दिल्ली में विधानसभा चुनाव हो रहा है। टिकट बांटे-काटे जा रहे। तिकोने संघर्ष में इंडिया ब्लाक के दो दल-कांग्रेस और आप (AAP) आमने-सामने ताल ठोंक रहे। कांग्रेस से कभी दिल्ली की सल्तनत छीनने वाले अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस को पुनर्स्थापित करने के प्रयास में लगे राहुल गांधी इंडिया ब्लाक में साथ रहते हुए भी एक दूसरे की छीछालेदर कर रहे हैं। दोनों को एनडीए से भी जूझने की चुनौती है। इस तनातनी के बावजूद राहुल गांधी संविधान सुरक्षा का संकल्प दोहराने पटना पहुंच गए। बिहार में एनडीए और महागठबंधन की तेजी तो बताते नहीं बनती। ऐसी हड़बड़ी क्यों दिख रही बिहार में?
राहुल गांधी बिहार आए
राहुल गांधी आमतौर पर बिना वजह कहीं जाते नहीं। पर, वे बेमौसम बिहार आए। आदतन संविधान पर संकट का रोना रो गए। लालू यादव से मिलने राबड़ी देवी के आवास पहुंचे। तेजस्वी यादव ने अंबेडकर की तस्वीर उन्हें भेंट की। अपनी पार्टी के लोगों को भी राहुल सचेत कर गए कि सीटों के सवाल पर लालू-तेजस्वी से पंगा नहीं लेना है। जाही विधि वे रखें, चुपचाप वैसे ही रहना है। राहुल ने नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की बहुचर्चित जाति सर्वेक्षण पर सवाल भी उठा दिए। उसे फेक बता दिया। बवाल के लिए उनका एक बयान काफी रहा। आरजेडी नेता तो इस मुद्दे पर कुछ बोल नहीं रहे, लेकिन एनडीए के नेताओं को बोलने का मौका दे दिया। इसे लेकर बिहार की सियासत गर्म हो गई है।
तेजस्वी यादव ने यात्रा की
तेजस्वी यादव ने रुक-रुक कर कई चरणों में अपनी यात्रा हाल ही में पूरी की है। आरजेडी अब अगले कार्यक्रमों की योजना बनाएगा। आरजेडी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी तीन दिन पहले हुई है। पार्टी ने लालू यादव के बराबर तेजस्वी को दलगत फैसलों का अधिकार दे दिया है। यानी गठबंधन, सीट शेयरिंग, सिंबल वितरण और उम्मीदवार चयन जैसे काम अब तेजस्वी अपनी मर्जी से कर सकेंगे। पावर मिलते ही तेजस्वी फार्म में भी आ गए। अपने नेताओं को उन्होंने साफ-साफ बता दिया कि परफार्म नहीं करने वालों की खैर नहीं। यानी पार्टी उन्हें नहीं ढोएगी।
नीतीश की यात्रा चल रही
इधर सीएम नीतीश कुमार दिसंबर 2024 से प्रगति यात्रा पर हैं। जिलों में जाकर नीतीश न सिर्फ चल रही योजनाओं की प्रगति की समीक्षा कर रहे हैं, बल्कि सैकड़ों करोड़ की योजनाओं का हर जिले को सौगात भी दे रहे हैं। घोषणा, उद्घाटन और शिलान्यास कर रहे हैं। उनकी यात्रा मध्य फरवरी तक पूरी हो जाएगी। फरवरी में बजट आने वाला है। यह चुनावी साल का बजट है। इसलिए रेवड़ियों की बरसात तो होनी ही चाहिए। वैसे भी तेजस्वी यादव ने कई लुभावने वादे कर नीतीश कुमार को रेवड़ियों की लाइन खींच दी है। महिलाओं को 2500 रुपए मासिक सम्मान राशि, वृद्धावस्था पेंशन में बढ़ोतरी और 200 यूनिट फ्री बिजली का तेजस्वी ने वादा किया है।
एनडीए के साझा प्रोग्राम
एनडीए में पहले घटक दल अलग-अलग सक्रिय थे। अब इनके नेता साथ यात्रा पर निकले हैं। जिलों में जाकर वे कार्यकर्ताओं में एकजुटता का संदेश देंगे। उनमें 220 सीटें जीतने का उत्साह भरेंगे। फरवरी में इस साझा कार्यक्रम का समापन होगा। हालांकि एनडीए की इस एकजुटता प्रयास में बड़े नेता अपने बयानों से व्यवधान भी पैदा कर रहे। हम (HAM) के संस्थापक और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी का मूड 20 सीटों के लिए खराब हो रहा है। एलजेपीआर के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान एनडीए के विरोधी बने बीपीएससी अभ्यर्थियों के मुद्दे पर प्रशांत किशोर के साथ खड़े दिख रहे हैं।
चुनाव पहले तो नहीं होगा?
बिहार में राजनीतिक गतिविधियां ठीक उसी तरह तेज दिख रही हैं, जैसे सिर पर खड़े चुनाव के तीन-चार महीने पहले होती हैं। सवाल उठता है कि अपने किए का प्रतिफल पाने के लिए नीतीश छह-आठ महीने बाद का इंतजार क्यों करेंगे! वह भी तब, जब मतदाताओं की याददाश्त कमजोर होने की बात वे पहले कई बार कह चुके हैं। तेजस्वी और राहुल की सक्रियता भी अचानक और अनायास नहीं है। तेजस्वी ने तो महागठबंधन के साझा घोषणापत्र के प्रमुख बिंदु पहले ही बता दिए हैं तो इसका आशय यही हुआ कि उन्हें भी समय से पहले विधानसभा चुनाव की भनक है। चर्चा है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा अगर अरविंद केजरीवाल को शिकस्त देने में सफल रही तो बिहार में चुनाव समय से पहले हो सकता है। तब तक बजट में नीतीश कुमार को जो रेवड़ियां बांटनी होंगी, वे घोषित कर देंगे।