पटना के मिलर हाईस्कूल के खेल मैदान में आज भाकपा-माले के दिवंगत महासचिव का. विनोद मिश्र के 25 वें स्मृति दिवस पर विशाल संकल्प सभा का आयोजन किया गया. इसमें राज्य के विभिन्न कोनों से हजारों की तादाद में लोगों की भागीदारी हुई. संकल्प सभा में शामिल लोगों ने तनी मुठ्ठियों के साथ 2024 के चुनाव में फासीवादी ताकतों की मुकम्मल हार को सुनिश्चित करने का संकल्प लिया.
मुख्य वक्ता माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने अपने संबोधन में कहा कि का. विनोद मिश्र ने बहुत पहले सांप्रदायिक फासीवाद के खतरे को भांपते हुए उसके खिलाफ व्यापक एकता के निर्माण का आह्वान किया था. हमें उनके रास्ते आगे बढ़ते हुए आंदोलकारी ताकतों की व्यापक मोर्चेबंदी का निर्माण करना है और फासीवाद के खिलाफ इस निर्णायक जंग का जीतना है. जब तक इस देश में सच के लिए लड़ने वाले लोग हैं, फासीवाद की ताकतें कभी हावी नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि देश व समाज को बदलने के लिए हमें गरीबों की दावेदारी बढ़ानी होगी.
आगे कहा कि इसी राजनीतिक संकल्प व आंदोलन की ताकत का नाम है बिहार. देश में बन रही व्यापक विपक्षी एकता इसी आधार पर हो और इसी जज्बे के साथ 2024 के चुनाव में मैदान में उतरना है. भाजपा को राज व समाज से बेदखल करना होगा.
भाकपा-माले के वरिष्ठतम नेता व 1974 में भाकपा-माले की पुनर्गठित केंद्रीय कमिटी के सदस्य का. स्वदेश भट्टाचार्य ने का. वीएम के राजनीतिक संघषों को विस्तार से रखते हुए आज की तारीख में सामने खड़ी चुनौतियों पर चर्चा की.
दलित चिंतक कंवल भारती ने कहा कि जो कोई भी हिंदुस्तान में रहता है वह हिंदुस्तानी है न कि हिंदु-मुसलमान. भाजपा व आरएसएस बहुसंख्यक समाज की गरीबी, अशिक्षा जैसे पहलूओं पर बात नहीं करते, बल्कि उन्हें मुसलमानों के खिलाफ भड़काने का काम कर रहे हैं. मुसलमान दलितों-पिछड़ों के दुश्मन नही हैं. तीन राज्यों में उनकी जीत से यह नहीं समझना चाहिए कि भाजपा अपरोजय है. ये बहुत डरपोक लोग हैं, जो पुलिस व जजों के बल पर तानाशाही चलाना चाहते हैं. वे हमारी जुबान पर ताला लगाना चाहते हैं. यह स्वीकार नहीं. देश का विकास लोकतंत्र व संविधान से होगा.
इसके पूर्व राज्य सचिव कुणाल ने अध्यक्षमंडल और सभी वक्ताओं को मंच पर आमंत्रित किया. उन्होंने कहा कि 18 दिसंबर 1998 को पार्टी की केंद्रीय कमिटी की बैठक के दौरान का. विनोद मिश्र का निधन लखनऊ में हो गया था. उनके पार्थिव शरीर को सड़के के रास्ते पटना लाया गया. अपने प्रिय नेता के अंतिम दर्शन के लिए मिलर हाई स्कूल के खेल मैदान में जनता का सैलाब उमड़ पड़ा. 22 दिसंबर को वहीं से उनकी ऐतिहासिक अंतिम यात्रा निकली और बांस घाट पर उन्हें अंतिम विदाई दी गई.अपनी मृत्यु के ठीक 15 दिन पहले मिलर हाई स्कूल ग्राउंड से ही उन्होंने 6 दिसंबर 1998 को आयोजित सेकुलर मार्च का नेतृत्व किया था.
इन वक्तओं के अलावा संकल्प सभा में पूर्व विधायक का. राजाराम सिंह, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, स्कीम वर्कर्स फेडरेशन की महासचिव शशि यादव, विधायक संदीप सौरभ, आवाइए के राष्ट्रीय अध्यक्ष आफताब आलम ने भी संबोधित किया. अध्यक्षमंडल में वरिष्ठ पार्टी नेता केडी यादव, का. रामेश्वर प्रसाद आदि शामिल थे. मंच पर इन नेताओं के अलावा केंद्रीय कमिटी के सभी सदस्य उपस्थित थे.
वक्ताओं के वक्तव्यों के पहले शहीद वेदी पर माल्यार्पण किया गया और जसम के साथियों ने गीत के माध्यम से श्रद्धांजलि दी. 18 दिसंबर के आह्वान का पाठ का. अभ्युदय ने किया.
राजनीतिक प्रस्ताव
1. देश में भाजपा व संघ के उदय को सांप्रदायिकता, धार्मिक कट्टरवाद अथवा उन्माद के रूप में नहीं बल्कि सांप्रदायिक फासीवाद के रूप में चिन्हित करते हुए भाकपा-माले के दिवंगत महासचिव का. विनोद मिश्र ने उसके खिलाफ संघर्ष की एक व्यापक कार्ययोजना प्रस्तुत की थी. उन्होंने कॉरपोरेट घरानों व सामंती ताकतों से उसके नाभिनाल संबंध को भी बेनकाब किया था, जो आज खुलकर सामने आ गया है.
अपने चरम पर पहुंच चुकी सांप्रदायिक फासीवादी ताकतें आज देश के संविधान, लोकतंत्र, नागरिक आजादी, संवैधानिक ढांचों की स्वायत्तता आदि सबकुछ पर लगातार संस्थाबद्ध हमले कर रही है. वह देश की गंगा-जमुनी तहजीब व साझी संस्कृति की महान परंपरा को क्षत-विक्षत कर मनुवाद को ही देश का विधान बना देने पर तुली हुई है, यह सभा का. वीएम के बताए रास्तों पर आगे बढ़ते हुए फासीवाद पर लोकतंत्र की निर्णायक जीत के लिए जनसंघर्षो को और ऊंचाइयों पर ले जाने का संकल्प लेती है. यह सभा 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार में भाजपानीत एनडीए गठबंधन को करारी शिकस्त देने तथा भाजपा को देश की गद्दी से उखाड़ फेंकने का संकल्प लेती है.
2. आज की संकल्प सभा भारत सरकार की इजरायल पक्षी नीतियों की निंदा करते हुए फिलिस्तीनियों के जारी बर्बर जनसंहार पर तत्काल रोक लगाने की मांग करती है. संकल्प सभा इजरायल से 1967 में किए गए समझौते द्वारा निर्धारित सीमा रेखा का अनुपालन करने तथा फिलिस्तीन की आजादी व उसकी संप्रभुता को मान्यता देते हुए तत्काल युद्ध रोकने की मांग करती है.
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