कांग्रेस हाईकमान ने राम मंदिर का न्योता ठुकरा दिया है, जिसके बाद पार्टी में असंतोष के सुर सुनाई देने लगे हैं। कांग्रेस के कई सीनियर नेताओं ने न्योता ठुकराने के फैसले के खिलाफ खुलकर विरोध जाहिर करना शुरू कर दिया है। सबसे पहले आचार्य प्रमोद कृष्णम ने फैसले को कांग्रेस के लिए आत्मघाती बताया अब गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पोरबंदर से विधायक अर्जुन मोढ़वाडिया ने भी कांग्रेस हाईकमान के फैसले पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मोढवाडिया ने कहा है कि यह देशवासियों की आस्था और विश्वास का विषय है। कांग्रेस को ऐसे राजनीतिक निर्णय लेने से दूर रहना चाहिए था।
अब यह बात साफ हो गई है कि अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में सोनिया गांधी, खरगे समेत कांग्रेस का कोई नेता नहीं जाएगा। निमंत्रण पत्र मिलने के बाद से ही यह सवाल बना हुआ था कि कांग्रेस का इस बारे में क्या फैसला होगा। इस बारे में जब कांग्रेस नेताओं से सवाल पूछा जाता था कि क्या सोनिया गांधी और पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे जाएंगे। सवाल को टालते हुए हर बार यह कहा गया कि इस बारे में जल्द फैसला होगा। इस बीच कांग्रेस की एक सहयोगी पार्टी ने कहा कि कांग्रेस नेताओं को नहीं जाना चाहिए। 22 तारीख करीब आ रही थी और कांग्रेस के भीतर इस बात को लेकर मंथन चल रहा था कि हां या ना। वर्तमान राजनीति, आने वाला समय और 2024 के चुनाव को ध्यान में रखकर आखिरकार कांग्रेस ने राम मंदिर के लिए निमंत्रण ठुकराने का जोखिम उठा लिया। बुधवार कांग्रेस ने इसे बीजेपी और आरएसएस का कार्यक्रम बता दिया। कांग्रेस ने राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में नहीं जाने का यह जोखिम तो उठा लिया लेकिन कई सवालों का जवाब देना उसके लिए मुश्किल होगा। साथ ही यह समझना भी जरूरी है कि आखिर कांग्रेस ने यह फैसला क्यों लिया।
सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चले लेकिन वोटर्स ने दिखाया रेड सिग्नल
सॉफ्ट हिंदुत्व… इसको लेकर कांग्रेस के भीतर और बाहर चर्चा काफी समय से है। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी की ओर से इस दिशा में कोशिश भी हुई। चुनाव के वक्त मंदिर में इन दोनों नेताओं के जाने की जब भी तस्वीर आती उन पर बीजेपी सवाल उठाती। अभी हाल ही बीते विधानसभा चुनाव में भी कमलनाथ से लेकर भूपेश बघेल तक सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चले लेकिन मतदाताओं ने बुरी तरह ठुकरा दिया। एक ओर कांग्रेस के साथी दल बिहार में बाबा बागेश्वर के कार्यक्रम का विरोध कर रहे थे तो वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश में कमलनाथ बागेश्वर धाम की शरण में पहुंचे। मध्य प्रदेश चुनाव से कुछ महीने पहले ही सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर पूर्व सीएम कमलनाथ काफी तेजी के साथ आगे बढ़े। बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा का आयोजन छिंदवाड़ा में करवाया। उसके बाद मशहूर कथावाचक प्रदीप मिश्रा की कथा का भी आयोजन कराया। इन कथाओं में भीड़ तो आई लेकिन वोट न मिल सका। छत्तीसगढ़ प्रभु श्रीराम का ननिहाल है। उन्होंने अपने वनवास काल में समय छत्तीसगढ़ में भी बिताया था। छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल की ओर से राम वन गमन पथ पर पूरा जोर लगाया गया। कहा गया कि कांग्रेस इसके जरिए चुनावी नैया पार लगाना चाहती है। राम वन गमन पथ और राम का ननिहाल जैसे कोर हिंदुत्व मुद्दों का भी राजनीतिक फायदा कांग्रेस को चुनाव में नहीं मिला।
अल्पसंख्यक मतदाताओं को कांग्रेस के पक्ष में एकजुट किया जा सकेगा
