अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि अमेरिकी सेना ने सोमवार को इराक में ईरान समर्थित लड़ाकों की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली तीन ठिकानों पर हमले किए हैं. उत्तरी इराक में एक ड्रोन हमले में तीन अमेरिकी सैनिकों के घायल होने के बाद राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ईरान समर्थित मिलिशिया समूहों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई का आदेश दिया था, जिसके बाद ये हमले किए गए.
ऑस्टिन ने एक बयान में कहा, “अमेरिकी सैन्य बलों ने इराक में कातेब हिजबुल्लाह और कई समूहों की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली तीन ठिकानों पर हमले किए.” उन्होंने कहा, “ये सटीक हमले इराक और सीरिया में अमेरिकी अधिकारियों के खिलाफ ईरानी-प्रायोजित मिलिशिया हमलों का जवाब हैं. कताएब हिजबुल्लाह सरीखे समूहों ने आर्बिल एयर बेस पर हमला किया था.”
अमेरिका ने कैसे की हमले की तैयारी?
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की प्रवक्ता एड्रिएन वॉटसन ने बताया कि सोमवार को आर्बिल एयर बेस पर हुए हमले में अमेरिकी सैनिकों में से एक को गंभीर चोटें आईं थीं. इस हमले की जिम्मेदारी ईरान समर्थित मिलिशिया कताइब हिजबुल्लाह ने ली थी.
सोमवार को अमेरिका के राष्ट्रपति को क्रिसमस सेलिब्रेशन के दौरान इस हमले की जानकारी दी गई.बाइडेन ने तुरंत इस हमले का जवाब देने को कहा और तैयारी शुरू की गई.
ईराक में कताइब हिजबुल्लाह के ठिकानों पर हमले के लिए लॉयड ऑस्टिन और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की टीम ने तीन ठिकानों पर हमले की योजना बनाई.
अमेरिका ने हमले के पीछे ईरान का बताया हाथ
अमेरिका ने ईरान को आर्बिल एयर बेस पर हमले का जिम्मेदार बताया है.अमेरिका ने कहा कि ईरान ने हमास को प्रशिक्षित किया है और उसके कई ग्रुप को मध्य पूर्व में अलग-अलग जगहों पर तैनात कर दिया है.
अमेरिकी सेना ने इराक पर आखिर क्यों किया हमला?
अमेरिकी सेना ने हिज्बुल्लाह और उससे संबंधित गुटों के तीन ठिकानों को निशाना बनाया है. अमेरिका ने ये हमले इराक और सीरिया में अमेरिकी सैनिकों पर ईरान समर्थित मिलिशिया द्वारा किए जा रहे हमलों के जवाब में किया है. दरअसल ईरान समर्थित हिज्बुल्लाह ने इरबिल एयरबेस पर रविवार को हमला किया गया था, जिसमें तीन अमेरिकी सैनिक घायल हो गए थे. व्हाइट हाउस की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है कि ये हमला ड्रोन से किया गया और इसके लिए सीधे तौर पर ईरान ज़िम्मेदार ठहराया गया है. इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने इराक़ के ठिकानों पर हमले का निर्देश दिया.
अमेरिका की तरफ़ से जारी बयान में साफ़ कहा गया है कि अगर अमेरिकी सैनिकों और बेस पर हमले जारी रहे तो अमेरिका उसका माकूल जवाब देगा. बता दें कि मध्य अक्टूबर से अब तक इराक़ और सीरिया में अमेरिकी सेना को निशाना बनाकर अब तक 100 से अधिक हमले हो चुके हैं. 22 दिसंबर तक जो 102 हमले हुए थे, उनमें 47 इराक़ में और 55 सीरिया में हुए थे. इन हमलों में ड्रोन, राकेट, मोर्टार और कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल तक का प्रयोग किया गया. हालांकि अधिकतर हमले निशाने तक नहीं पहुंचे या फिर उनको निशाने तक पहुंचने से पहले ही मार गिराया गया.
इन हमलों में 70 के क़रीब अमेरिका सैनिकों के मामूली रुप से घायल होने की ख़बर आ चुकी है. इज़रायल पर हमास के 7 अक्टूबर के आतंकी हमले के बाद इज़रायल-ग़ाज़ा पर सैन्य कार्रवाई कर रहा है. दरअसल इजरायल को अमेरिका पूरा सहयोग दे रहा है. इसी वजह से हिज्बुल्लाह इज़रायल के साथ साथ अमेरिका के इराक़ और सीरिया स्थिति सैन्य ठिकानों पर हमले कर रहा है. इस बीच इज़रायल ने भी सीरिया की राजधानी डेमास्कस पर हमला किया है. सोमवार को किए गए इस हमले में ईरान रिवोल्यूशनरी गार्ड के एक वरिष्ठ सलाहकार सैय्यद राज़ी मौसवी की मौत हो गई. मौसवी सीरिया में ईरान रिवोल्यूशनली गार्ड के टॉप कमांडरों में शामिल थे. ज़ाहिर है कि एक तरफ़ अमेरिका तो दूसरी तरफ़ इज़रायल ईरान और उसके समर्थित गुटों को निशाने पर ले रहा है.