संसद के शीतकालीन सत्र में 70-घंटे वर्क वीक की चर्चा उठी. इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने इस बहस को जन्म दिया था. सरकार ने संसद में इस संबंध सवाल का जवाब दिया. श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने बताया कि सरकार इस तरह के किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है. तेली सांसदों के इस संबंध में सवाल का जवाब दे रहे थे.
कांग्रेस के कोमती वेंकटा रेड्डी, भारत राष्ट्र समिति (BRS) के सांसद मन्ने श्रीनिवास रेड्डी और YSR कांग्रेस के कन्नूमुरु रघु रामा कृष्णा राजू ने श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से सवाल पूछा था कि क्या सरकार हफ्ते में 70 घंटे काम करने वाले नारायण मूर्ति के सुझाव पर वितार कर रही है?
क्या कहा था मूर्ति ने?
77 वर्षीय नारायण मूर्ति ने युवाओं को सुझाव दिया था कि उन्हें हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए जिससे कि भारत की ओवरऑल प्रोडक्टविटी में उछाल आ सके. उन्होंने यह बात इन्फोसिस के पूर्व सीईओ मोहनदास पाई के साथ बातचीत करते हुए एक पॉडकास्ट में कही थी. उन्होंने कहा था कि भारत दुनिया के सबसे कम प्रोडक्टिविटी वाले देशों में से एक है और देश चीन जैसे मुल्कों से मुकाबला करना चाहता है. बकौल मूर्ति, जापान और जर्मनी ने जिस तरह दूसरे विश्व के बाद अतिरिक्त मेहनत की थी वैसे ही भारत को भी ऐसा करने की जरूरत है.
कैसी थी प्रतिक्रिया?
नारायण मूर्ति के इस सुझाव को लेकर इंटरनेट पर आम लोग और बुद्धिजीवी 2 धड़ों में बंट गए थे. एक धड़े के लोगों ने उनकी बात से सहमति जताई. ओला के संस्थापक भाविश अग्रावाल ने मूर्ति के इस बयान से सहमति जाहिर की. वहीं, कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने इससे विपरीत बयान दिया था. माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स ने एक अलग बहस छेड़ते हुए कहा था कि हफ्ते में केवल 3 दिन काम होना चाहिए. इसी बात को आगे बढ़ाते हुए थरूर ने कहा था कि अगर नारायण मूर्ति और बिल गेट्स की बात को मानकर एक नया समीकरण बनाया जाए तो हफ्ते में काम के वही दिन होंगे जो अब हैं यानी 5.