‘ऐसा मंजर मैंने पहले कभी नहीं देखा सर… एकदम से एवलांच आया और कंटेनर हवा में उठ रहे थे. कंटेनर के साथ कुछ लोग उड़ गए थे और कुछ लोग कंटेनर से बाहर निकल गए…’ उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव में बीते 28 फरवरी को हुए हिमस्खलन के बाद रेस्क्यू किये एक मजदूर ने जब वो पल बयां किया, तो रोंगटे खड़े हो गए. एवलांच में फंसे 54 मजदूर फंसे थे, जिनमें से 52 श्रमिकों को रेस्क्यू कर लिया गया है, जिनमें से 6 की मौत हो गई. बताया जा रहा है कि 2 मजदूर अभी भी लापता हैं, जिनकी तलाश की जा रही है.
‘हम सेना के शिविर की ओर भाग के गए…’
एवलांच के बाद मौत के मुंह से बाहर आए जोशीमठ आर्मी हॉस्पिटल में भर्ती इलाक करा रहे मनोज भंडारी ने बताया, ” यह सब इतना अचानक हुआ कि हमें कुछ भी पता नहीं चला. भयंकर तूफान के कारण हमारे सभी कंटेनर नष्ट हो गए. किसी तरह हम सेना के शिविर की ओर भाग के गए. मैं अब ठीक हूं, मौसम इतना खराब था कि सेना और सरकार क्या कर सकती थी. सरकार, सेना सबका बहुत-बहुत धन्यवाद.
जोशीमठ आर्मी हॉस्पिटल में भर्ती मुन्ना प्रसाद ने बताया, ‘ऐसा मंजर मैंने पहले कभी नहीं देखा सर. कंटेनर हवा में उठ रहे थे साहब. 6-7 कंटेनर हवा में उड़ गए. कंटेनर के साथ कुछ लोग उड़ गए थे और कुछ लोग कंटेनर से बाहर निकल गए. जो लोग कंटेनर से बाहर उड़ कर गिरे, वो ऐसे ही खुले में पड़े थे. हम किसी तरह 23 लोग BRO कैंप पहुंचे. आर्मी ने हमारा काफी सहयोग किया, उनकी मदद से ही आज हम बच पाए हैं.
अभी हमारे पास 45 मरीज हैं- आर्मी हॉस्पिटल के डॉक्टर
आर्मी हॉस्पिटल में मेजर अमित कुमार मिश्रा ने बताया, ‘अभी हमारे पास 45 मरीज हैं, इनमें से 3 गंभीर हैं इसमें से एक को लीवर में चोट आई हैं. खून का रिसाव हो रहा है उसको हमने मैनेज किया. अभी उनकी स्थिति ठीक है. बाकी सारे मरीज ठीक स्थिति में हैं. हम सभी की स्थिति पर निगरानी कर रहे हैं अगर इलाज के लिए आगे भेजना होगा तो हम भेजेंगे. अभी सभी की हालत खतरे से बाहर है.’

माणा में जारी है सर्च ऑपरेशन, 4 मजदूरों अब भी लापता
माणा में सर्च ऑपरेशन के दूसरे दिन 23 मजदूरों को जोशीमठ लाया गया है, जिसमें से 20 घायल और 03 की मृत्यु हो चुकी है. इस तरह अभी तक रेस्क्यू किए गए 50 मजदूरों में से 04 की मृत्यु हो चुकी है. वहीं, गंभीर रूप से घायल को 01 मजदूर को इलाज के लिए एम्स ऋषिकेश भेजा गया है. बाकी घायलों का मिलिट्री हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है. जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि इस रेस्क्यू अभियान में सेना के 07 और 01 निजी हैली की मदद से घायलों को जोशीमठ लाया गया है. लापता श्रमिकों में हरमेश चन्द हिमाचल प्रदेश, अशोक उत्तर प्रदेश, अनिल कुमार व अरविंद उत्तराखंड के रहने वाले हैं. जिलाधिकारी ने बताया कि देर रात डॉक्टरों ने चार मजदूरों को मृत्यु की पुष्टि की है, जिनमें हिमाचल के जितेंद्र सिंह व मोहिन्द्र पाल, उत्तर प्रदेश के मंजीत यादव, तथा उत्तराखंड के अलोक यादव शामिल हैं.
जोशीमठ आर्मी हॉस्पिटल में ब्रिगेड जीएसओ 1 लेफ्टिनेंट कर्नल देवेन्द्र ने बताया, ‘माणा में आए हिमस्खलन में 54 लोगों के दबे होने की सूचना प्राप्त हुई थी. पिछले 52 घंटे से बचाव कार्य जारी है. अभी तक 51 लोगों को निकाल लिया गया है. 4 लोगों की मृत्यु हो गई है 46 सुरक्षित है जिसमें से 1 को हमने कल AIIMS ऋषिकेश रेफर किया है. बाकियों का इलाज आर्मी अस्पताल में किया जा रहा है. 3 लोगों की हालत गंभीर है लेकिन उनकी सेहत में काफी सुधार हुआ है.’
