बिहार की जिन सीटों की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, उसमें एक पाटलिपुत्र भी है। यहां से लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती तीसरी बार चुनाव लड़ रही हैं। पिछले दो बार की तरह इस बार भी उनका मुकाबला कभी लालू के करीबी रहे रामकृपाल यादव से है।
चुनावी मैदान में दोनों एक दूसरे को चाचा-भतीजी कह संबोधित करते हुए बड़े-बड़े आरोप लगा रहे हैं। रामकृपाल यादव ने कहा कि जिस लालू यादव के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया था, उन्होंने ही अपनी बेटी मीसा भारती के लिए मेरी राजनीतिक हत्या कर दी थी। उनके करियर को चौपट करने की कोशिश की।
एक दूध बेचने वाले के बेटे का दर्द दूध बेचने वाले ने नहीं समझा, लेकिन चाय बेचने वाले ने न केवल सांसद बनाया बल्कि अपनी कैबिनेट में जगह भी दी। ये उनके लिए बड़ी बात है। रामकृपाल ने दावा किया है कि मीसा भारती पाटलिपुत्र में हार की हैट्रिक लगाएगी।
दैनिक अखबार – दैनिक भाष्कर को दिए साक्षत्कार …
सवाल- लगातार तीसरी बार आपका मुकाबला मीसा भारती से है। इस बार लालू यादव भी बाहर हैं, इसे कितना चुनौतीपूर्ण मान रहे हैं ?
जवाब- चुनाव तो चुनौतीपूर्ण होता ही है। चुनाव कभी भी आसान नहीं होता है। ये मेरा सौभाग्य है कि इन सारी चुनौतियों का मुकाबला हमारी जनता और कार्यकर्ता करते हैं। मुझे अपनी जनता और कार्यकर्ता पर भरोसा है। मैंने उनकी सेवा की है। ईमानदारी और निष्ठा से। इनके सुख-दुख का साथी रहा हूं। सबसे बड़ी बात मोदी जी और नीतीश जी की डबल इंजन की सरकार के अनुरूप मैंने काम किया है। एनडीए के सिपाही के रूप में छोटा और बड़ा हर काम करवाया है।
सवाल- आपकी भतीजी मीसा भारती आरोप लगा रही हैं कि चाचा ने 10 साल में पाटलिपुत्र में कोई काम नहीं कराया है। इस आरोप पर आप क्या कहेंगे ?
जवाब- जिस जगह पर खड़े होकर वे ये बातें बोल रही हैं, जिस सिक्स लेन से वो यात्रा कर रही हैं। ये हमने बनवाई है। वहीं खड़ी होकर वे कह रहीं हैं कि कुछ काम ही नहीं हुआ है। मेरे से काम का हिसाब मांगने वाले से ये पूछना चाहते हैं कि हमने तो काम किया, उसकी लंबी फेहरिस्त है। लेकिन, ये बताइए कि आप भी लगभग 10 साल से राज्यसभा की सदस्य हैं। आपको भी जनता वोट करती ही हैं। आपने क्या काम किया। एक काम बता दीजिए जो आपके माध्यम से हुआ है।
2019 में उन्होंने अपने सांसद निधि से जनता की सेवा के लिए जो पैसा दिया था, चुनाव हारने के बाद 19 करोड़ रुपए की अनुशंसित राशि वापस ले ली। पाटलिपुत्र की जनता के लिए राज्यसभा में कभी आवाज उठाई? कभी कोई प्रश्न पूछा? दायित्वों का निर्वहन किया क्या?
सवाल- मीसा तो गली-गली घूम कर बता रही हैं कि वे क्या की हैं और आगे क्या करेंगी?
जवाब- जनता का दुख बांटना चाहती हैं तब दिखना भी चाहिए न। मीसा हमारी बेटी हैं। बेटी रहेंगी। आप ये बताइए आपने दायित्वों का निर्वहन किया। आप अपने 10 साल के कार्यकाल में जनता के घरों में जाकर दुःख-दर्द बांटने का काम किया। ये लोग आते हैं 5 साल में, जबकि हम हर दिन 10 घर में जाते हैं। अपने जीवन का 40 साल हमने जनता के काम किए हैं। हर दिन सुख-दुख में साथ देने का काम किया है। वो कितने दिन जनता के बीच गईं। हमने कोई भेदभाव नहीं किया। आप मेरे से मात्र 40 हजार से कम वोट पाईं। आपने क्या किया?
आजादी के 70 साल बाद भी मनेर और दानापुर के दियारा के इलाके में जहां लालटेन जलती थी, उसे मोदी सरकार ने एलईडी लाइट से बुझा दिया। हर घर में लाइट जलती है, पता कीजिए किसकी देन है। यहां सड़कों का निर्माण करा रहे हैं। राज्य सरकार और केंद्र सरकार से काम हम करवा रहे हैं, लेकिन इन इलाकों में वोट इन्हीं को ज्यादा मिलता है।
सवाल- कभी आपकी गिनती लालू यादव के वफादार के रूप में होती थी? आज आप दोनों के रिश्ते कैसे हैं ?
