नवादा लोकसभा सीट 2019 में लोक जनशक्ति पार्टी के पास थी। मगर, 5 साल बाद हो रहे इस बार के चुनाव में सीटों का गणित बदला हुआ है। नवादा सीट अब भारतीय जनता पार्टी के पास है। इस सीट से भाजपा ने विवेक ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है। पर क्या आपको पता है कि लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने नवादा की सीट को शर्तों के साथ भाजपा को वापस किया है?
जी हां, सूत्रों के हवाले से इसकी इनसाइड स्टोरी यही है। नाम ना छापने की शर्त पर उनके पार्टी के एक राज्य स्तर के नेता ने भी इस बात को कंफर्म किया है। पिछले लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी के पास कुल 6 सीटें थीं। मगर, इस बार 5 सीटें ही मिली है। इसमें एक सीट नवादा शामिल नहीं है।
पार्टी तोड़ने में थी अहम भूमिका
2014 के लोकसभा चुनाव में नवादा की सीट भाजपा के पास थी। तब गिरिराज सिंह चुनाव जीतकर सांसद बने थे। फिर 2019 में यह सीट लोजपा को मिली। उस वक्त चिराग पासवान ने लोजपा के संकटमोचक कहे जाने वाले बाहुबली पूर्व सांसद सूरजभान सिंह के भाई चंदन सिंह को यहां से टिकट दिया था। इस सीट से चंदन सिंह चुनाव जीते भी थे। मगर, 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव के बाद पासवान परिवार और पार्टी, दोनों का ही बंटवारा हो गया था। तब सूरजभान सिंह और उनके सांसद भाई बाकी सांसदों के साथ चाचा व पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के साथ खड़े हो गए थे।
पार्टी में टूट के बाद पटना में भूतनाथ रोड स्थित सूरजभान सिंह के घर पर ही चाचा पशुपति पारस के गुट की बैठक हुई थी। उसी बैठक में पशुपति पारस को राष्ट्रीय लोजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष व संसदीय दल का नेता चुना गया था। चिराग इस बात को मानते हैं कि उनकी पार्टी और परिवार को तोड़ने में सूरजभान सिंह की अहम भूमिका रही है।
सूत्रों के अनुसार यही वजह है कि इस बार जब NDA के अंदर सीटों के बंटवारे की बात चल रही थी और जैसे ही नवादा सीट की मांग चिराग से की गई तो उन्होंने अपनी शर्त रख दी। जिसके बाद भाजपा ने भी अपने ही पार्टी के नेता को उम्मीदवार बनाने पर हामी भरी।