भारत का पहला सूर्य मिशन अब अपने लक्ष्य तक पहुंचने के अंतिम पड़ाव में है. इसरो का आदित्य एल-1 6 जनवरी को सूर्य के एल-1 पॉइंट में प्रवेश करेगा. इसी बीच भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने आदित्य एल-1 को लेकर बड़ा अपडेट दिया है. इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने गुरुवार को इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि, भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल1 छह जनवरी की शाम 4.00 बजे लैग्रेंज-1 पॉइंट पर हेलो ऑर्बिट कक्षा में प्रवेश कर जाएगा. इसरो प्रमुख ने कहा कि यान को कक्षा में प्रवेश कराने के लिए उपग्रह के इंजन को काफी सावधानी से चलाया जाएगा.
आदित्य एल-1 के सभी उपकरण कर रहे काम
गुरुवार को आईआईटी बॉम्बे के वार्षिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी कार्यक्रम टेकफेस्ट 2023 में इसरो प्रमुख सोमनाथ ने इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि आदित्य एल-1 ठीक से काम कर रहा है और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है. 6 जनवरी की शाम 4 बजे वह लैग्रेंज-1 बिंदु पर हैलो ऑर्बिट कक्षा में पहुंच जाएगा. बता दें कि एल1 पॉइंट वह स्थान है जहां पृथ्वी और सूर्य दोनों ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण के बीच संतुलन रहता है यह बिंदु पृथ्वी से 15 लाख किमी दूर है. जो सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी का मात्र एक फीसदी है. इसरो प्रमुख एस.
सोमनाथ ने कहा कि सौर यान के सभी छह पेलोड की जांच कर ली गई है और ये ठीक से काम कर रहे हैं. सभी पैलोड से हमें डेटा प्राप्त हो रहा है. सोमवाथ ने कहा कि एल1 बिंदु पर पहुंचने के बाद आदित्य एल1 और सूर्य के बीच कोई परेशानी नहीं रहेगी. उन्होंने कहा कि उपग्रह के इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण जब तक काम करेंगे, तब तक वह सूरज को देखता रहेगा और उसका अध्ययन करता रहेगा. आदित्य एल-1 करीब अगले पांच साल तक काम करता रहेगा.
इसरो प्रमुख सोमनाथ ने उम्मीद जताई कि भारत के पहले सौर मिशन के अपने लक्ष्य तक पहुंचने के बाद सूर्य के वातावरण, इस पर आने वाले चुंबकीय तूफानों और पृथ्वी पर पड़ने वाले इसके असर के बारे में अध्ययन किया जाएगा. आदित्य एल-1 सूर्य के कोरोनल मास इजेक्शन के साथ अंतरग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र जैसी अन्य घटनाओं की जानकारी भी हासिल करेगा. उपग्रह से भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य देशों को भी जरूरी जानकारियां मिलेंगी.