जवाब- लालू प्रसाद यादव मेरे अभिभावक रहे हैं। सम्माननीय नेता रहे हैं। उनके प्रति मेरे मन में सम्मान है और जब तक जिंदा रहूंगा, वो सम्मान रहेगा। हमारा उनसे नीतिगत, सैद्धांतिक और पॉलिटिकल विरोध हो सकता है, लेकिन व्यक्तिगत विरोध नहीं है। मगर, लालू जी इस बात को नहीं समझ सके। बहुत अफसोस के साथ ये कहना पड़ रहा है।
2009 में भी मेरा टिकट कटा। उन्होंने कहा कि मैं लड़ूंगा। मैंने कहा, लड़िए। दूसरी पार्टियों से मुझे बड़े-बड़े ऑफर्स आए। मैंने ठुकरा दिया। कहा- लालू जी को नहीं छोडूंगा। उसूल और सिद्धांत के आदमी हैं। 2014 में मुझे बेदखल करने की कोशिश की गई। मेरी पॉलिटिकल खेती पर कब्जा करने की कोशिश की गई।
मेरी जगह अगर किसी कार्यकर्ता को देते तो मुझे स्वीकार था। पर जिसका पार्टी और समाज में कोई कॉन्ट्रीब्यूशन नहीं था, उसे टिकट दिया गया। केवल इसलिए कि वो आपकी बेटी है। इस आधार पर आप टिकट का वितरण कर रहे हैं तो उन कार्यकर्ताओं का क्या होगा, जिसने रात-दिन एक कर के पार्टी को ताकत दी। आपको ताकत दी। क्या संदेश जा रहा है।
सवाल- क्या आज भी वही राजद बचा है, जिसकी बुनियाद आप लोगों ने रखी थी?
जवाब- आज राजद का चाल, चरित्र, चेहरा, सोच-विचार सबकुछ बदल गया। अब राजद का वो सोच नहीं है। अब उसी को टिकट मिलेगा …. वहां मेरे जैसे कार्यकर्ताओं की कहां पूछ है। लालू यादव जी का जो तेवर था। लोगों ने विश्वास किया था कि एक गरीब का बेटा। चपरासी क्वॉर्टर में रहने वाला बेटा आया है, हमारा कल्याण करेगा। लेकिन, अब सब कुछ बदल गया।
यही कारण है कि कभी राजद 35-37 सीटें जीतता था, अब शून्य पर आउट हो रहा है। फिर से शून्य पर आउट होगा। मोदी जी गरीब का बेटा हैं। अपने सिद्धांत और नीतियों को लेकर मोदी जी ने चलने का काम किया। हर गरीब की आंख के आंसू पोंछने का काम किया।
अशफाक करीम जो कह रहे हैं उसी से समझ लीजिए गठबंधन के साथी के साथ कितना वफादारी निभा रहे हैं। इनके सहयोगी तारिक अनवर के खिलाफ ये अशफाक करीम को निर्दलीय लड़ने कह रहे हैं। खड़ा होकर तारिक अनवर का वोट कटवाना चाह रहे हैं। जनता सब जानती है।
सवाल- पप्पू यादव का आरोप है कि लालू यादव तेजस्वी के सामने किसी यादव नेता को नहीं उभरने देना चाहते हैं? इस आरोप में आपको कितनी सच्चाई लगती है ?
जवाब- वही तो मैंने पूछा, मेरे सामने मीसा का क्या क्वालिफिकेशन था। डॉ. थी, गोल्ड मेडलिस्ट थी, देश की सबसे बड़ी डॉक्टर हो जाती। हमलोग की शान हो जाती। डॉक्टरी क्यों नहीं की। अचानक अपने एक समर्पित कार्यकर्ता को बेदखल कर दिया। एक कार्यकर्ता से बेदखल होता तो मुझे अच्छा लगता। मुझे काटा भी तो किससे काटा। बिहार और पाटलिपुत्र की जनता इन सब को देखते रहती है। हमारे जैसे कार्यकर्ताओं की पूछ नहीं है वहां। वहां अब है, कुछ दीजिएगा तब कुछ लीजिएगा।
सवाल- पाटलिपुत्र लोकसभा में भाजपा के एक भी विधायक नहीं हैं। कांग्रेस से सिद्धार्थ सौरभ आए तो वे टिकट के दावेदार थे, क्या आपकी मदद कर रहे हैं?
