलान कर दिया कि वक्फ कानून के खिलाफ देश भर में 1985 जैसा आंदोलन चलाया जाएगा। जैसे शाहबानो केस में उस वक्त राजीव गांधी की सरकार को झुकाया था, वैसे ही मोदी सरकार को वक्फ संशोधन कानून वापस लेने पर मजबूर किया जाएगा। बोर्ड की तरफ से देश भर की मस्जिदों को एक ड्राफ्ट भेजा गया है जिनके आधार पर हर जुमे की नमाज के बाद मौलानाओं को तकरीरें करनी है। मुसलमानों को बताना है कि वक्फ एक्ट मजहबी मामलों में दखल है, सरकार इसके जरिए कैसे मस्जिदों, मदरसों और कब्रिस्तानों पर कब्जा कर लेगी। फिर देश भर में रैलियां निकाली जाएंगी। 22 अप्रैल को दिल्ली में बड़ी रैली होगी। आंदोलन का पहल चरण 7 जुलाई तक चलेगा। मौलानाओं ने जिस जंग का ऐलान किया है, वो असल में वक्फ कानून को लेकर नहीं है। कानून तो बहाना है, असल में मोदी निशाना हैं। मौलानाओं की तकरीर का मकसद किसी तरह मोदी को झुकाना है। वक्फ कानून का आम मुसलमान से कोई लेना-देना नहीं है, पर उसे ये समझाया जा रहा है कि सरकार मस्जिदों, कब्रिस्तानों और ईदगाहों पर कब्जा कर लेगी। असल में परेशानी तो उनकी है जिनका वक्फ की जायदाद पर कब्जा है। वे लोग इस मुहिम में पूरे जोर-शोर से जुटे हैं। मुसलमानों की ठेकेदारी करने वालों को लगता है कि अब तक तो हर सरकार हमसे दबती थी, हमने शाहबानो केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदलवा दिया, 2013 में अपनी मर्जी के मुताबिक वक्फ कानून में बदलाव करवा लिया। अब सरकार हमारी बात कैसे नहीं सुनेगी? इसीलिए ये जंग वक्फ के कानून के मेरिट की नहीं, अपनी सुप्रीमेसी साबित करने की है। बड़ी बात ये है कि जिस तरह मुस्लिम पर्सनल बोर्ड और दूसरी तंजीमें वक्फ बोर्ड के खिलाफ माहौल को गर्म करने की कोशिश कर रहे हैं। उसका फायदा समाज के दुश्मन उठा सकते हैं। वो कोई शरारत करके दंगा भड़का सकते हैं।
हाजीपुर की लव जिहाद कहानी हिलाकर रख दे रही है ………………….
बिहार के हाजीपुर से लव जिहाद का एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जहां एक युवक पहले लड़कियों...