माणा रेस्क्यू ऑपरेशन में बड़ी मुश्किल हुई खत्म, अब रवाना होंगी टीमें
विपरीत परिस्थितियों में कार्य करते हुए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने कड़ी मशक्कत के बाद बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग को खोल दिया है. हनुमान चट्टी, रड़ांग बैंड और कंचन गंगा क्षेत्र में सात बड़े हिमखंडों को काटकर बीआरओ की मशीनें बदरीनाथ धाम तक पहुंच गई हैं. सबसे कठिन चुनौती रड़ांग बैंड से तीन किलोमीटर आगे आई, जहां करीब 11 फीट ऊंचा हिमखंड हाईवे को पूरी तरह अवरुद्ध कर रहा था. इसे काटने के लिए पोकलेन और जेसीबी मशीनों का इस्तेमाल किया गया.
बीआरओ के कमांडर कर्नल अंकुर महाजन ने बताया कि अत्यधिक ठंड और कठिन परिस्थितियों के बावजूद टीम ने लगातार काम करके हाईवे को खोल दिया है. अब रविवार को आपदा प्रबंधन और एसडीआरएफ की टीमें माणा गांव पहुंचेंगी, जिससे वहां फंसे लोगों तक राहत सामग्री और आवश्यक सहायता पहुंचाई जा सकेगी
जहां एक ओर बीआरओ की टीमें विपरीत हालातों में बेहतर कार्य कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर बिरही-निजमुला सड़क पर हो रहे चौड़ीकरण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं. हाल ही में इस सड़क पर बनाया गया पुस्ता मात्र दो दिन की बारिश में ही धंस गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि निर्माण कार्य में लापरवाही बरती जा रही है, जिससे सड़क की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है.
चमोली जिले में इन दिनों सड़क चौड़ीकरण का कार्य चल रहा है, जिसके तहत हिल कटिंग और पुस्तों का निर्माण किया जा रहा है. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत इस सड़क पर कार्यदायी संस्था निर्माण कार्य कर रही है. लेकिन हाल ही में हुई बारिश से सड़क का पुस्ता दरक गया, जिससे क्षेत्र में सड़क बंद होने का खतरा बढ़ गया है. स्थानीय निवासियों ने सड़क की खराब गुणवत्ता को लेकर प्रशासन पर सवाल उठाए हैं
स्थानीय निवासी तारेंद्र सिंह, प्रकाश सिंह, अनुज सिंह, वीरेंद्र सिंह और विक्रम सिंह का कहना है कि संबंधित विभाग को समय-समय पर सड़क की गुणवत्ता की जांच करनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की समस्याओं से बचा जा सके. उनका आरोप है कि सड़क की हिल कटिंग भी मानकों के अनुरूप नहीं की जा रही है, जिससे बारिश के दौरान पुस्तों के धंसने की आशंका बनी रहती है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर सर्दियों की बारिश में ही सड़क का यह हाल हो गया है, तो बरसात के मौसम में स्थिति और भी बदतर हो जाएगी. उन्होंने संबंधित अधिकारियों से जल्द से जल्द इस मामले में कार्रवाई करने की मांग की है
माणा गांव में फंसे लोगों के लिए राहत सामग्री भेजने की तैयारी
वहीं, बदरीनाथ हाईवे खुलने से क्षेत्र में फंसे यात्रियों और स्थानीय लोगों को राहत मिली है. बीआरओ की टीम लगातार सड़क को सुरक्षित बनाने में जुटी हुई है, ताकि आगे कोई अवरोध उत्पन्न न हो. बदरीनाथ क्षेत्र में बर्फबारी के कारण हाईवे कई दिनों से बंद पड़ा था, जिससे स्थानीय लोगों और पर्यटकों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था.
अब जब हाईवे खुल गया है, तो प्रशासन ने माणा गांव में फंसे लोगों के लिए राहत सामग्री भेजने की तैयारी कर ली है. साथ ही एसडीआरएफ की टीमें भी रवाना हो रही हैं, जो हिमस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति का जायजा लेंगी और जरूरतमंद लोगों तक मदद पहुंचाएंगी
स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से अपील की है कि वे निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर कड़ी निगरानी रखें, ताकि भविष्य में इस तरह की समस्याओं का सामना न करना पड़े. खासकर ऊंचाई वाले इलाकों में सड़क निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने की जरूरत है, ताकि प्राकृतिक आपदाओं के दौरान भी ये सड़कें सुरक्षित बनी रहें.
बदरीनाथ हाईवे के सुचारु होने के बाद अब सभी की नजरें मौसम पर टिकी हैं. यदि आने वाले दिनों में मौसम साफ बना रहता है, तो राहत कार्यों को और तेज किया जाएगा. वहीं, बिरही-निजमुला सड़क के क्षतिग्रस्त होने के बाद स्थानीय लोग उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द ही इस पर प्रशासन की ओर से ठोस कदम उठाए जाएंगे.