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में जाने से कांग्रेस को फायदा होगा या नुकसान इसका जोड़ घटाव जारी था। कांग्रेस पेसोपेश में थी कि क्या किया जाए। राम मंदिर का मुद्दा कभी कांग्रेस का था नहीं। यह मुद्दा शुरू से बीजेपी का था और मंदिर निर्माण के साथ ही इसका श्रेय पीएम मोदी को दिया जा रहा है। कांग्रेस में केरल की सहयोगी आईयूएमएल ने कांग्रेस के समारोह में जाने का विरोध किया था। वहीं पार्टी के नेताओं की ओर से यह बयान सामने आया कि मंदिर राजनीतिक मंच नहीं है। अयोध्या के कार्यक्रम को बीजेपी ने राजनीतिक आयोजन बना दिया है और एक राजनीतिक आयोजन में न जाने से हिंदू विरोधी नहीं बन जाएंगे। वहीं कांग्रेस के लिए केरल एक महत्वपूर्ण राज्य है और वह सहयोगी को नाराज नहीं करना चाहती। इन सबके बीच कांग्रेस ने फैसला कर लिया। पार्टी नेताओं को लगता है कि ढुलमुल सॉफ्ट हिंदुत्व की नीति के बजाय क्लियर कट स्टैंड लेने का मैसेज टारगेट मतदाताओं तक जाएगा।
नकली और असली हिंदुत्व वाले नैरेटिव का कांग्रेस के पास जवाब नहीं था
लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए यह एक ऐसा सवाल था जिसका जवाब हां या ना ही में देना था। कई बार नेता कई मामलों में डिप्लोमेटिक जवाब देते हैं। हालांकि यहां बीच वाला कोई रास्ता नहीं था। या तो पार्टी को यह कहना था कि उसके नेता इस कार्यक्रम में जा रहे हैं या फिर यह कहना था कि नहीं जा रहे हैं। आखिरकार कांग्रेस ने फैसला कर लिया। नकली और असली हिंदुत्व वाले नैरेटिव का कांग्रेस के पास जवाब नहीं था। कांग्रेस का यह फैसला राम मंदिर उद्धाटन कार्यक्रम पर इंडिया गठबंधन की सहयोगी टीएमसी के स्टैंड के अगले दिन ही आया। ममता बनर्जी ने मंगलवार को ही इस पर बयान दिया और बीजेपी पर निशाना साधा। कांग्रेस ने आखिरकार तीन बड़ी वजहें बताते हुए इस कार्यक्रम में नहीं जाने का फैसला कर लिया।
इन सवालों का जवाब देना होगा मुश्किल
कांग्रेस का जैसे ही फैसला सामने आया उसके बाद बीजेपी ने उस पर हमला बोलना शुरू कर दिया। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि कांग्रेस को इस पर पछतावा होगा। कांग्रेस की ओर से यह सवाल उठाया गया कि बीजेपी राम मंदिर का फायदा उठाना चाहती है। अब बीजेपी के कई नेता यह पूछ रहे हैं कि कांग्रेस न जाकर कौन सा फायदा उठना चाहती है। बीजेपी नेताओं के जैसे बयान सामने आ रहे हैं उससे एक बात क्लियर है कि चुनावों में भी बीजेपी कांग्रेस को राम विरोधी और हिंदू विरोधी के तौर पर प्रचारित करेगी और इसका जवाब कांग्रेस को देना मुश्किल होगा। गठबंधन के कई साथी पहले से सनातन के खिलाफ विवादित बयान दे चुके हैं, जिन पर बीजेपी सफाई मांगना जारी रखेगी। दक्षिण में उसकी सहयोगी डीएमके लगातार बयानबाजी कर रही है और कांग्रेस खामोश है। अधूरे मंदिर और बीजेपी-आरएसएस के प्रायोजित कार्यक्रम की सफाई लोगों के गले शायद ही उतरे, बीजेपी इस पर भी जरूर सवाल उठाएगी।
कांग्रेस को ऐसे फैसलों से दूर रहना चाहिए- अर्जुन मोढ़वाडिया
कांग्रेस हाईकमान ने अयोध्या का न्योता ठुकरा तो दिया लेकिन इससे पार्टी के अंदर असंतोष की लहर फूट पड़ी है। पार्टी के नेता कहीं दबी ज़बान में तो कहीं खुलकर इस फैसले के विरोध में बयान देने लगे हैं। इनमें कांग्रेस समर्थक आचार्य प्रमोद कृष्णम हैं, गुजरात से कांग्रेस के सीनियर नेता अर्जुन मोढ़वाडिया हैं। गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष अंबरीश डेर हैं ये सब के सब हाईकमान के फैसले से नाराज़ हैं। कांग्रेस हाईकमान के इस फैसले का गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में पोरबंदर से विधायक अर्जुन मोढ़वाडिया ने खुलकर विरोध किया है। अर्जुन मोढ़वाडिया सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखते हैं- भगवान श्री राम आराध्य देव हैं। यह देशवासियों की आस्था और विश्वास का विषय है। कांग्रेस को ऐसे राजनीतिक निर्णय लेने से दूर रहना चाहिए था।
