बिहार में उपचुनाव को विधानसभा सभा चुनाव से पहले सेमिफाइनल माना जा रहा है. ऐसे में सभी पार्टियों ने इमामगंज, बेलागंज, तरारी और रामगढ़ विधानसभा सीटों को जीतने के लिए पूरा जोर लगा दिया है. इन सभी सीटों पर अब मुकाबला चार पार्टियों के बीच हो गया है. एनडीए, महागठबंधन, जन सुराज और बीएसपी के बीच. वहीं असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने भी अपनी इंट्री करवाकर मुकाबले को और भी रोमांचक बना दिया है. इन सीटों में एक सीट है कैमूर जिले का रामगढ़ जहां मुकाबला दिलचस्प बन पड़ा है.
जगदानंद सिंह की साख की परख- बता दें कि रामगढ़ विधानसभा सीट से बिहार सरकार के पूर्व मंत्री स्वर्गीय सच्चिदानंद सिंह और वर्तमान में बिहार के कद्दावर नेताओं में से एक आरजेडी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह विधायक रह चुके हैं. वहीं, जगदानंद सिंह के पुत्र बिहार सरकार के पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह के सांसद बनने पर यह सीट खाली हुई थी जिसे लेकर 13 नवंबर को उपचुनाव होने वाला है. ऐसे में रामगढ़ विधानसभा में मुकाबला दिलचस्प है.
एनडीए की एकजुटता की परीक्षा
अगर बात करें बीजेपी की तो बीजेपी ने पूर्व विधायक अशोक सिंह पर दांव लगाया है. अशोक सिंह रामगढ़ सीट से तो अभी तक विधायक रहे थे और 2020 विधानसभा चुनाव सुधाकर सिंह से हार गए थे. वहीं, राजद ने जगतानंद सिंह के पुत्र और सुधाकर सिंह के छोटे भाई अजीत कुमार सिंह को टिकट देकर मैदान में उतारा है. अजीत सिंह ने हाल में ही जदयू का साथ छोड़ राजद का दामन पकड़ लिया है.
जनसुराज की इंट्री से रोचक संघर्ष
बिहार में सबसे कम समय में पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने को जन सुराज बेकरार है. जन सुराज ने रामगढ़ विधानसभा से सुशील कुमार कुशवाहा को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. बता दें कि कुशवाहा 2019 में बसपा की टिकट से बक्सर लोकसभा चुनाव में एक लाख से अधिक मत लाए थे नामांकन के आखिरी दिनों में ही जन सुराज के कार्यवाहक अध्यक्ष मनोज भारती ने सुशील कुमार कुशवाहा के नाम पर मुहर लगाई थी कहीं ना कहीं जन सुराज के आने से राजनीतिक समीकरण बदलते दिखाई दे रहा है
बीएसपी वोटकटवा या छुपा रुस्तम
वहीं अगर बसपा की बात करें तो बसपा ने दुर्गावती से जिला परिषद सदस्य सतीश यादव उर्फ पिंटू यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है. पिंटू यादव रामगढ़ से ही पूर्व विधायक ददन पहलवान के भतीजे हैं. हालांकि, रामगढ़ विधानसभा का मुकाबला त्रिकोणीय है लेकिन बसपा भी इस मुकाबले में घुसने की पूरी कोशिश कर रही है.
वहीं, सभी प्रमुख दलों के प्रत्याशियों के नामांकन वैध पाये गए हैं. आगामी 13 नवंबर को वोटिंग है और 23 नवंबर को प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला हो जाएगा. अब देखने वाली बात यह होगी कि रामगढ़ की जनता किसे इस बार रामगढ़ का ताज पहनती है.