सीमांचल को साधने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह रविवार को कटिहार पहुंचे थे। यहां उन्होंने जनसभा को संबोधित किया। सीमांचल में मुस्लिम वोटर्स की संख्या बहुत अधिक है। अपने संबोधन के दौरान अमित शाह हिंदुत्व और धर्म की बात करने से बचते दिखें।
कटिहार की जनसभा में अमित शाह पूरे 16 मिनट तक बोले। अपने भाषण में उन्होंने एक बार भी हिंदुत्व की बात नहीं की। ना ही CAA-NRC और न ही राम मंदिर का जिक्र किया।
पिछले डेढ़ साल में अमित शाह 4 से 5 बार सीमांचल के अलग-अलग इलाकों जनसभा और रैली कर चुके हैं। इसमें कई सभाएं उन्होंने तब की थी, जब नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ थे। अब सवाल यह है कि बदली हुई रणनीति के तहत अमित शाह के कटिहार में हुए इस जनसभा का पूरे सीमांचल पर क्या असर पड़ेगा?
क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार
इस मामले पर राजनीतिक जानकार कहते हैं- पूरे सीमांचल पर भाजपा की नजर बहुत पहले से है। यहां घुसपैठ की समस्या रही है। पूरे इलाके में जनसांख्यिक असंतुलन भी बढ़ा हुआ है। यह क्षेत्र भाजपा के लिए चिंता का विषय बना रहा है।
अमित शाह खुद इस बारे में कई बार जिक्र कर चुके हैं। NRC भी बड़ा फैक्टर है। लोकसभा चुनाव बाद एनडीए की सरकार बनने पर इस इलाके के लिए खास रणनीति के तहत काम करने की तैयारी है। जदयू के साथ जो सॉफ्ट मुस्लिम वोटर्स हैं, वो दूर न हो जाएं। इसका ख्याल रखा गया है।
सीमांचल में दिखेगा अमित शाह के दौरे का असर?
चुनाव के दूसरे चरण के तहत 26 अप्रैल को सीमांचल के कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया में वोट डाले जाएंगे। कटिहार के मंच से अमित शाह ने एक साथ तीनों लोकसभा क्षेत्रों को साधने की कोशिश की। अकेले कटिहार में 18.50 लाख वोटर्स हैं।
इसमें 41 प्रतिशत मुस्लिम वोटर्स हैं, जो राजद-कांग्रेस और जदयू में बंटे हुए हैं। जदयू के NDA में होने के कारण भाजपा की कोशिश है कि अधिक से अधिक मुस्लिम वोटर्स भी उनके उम्मीदवार के पक्ष में वोट करें। इसलिए अमित शाह ने यहां दहाड़ तो लगाई पर हिंदुत्व और NRC की बात उन्होंने नहीं की।
बालाजी मिश्रा कहते हैं कि अमित शाह भाजपा की तरफ से बड़े ही आक्रमक शैली में कैम्पेन करने वाले नेताओं में से एक हैं। सीमांचल में बहुसंख्यक और हिन्दू वोट के ध्रुवीकरण के लिए भी भाजपा जानी जाती है। गृह मंत्री के आने से इस क्षेत्र में NDA के बढ़त होने की संभावना बढ़ गई है। NDA के कार्यकर्ताओं का उत्साह दोगुना बढ़ गया है।
शाह और नीतीश ने लालू-राबड़ी और कांग्रेस पर साधा निशाना
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाषणों में एक बात कॉमन दिखी। इन दोनों के लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और कांग्रेस पर निशाना साधा। एनडीए के दोनों प्रमुख नेताओं ने कटिहार के लोगों को राजद के 15 सालों के शासन की याद दिलाई।
रैली में पहुंचे लोगों से अमित शाह ने कहा- लालू की लालटेन और कांग्रेस के पंजे के साथ जाएंगे तो अत्याचार और दंगा मिलेगा। जबकि, कमल के साथ आएंगे तो डबल इंजन की सरकार से खुशहाली आएगी। विकास होगा। इसलिए हमारे उम्मीदवार को जिताइये, नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाइए।
बालाजी मिश्रा कहते हैं कि गृह मंत्री का यह कड़ा प्रहार था। यह बात उन लोगों के लिए कही गई है, जहां भाजपा को लगता है कि वो कमजोर पड़ रही है। क्योंकि, उसके कोर वोटर्स तो उसके साथ हैं ही।
बेरोजगारी को किया अनदेखा
अमित शाह ने अपने भाषण के दौरान केंद्र सरकार की उपलब्धियों को गिनाया। OBC और अतिपिछड़ों की बात की। 10 साल की NDA की सरकार ने इनके लिए क्या किया? वो सब कुछ बताया। मगर, बढ़ती बेरोजगारी को खत्म करने और नई नौकरियों एवं रोजगार के नए साधनों को उपलब्ध कराने के मुद्दे पर वो कुछ नहीं बोले। जबकि, इसी सभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाषण के दौरान युवाओं ने रोजगार-रोजगार कह कर एक बार शोर भी मचाया।
इस पर राजनीति के जानकार बालाजी मिश्रा कहते हैं कि सच में अमित शाह के इस भाषण में बेरोजगारी और रोजगार के मुद्दे पर कुछ नहीं मिला। क्योंकि, इस क्षेत्र में जनता के किस नब्ज को पकड़कर बोलना है। वो एक रणनीति के तहत तय करके आए थे कि कहां पर हाथ और उंगली रखनी है, वो उन्हें पहले से पता था।
वहीं, विपक्ष बेरोजगारी और रोजगार के मुद्दे पर लगातार केंद्र और राज्य सरकार को घेर रही है। हालांकि, इस पर अमित शाह को कुछ बोलना चाहिए था। लोगों की अपेक्षाएं थीं।
जानिए शाह के कटिहार दौरे पर वहां के स्थानीय लोगों ने क्या कहा
अमित शाह की जनसभा को लेकर कटिहार की जनता क्या सोचती है? इस पर अलग-अलग लोगों से बात की गई। प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले दीपक मिश्रा कहते हैं कि अमित शाह का यहां आना बहुत आवश्यक था। क्योंकि, पूरे सीमांचल में NDA के उम्मीदवार सही नहीं हैं। कार्यकर्ताओं और जनता में विश्वास दिलाने के लिए बहुत जरूरी था। इससे मैसेज जाएगा कि हम एक साथ हैं।
कई लोग मानते हैं कि 100 प्रतिशत लाभ मिलेगा। क्योंकि, नरेंद्र मोदी विकास का दूसरा नाम है। पिछले 10 सालों में इन्होंने बढ़िया काम किया है। हालांकि, बेरोजगारी तो समस्या है ही, लेकिन, आत्मनिर्भर भारत से बेरोजगारी की समस्या दूर हो जाएगी।
जब तक नीतीश कुमार नहीं चाहते तो बिहार में रोजगार कैसे बंट जाता। पहली बार ऐसा हुआ है कि बगैर रिश्वत दिए पढ़ने वाला बच्चा शिक्षक बन गया है। इसलिए अमित शाह के कटिहार आने से बहुत फायदा होगा।