लैंड फॉर जॉब घोटाला मामले के अहम आरोपी अमित कत्याल को दिल्ली हाईकोर्ट ने बीते 17 सितंबर को जमानत दे दी थी. इसी अमित कत्याल की कंपनी का अधिग्रहण करने का आरोप लालू प्रसाद यादव के परिवार पर लगा है. नौकरी के बदले जमीन घोटाले की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने अपनी चार्जशीट में दावा करते हुए जो तथ्य बताए हैं इसके अनुसार, अमित कत्याल की कंपनी एके इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उनके बेटे तेजस्वी यादव ने 2014 में मात्र 1 लाख रुपये का भुगतान करके अपने कब्जे में ले लिया था, जबकि उस वक्त इस फर्म के पास 63 करोड़ की संपत्ति थी.
बता दें कि ईडी ने आरोपपत्र में दावा किया है कि लैंड फॉर जॉब मामले में मुख्य साजिशकर्ता पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद ही हैं. ईडी ने यह दावा बीते शुक्रवार को दायर अपनी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में किया था. अपनी चार्जशीट में ईडी ने यह भी तथ्य बताया है कि तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार ने रेलवे में नौकरी देने के नाम पर लोगों से रिश्वत के तौर पर जमीन ली थी. आरोप के अनुसार, अवैध तरीके से अर्जित जमीन पर लालू प्रसाद यादव के परिवार का कब्जा है.
ईडी की जांच में बड़े खुलासे!
ईडी ने यह भी बताया है कि जांच के दौरान खुलासा हुआ कि रेलवे में नौकरी के नाम पर रिश्वत के तौर पर जमीन लेना लालू प्रसाद यादव स्वयं तय कर रहे थे, इसमें उनका साथ उनका परिवार और करीबी अमित कत्याल दे रहे थे. कई जमीनें ऐसी भी हैं जो लालू प्रसाद यादव के परिवार की जमीन के ठीक बराबर में स्थित हैं और इन्हें भी कौड़ियों के दाम पर खरीद लिया गया. ईडी के आरोपों के घेरे में लालू प्रसाद यादव के बेटे और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी हैं.
ईडी की चार्जशीट से उठे सवाल
ईडी ने चार्जशीट में बताया है कि दिल्ली की न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में 150 करोड़ का बंगला उन्होंने सस्ते दाम पर खरीद लिया था और इसे भी रेलवे में नौकरी के लिए अप्लाई करने वाले कैंडिडेट से लिया गया था. चार्जशीट में ED ने दावा किया है कि एके इंफोसिस्टम्स जमीन अधिग्रहण के बाद 13 जून 2014 को राबड़ी देवी को 85 प्रतिशत और तेजस्वी यादव को 15 प्रतिशत शेयर ट्रांसफर कर दिए जिस कारण तेजस्वी यादव मेसर्स एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के पास मौजूद जमीन के मालिक बन गए. इसके साथ ही 1.89 करोड़ रुपए की संपत्ति को लालू प्रसाद यादव के परिवारवालों ने 1 लाख रुपए कीमत देकर अपने कब्जे में कर लिया.
ईडी ने अपनी जांच के दौरान जो तथ्य निकाले हैं इसके अनुसार, 13 जून, 2014 को एके इंफोसिस्टम्स की संपत्ति का बाजार मूल्य 63 करोड़ रुपये था. इस तरह, कंपनी ने लालू प्रसाद यादव के लिए अनुसूचित अपराध में उत्पन्न अपराध की आय को छिपाने के लिए एक टूल के रूप में काम किया, ताकि अवैध तरीके से अर्जित आय और उसके रियल बेनिफिशियरी यानी वास्तविक लाभार्थी के बीच किसी भी स्पष्ट संबंध को छिपाया जा सके. ईडी का दावा है कि तेजस्वी यादव का एक अन्य कंपनी, एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (एबीईपीएल) के साथ संबंध है और इसे भी लालू प्रसाद यादव का परिवार ही कंट्रोल या संचालित करता है.
तेजस्वी के पास कंपनी की हिस्सेदारी
चार्जशीट में दावे के अनुसार, तेजस्वी यादव के पास कंपनी में 98.25% हिस्सेदारी है, जबकि उनकी बहन चंदा यादव के पास इसमें 1.75% हिस्सेदारी है. इसने आरोप पत्र में दावा किया गया है कि एबीईपीएल ने 2007 में पांच शेल कंपनियों से वैकल्पिक रूप से पूरी तरह से परिवर्तनीय डिबेंचर का उपयोग करके 5 करोड़ रुपये में न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में एक आवासीय संपत्ति और एक बंगला डी-1088 खरीदा था. ईडी के आरोप पत्र में कहा गया है कि तेजस्वी यादव ने 2010 में केवल 4 लाख रुपये का देकर एबीईपीएल के शेयर खरीदे.
नाम नहीं छापने की शर्त पर ईडी के अधिकारी बताते हैं कि जब भी तेजस्वी यादव दिल्ली में होते हैं तो कथित तौर पर न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी वाले इसी बंगले में रहते हैं. बता दें कि मार्च 2023 में एक प्रेस वक्तव्य में ईडी ने दावा किया था कि इस बंगले की वर्तमान कीमत 150 करोड़ रुपये है. गौरतलब है कि ईडी ने इस मामले में अब तक दो चार्जशीट दायर की है जिसमें लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और अमित कत्याल के अतिरिक्त ईडी ने लालू प्रसाद की बेटियों हेमा यादव और मीसा भारती का भी नाम लिया है. खास बात यह है कि ईडी ने इस बार लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को भी तलब किया है.
क्या है लैंड फॉर जॉब केस?
लैंड फॉर जॉब स्कैम के तहत सीबीआई का आरोप है कि लालू प्रसाद यादव ने 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री रहते हुए बड़ा घोटाला किया. इसके तहत रेलवे में नौकरी देने के नाम पर लालू परिवार के सदस्यों के नाम पर जमीन और प्रॉपर्टी ट्रांसफर कराई गई. जमीनों के बदले मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में जोन में बड़े पैमाने पर नौकरियां दी गईं. आरोप के अनुसार, लालू परिवार ने बिहार में 1 लाख स्क्वायर फीट से ज्यादा जमीन महज 26 लाख रुपए में हासिल कर ली थी, जबकि उस समय के सरकारी दर के अनुसार, जमीन की कीमत करीब 4.39 करोड़ रुपए थी. इतने कम पैसों में जमीन लेने के बाद ज्यादातर केस में जमीन मालिक को कैश में भुगतान किया गया.
जांच की जद में तेजप्रताप भी आए
सीबीआई के आरोप के अनुसार, राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव, तेजस्वी यादव के नाम पर रेलवे में नौकरी के लिए अप्लाई करने वाले कैंडिडेट्स से जमीन ट्रांसफर कराये गये. मेसर्स एक इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड और एबी एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी इस खेल में शामिल थी. वहीं, अमित कत्याल पर आरोप है कि लालू परिवार के लिए इन्होंने कंपनियां बनाईं और बाद में मामूली राशि लेकर कंपनियों के शेयर लालू परिवार को दिए. ईडी ने इन्हें गिरफ्तार किया था और अब वह जमानत पर छूट गए हैं.