गुजरात कांग्रेस के कई कार्यकर्ता निराश- अंबरीश डेर
गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष अंबरीश डेर ने लिखा है- ”मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम हमारे आराध्य देव हैं इसलिए यह स्वाभाविक है कि भारत भर में अनगिनत लोगों की आस्था इस नवनिर्मित मंदिर से वर्षों से जुड़ी हुई है। कांग्रेस के कुछ लोगों को उस खास तरह के बयान से दूरी बनाए रखनी चाहिए और जनभावना का दिल से सम्मान करना चाहिए। इस तरह के बयान से मेरे जैसे गुजरात कांग्रेस के कई कार्यकर्ताओं के लिए निराशाजनक हैं। जय सियाराम”
नकुलनाथ ने जारी किया ऐसा वीडियो
गुजरात से यूपी तक कांग्रेस को अपनी ही पार्टी की लाइन के खिलाफ आवाज़े सुनाई देने लगीं। यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने पूरी कोशिश की कि पार्टी राम विरोधी ना दिखे इसके लिए उन्होंने 22 जनवरी की जगह 15 जनवरी को दर्शनों का ऐलान कर दिया। कांग्रेस हाईकमान अयोध्या का निंमत्रण ठुकरा रही है तो एमपी में पूर्व सीएम कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ उस अभियान में लगे हैं जो पार्टी लाइन के मुताबिक नहीं है। नकुल नाथ ने वीडियो जारी करते हुए लिखा, ”4 करोड़ 31 लाख राम नाम लिखकर छिंदवाड़ा इतिहास रचने जा रहा है। आज उसी क्रम में पूर्व मुख्यमंत्री आदरणीय कमलनाथ जी के साथ सिमरिया हनुमान मंदिर पहुँचकर पत्रक में राम नाम लिखा। आप सभी से अपील करता हूँ कि इस ऐतिहासिक कार्य में शामिल होकर पुण्य लाभ अर्जित करें।” इस वीडियो में कमलनाथ और नकुलनाथ दोनों नजर आ रहे हैं।
‘कांग्रेस के नेताओं की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है’
अयोध्या का न्योता ठुकराने पर कांग्रेस हाईकमान के फैसले पर ही उंगली उठने लगी तो दिग्विजय सिंह डैमेज कंट्रोल के लिए आगे आए। दिग्विजय सिंह ने बचाव की रणनीति तो अपनाई ही, साथ ही विवाद का रुख मोड़ने की कोशिश भी की। दिग्विजय ने कहा कि राम मंदिर हम लोगों के चंदे से बन रहा है। हमारे शंकराचार्य का अपमान किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से अपमान हो रहा है।
वहीं, कांग्रेस के दिग्गज नेता आचार्य प्रमोद ने भी पार्टी आलाकमान के इस फैसले पर असहमति जताई है. उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि श्रीराम मंदिर उद्घाटन के निमंत्रण को ठुकराना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और आत्मघाती फैसला है, आज दिल टूट गया. उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में कांग्रेस द्वारा राम मंदिर ‘प्राण प्रतिष्ठा’ के निमंत्रण को अस्वीकार करने पर कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि राम मंदिर और भगवान राम सबके हैं…कांग्रेस हिंदू विरोधी पार्टी नहीं है, कांग्रेस राम विरोधी नहीं है। यह कुछ लोग हैं जिन्होंंने इस तरह का फैसला कराने में भूमिका अदा की है…इस फैसले से पार्टी के कई कार्यकर्ताओं का दिल टूटा है…निमंत्रण को स्वीकार ना करना बेहद दुखद और पीड़ादायक है…”
पहले सीपीएम, फिर अखिलेश यादव और अब कांग्रेस ने साफ साफ अयोध्या का न्योता ठुकरा दिया है। इससे बीजेपी को हमलावर होने का मौका मिल गया है। केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि कांग्रेस के नेताओं की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है तो मनोज तिवारी ने सोनिया गांधी को राम भजन गाने की सलाह दे ही। बीजेपी के हमले के बीच कांग्रेस के कई नेता इस मुद्दे पर खुलकर बोलने से बच रहे हैं।