जवाब- यहां कोई उम्मीदवार नहीं था। सब हवा में बातें थीं। जो हमारे साथ हैं सभी का सहयोग मिल रहा है। चाहें वो सिद्धार्थ हों या कोई और हों। सभी का सहयोग मिल रहा है। हमारी पार्टी में जो नहीं हैं, उनका भी समर्थन है। इन्हें पता है कि अगर रामकृपाल नहीं जीतेगा तो साइबेरियन पंछी की तरह 5 साल के बाद आएगा कोई एक बार।
सवाल- अन्य राज्यों में बीजेपी ने बड़ी संख्या में कैंडिडेट बदल दिए, बिहार में कैंडिडेट रिपीट क्यों ?
जवाब- पार्टी का अपना मैकेनिज्म है। अपनी सर्वे रिपोर्ट, इंटरनल रिपोर्ट होती है। भाजपा में टिकट वितरण का सिस्टम होता है। यहां पैरवी थोड़ी चलती है कि बेटा है तो आपको टिकट मिल गया। भतीजा है तो उसे टिकट मिल गया।
सवाल- क्या बीजेपी यादवों को लुभाने की कोशिश कर रही है ?
जवाब- भाजपा सभी धर्म, जाति, वर्ग का सम्मान करने वाली पार्टी है। मोहन यादव के पिता कभी मुख्यमंत्री नहीं थे। राजद में अगर किसी के पिता मुख्यमंत्री थे तो आगे बेटा ही मुख्यमंत्री बनेगा। राजद को अगर साहस है तो दूसरे यादव को आगे को बढ़ाया जाए। किसी प्रतिभाशाली नेता को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव दे।
सवाल- आप परिवारवाद कहते हैं, तेजस्वी यादव आरोप लगाते हैं कि एनडीए के नेता बेटा-बेटी दामाद का प्रचार कर रहे हैं?
जवाब- पहले आप खुद जवाब दे दीजिए न। भाजपा में क्या ऐसा है कि एक परिवार के 6 में से 4 लोग एक ही पार्टी में हैं। अगर मैं हूं और मेरे बाद कोई उत्तराधिकारी को टिकट दे दिया, जो समाज सेवा कर रहा है तो क्या टिकट देना गलत है।
एक दौर था कि राजद के नेता मंचों से भाषण देते थे कि अब रानी के पेट से राजा पैदा नहीं लेगा। अब तो रानी के पेट से ही राजा पैदा ले रहा है। अब क्यों परिभाषा बदल गई है। अब तो क्वॉलिफिकेशन यही है कि अब राष्ट्रीय अध्यक्ष के बेटा को ही टिकट मिलेगा।
सवाल- आप 10 साल सांसद रहे, आपकी क्या उपलब्धि है? किस मुद्दे के साथ चुनाव में हैं?
जवाब- मैंने अपने क्षेत्र में बहुत सारे काम कराए हैं। वो पाटलिपुत्र जो 10 साल पहले आपने देखा था और आज जो है, इसकी तस्वीर काफी कुछ बदल गई है। ये तो नहीं कह सकता कि सारी समस्याओं का समाधान हो गया है, लेकिन समस्याओं को कम कराने की कोशिश मैंने जरूर की है। बिना भेदभाव के काम किया है। हर वर्ग-हर धर्म के लिए काम किया है। बिहटा में 350 बेड का ईएसआई हॉस्पिटल शुरू हुआ। उसमें मेडिकल कॉलेज शुरू हो गया है। वहां आम जनता का भी इलाज हो रहा है।
सवाल- आप मोदी कैबिनेट में पहले भी मंत्री बन चुके हैं। क्या तीसरी बार जीतेंगे तो पाटलिपुत्र के सांसद मंत्री बनेंगे?
जवाब– ये सब मेरी पार्टी तय करेगी। ये क्षेत्रीय पार्टी नहीं है। बेटा-बेटी वाली पार्टी थोड़ी है। मोदी जी ने मुझे राजनीतिक रूप से मजबूत किया है। दूध बेचने वाले बेटे को मंत्री बनाया। चाय बेचने वाले जो पीएम बने उनके कैबिनेट में दूध बेचने वाले का बेटा मंत्री बना। ये मेरे लिए गर्व की बात है।
वर्ना इससे पहले मैं राजद का सिपाही था। पोस्टर-बैनर लगाता था। माइक टेस्ट करता था। दरी बिछाते थे। पार्टी को मजबूत किया। पटना जैसे कॉम्पिलिकेटेड सीट पर तीन बार सांसद बने, पर इन लोगों ने कभी मंत्री नहीं बनाया। मेरे में क्या खामी थीं। एक अचार संहिता उल्लंघन के अलावा कोई केस नहीं था। इसके बाद भी राजद कोटे से एक बार भी मंत्री नहीं बनाया गया।
सभार – दैनिक भाष्कर