शिवसेना के 16 विधायकों की अयोग्यता के मामले पर महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर ने फैसला सुनाते हुए शिंदे गुट को ही असली शिवसेना करार दिया। शिंदे गुट के 16 विधायकों की विधानसभा सदस्यता बरकरार रहेगी। स्पीकर ने उन्हें योग्य ठहरा दिया है। स्पीकर के इस फैसले पर एकनाथ शिंदे सरकार का भविष्य टिका था। जानकारी के मुताबिक स्पीकर राहुल नार्वेकर ने 1200 पन्नों का एक जजमेंट तैयार किया था। आज का फैसला शिंदे गुट के पक्ष में आया है इससे उद्धव ठाकरे की पार्टी को बड़ा झटका लगा है।
10 बड़े कारण जिसके आधार पर स्पीकर ने शिंदे गुट के हक में दिया फैसला, उद्धव ठाकरे को लगा झटका
स्पीकर के फैसले की 10 बड़ी बातें
- अपना फैसला सुनाते हुए स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना के 2018 संशोधित संविधान को वैध नहीं माना जा सकता क्योंकि यह भारत के चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है। रिकॉर्ड के अनुसार मैंने वैध संविधान के रूप में शिवसेना के 1999 के संविधान को ध्यान में रखा है। शिवसेना के 2018 के संविधान पर विचार करने की उद्धव ठाकरे गुट की दलील स्वीकार नहीं की जा सकती।
- राहुल नार्वेकर ने कहा कि मेरे विचार में 2018 नेतृत्व संरचना (ईसीआई के साथ प्रस्तुत) शिवसेना संविधान के अनुसार नहीं थी। पार्टी संविधान के अनुसार शिवसेना पार्टी प्रमुख किसी को भी पार्टी से नहीं हटा सकते हैं। इसलिए उद्धव ठाकरे ने पार्टी संविधान के अनुसार एकनाथ शिंदे या पार्टी के किसी भी नेता को पार्टी से हटा दिया। इसलिए जून 2022 में उद्धव ठाकरे द्वारा एकनाथ शिंदे को हटाना शिवसेना संविधान के आधार पर स्वीकार नहीं है।
- महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि दोनों पार्टियों (शिवसेना के दो गुट) द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए संविधान पर कोई सहमति नहीं है। दोनों दलों के नेतृत्व संरचना पर अलग-अलग दृष्टिकोण हैं। मुझे विवाद से पहले मौजूद नेतृत्व संरचना को ध्यान में रखते हुए प्रासंगिक संविधान तय करना होगा। शिवसेना का संविधान नेतृत्व संरचना की सीमा की पहचान को लेकर प्रासंगिक है।
- चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में शिव सेना का संविधान वास्तविक संविधान है, जिसे शिवसेना का संविधान कहा जाएगा। याचिकाकर्ता (उद्धव गुट) के इस तर्क को स्वीकार नहीं कर सकते कि 2018 के पार्टी संविधान पर निर्भर किया जाना चाहिए।
- राहुल नार्वेकर ने कहा कि उद्धव ठाकरे गुट ने रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं रखी है या यहां तक कि यह भी सुझाव नहीं दिया है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की कोई बैठक बुलाई गई थी जहां वास्तविक राजनीतिक दल के बारे में कोई निर्णय लिया गया था।
- 2018 का नेतृत्व ढांचा शिवसेना के संविधान (1999 के जिस पर भरोसा किया जाता है) के अनुरूप नहीं था। इस नेतृत्व ढांचे को यह निर्धारित करने के लिए मानदंड के रूप में नहीं लिया जा सकता है कि कौन सा गुट वास्तविक शिव सेना है।
- महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि 21 जून 2022 को जब प्रतिद्वंद्वी गुट बना तब शिंदे गुट ही असली शिवसेना राजनीतिक दल था। स्पीकर ने अपने फैसले में कहा कि विधानसभा में शिंदे गुट को शिवसेना के 55 में से 37 विधायकों का समर्थन था।
- शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी धड़े द्वारा एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर अपना फैसला पढ़ते हुए नार्वेकर ने यह भी कहा कि शिवसेना (यूबीटी) के सुनील प्रभु 21 जून, 2022 से सचेतक नहीं रहे।
- विधानसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि शिवसेना के ‘प्रमुख’ के पास किसी भी नेता को पार्टी से हटाने की शक्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग को सौंपा गया 1999 का पार्टी संविधान मुद्दों पर फैसला करने के लिए वैध संविधान था। उन्होंने कहा कि इस संविधान के अनुसार ‘राष्ट्रीय कार्यकारिणी’ सर्वोच्च निकाय है।
- शिवसेना के 16 विधायकों की अयोग्यता के मामले पर महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर ने फैसला सुनाते हुए शिंदे गुट को ही असली शिवसेना करार दिया। शिंदे गुट के 16 विधायकों की विधानसभा सदस्यता बरकरार रहेगी। स्पीकर ने उन्हें योग्य ठहरा दिया है। स्पीकर के इस फैसले पर एकनाथ शिंदे सरकार का भविष्य टिका था। जानकारी के मुताबिक स्पीकर राहुल नार्वेकर ने 1200 पन्नों का एक जजमेंट तैयार किया था। आज का फैसला शिंदे गुट के पक्ष में आया है इससे उद्धव ठाकरे की पार्टी को बड़ा झटका लगा है।
लोकतंत्र की हत्या हुई है, स्पीकर के फैसले पर बोले उद्धव ठाकरे
एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों पर स्पीकर के फैसले के बाद पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम जनता को साथ लेकर लड़ेंगे और जनता के बीच जाएंगे। उन्होंने कहा कि स्पीकर का आज जो आदेश आया है, वह लोकतंत्र की हत्या है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी अपमान है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि राज्यपाल ने अपने पद का दुरुपयोग किया है और गलत किया है। अब हम इस लड़ाई को आगे भी लड़ेंगे और हमें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है। सुप्रीम कोर्ट जनता और शिवसेना को पूरा न्याय दिए बिना नहीं रुकेगा।”
विधानसभा स्पीकर के फैसले के बाद पूर्व मंत्री और उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने यह साफ कर दिया है कि वे अब इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ेंगे और कोर्ट का रुख करेंगे। वहीं, शिवसेना-यूबीटी के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने स्पीकर के फैसले पर सवाल उठाते हुए बीजेपी षडयंत्र करने का आरोप लगाया है। उन्होंने साथ ही कहा कि वे अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। दरअसल, अब ठाकरे परिवार के पास यही विकल्प भी बचा है क्योंकि इससे पहले चुनाव आयोग भी शिंदे गुट के पक्ष में ही फैसला सुना चुकी है।
यह मामला जून 2022 में महा विकास अघाडी सहयोगी शिवसेना के विभाजन के बाद उठा, जिसके कारण उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई और एकनाथ शिंदे को बीजेपी के सहयोग से बनी नई सरकार के नए मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया. उस राजनीतिक भूचाल के बाद शिवसेना के दोनों गुटों ने दल-बदल विरोधी कानूनों, व्हिप का उल्लंघन आदि के तहत एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए क्रॉस-याचिकाएं दायर की थीं. इस बीच, चुनाव आयोग ने शिंदे समूह को मान्यता दी थी और उसे शिवसेना का नाम और तीर-धनुष चुनाव चिह्न आवंटित किया था, जबकि ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट को शिव सेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे नाम दिया गया था और जलती मशाल चुनाव चिह्न दिया गया था.
मई में सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को असली शिवसेना पर अपना फैसला सुनाने का निर्देश दिया था और फिर उन्हें अयोग्यता याचिकाओं पर 31 दिसंबर तक अपना फैसला देने को कहा था. उस समय सीमा से कुछ दिन पहले, 20 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देने के लिए 10 जनवरी तक 10 दिनों का विस्तार दिया – जिसका राज्य में तत्काल और इस साल आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बड़ा राजनीतिक प्रभाव हो सकता है. बाद में, एनसीपी का मामला – जो जुलाई 2023 में लंबवत रूप से विभाजित हो गया है – 31 जनवरी तक संभावित फैसले के साथ सामने आने की उम्मीद है, जिसके अपने अलग राजनीतिक परिणाम होंगे.